मुजफ्फरपुर में एंबुलेंस से शराब तस्करी, 42 कार्टून विदेशी शराब जब्त, चालक गिरफ्तार

मुजफ्फरपुर। बिहार में शराबबंदी को लागू हुए 9 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन इसके बावजूद शराब माफिया नए-नए तरीकों से शराब की तस्करी करते आ रहे हैं। ताजा मामला मुजफ्फरपुर जिले के कांटी थाना क्षेत्र अंतर्गत सादतपुर गांव का है, जहां उत्पाद विभाग की टीम ने एक एंबुलेंस से भारी मात्रा में विदेशी शराब जब्त की है। यह घटना राज्य में शराबबंदी कानून की वास्तविकता और प्रशासन की चुनौती को उजागर करती है। मामले की शुरुआत तब हुई जब उत्पाद विभाग को गुप्त सूचना मिली कि एक एंबुलेंस के जरिए शराब की तस्करी की जा रही है। सूचना की पुष्टि के लिए टीम सादतपुर पहुंची, जहां उन्होंने संदिग्ध एंबुलेंस की जांच की। जांच के दौरान एंबुलेंस की छत में बनाए गए एक गुप्त तहखाने से 42 कार्टून विदेशी शराब बरामद की गई। जब्त की गई शराब की अनुमानित कीमत लाखों रुपये बताई जा रही है। इस तस्करी में प्रयुक्त एंबुलेंस को जब्त कर लिया गया और चालक को गिरफ्तार किया गया। पूछताछ में चालक ने बताया कि वह यह शराब पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से मुजफ्फरपुर लाया था और देर रात इसकी डिलीवरी की योजना थी। उसने यह भी स्वीकार किया कि वह पहले भी इस तरह की शराब की खेप बिहार ला चुका है। इस खुलासे से यह स्पष्ट होता है कि शराब तस्करी एक संगठित और बार-बार दोहराई जाने वाली प्रक्रिया बन चुकी है, जिसमें सीमावर्ती राज्यों से शराब लाकर बिहार में बेचा जाता है। इस घटना ने राज्य प्रशासन और उत्पाद विभाग की कार्यप्रणाली पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं। जब तस्कर एंबुलेंस जैसे आपातकालीन सेवा वाले वाहन का इस्तेमाल कर सकते हैं, तो यह साफ है कि वे कानून और सामाजिक संवेदनाओं की परवाह नहीं करते। इससे यह भी पता चलता है कि शराबबंदी के बावजूद शराब माफिया कितने साहसी और सुनियोजित तरीके से अपना नेटवर्क चला रहे हैं। 2016 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने महिलाओं की मांग पर शराबबंदी लागू की थी, जिसका उद्देश्य परिवार और समाज को नशे की लत से मुक्त कराना था। शुरुआत में इसका असर दिखा भी, लेकिन अब यह कानून सिर्फ कागजों में सख्त और व्यवहार में ढीला होता जा रहा है। इस प्रकार की घटनाएं न केवल कानून व्यवस्था को चुनौती देती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि बिना कठोर निगरानी और ईमानदार अमल के कोई भी नीति सफल नहीं हो सकती।

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