अखिलेश सिंह का एनडीए पर हमला, कहा- पटना में 6 महीने में 116 हत्याएं हुई, क्राइम कैपिटल ऑफ़ इंडिया बना बिहार

पटना। बिहार में बढ़ते अपराध और चुनाव आयोग की नीतियों पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश सिंह ने सत्ताधारी एनडीए गठबंधन पर जमकर निशाना साधा है। उन्होंने प्रदेश को “क्राइम कैपिटल ऑफ इंडिया” करार देते हुए बिहार की मौजूदा स्थिति पर चिंता जताई। उन्होंने दावा किया कि पटना जैसे बड़े शहर में महज छह महीनों में 116 से अधिक हत्याएं हो चुकी हैं, जो प्रशासनिक विफलता की गंभीर तस्वीर पेश करती है।
बढ़ते अपराध और अव्यवस्था को लेकर सवाल
अखिलेश सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बिहार में कानून-व्यवस्था पूरी तरह चरमरा गई है। आम लोग भगवान भरोसे जी रहे हैं। उन्होंने कहा कि सिर्फ पटना में 116 से ज्यादा हत्याएं हो चुकी हैं और अन्य जिलों की हालत इससे भी खराब है। सिंह ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार अपराध रोकने में नाकाम रही है, जिससे लोग डरे-सहमे रहते हैं। उन्होंने कहा कि पहले जिन हालातों के लिए बिहार को बदनाम किया जाता था, वही स्थिति फिर लौट आई है, और इसका सीधा जिम्मेदार एनडीए शासन है।
वोटर लिस्ट पुनरीक्षण और आधार कार्ड पर प्रतिक्रिया
अखिलेश सिंह ने चुनाव आयोग द्वारा वोटर लिस्ट के विशेष पुनरीक्षण अभियान में आधार कार्ड को वैध दस्तावेज न मानने के निर्णय पर भी सवाल उठाया। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि जब देश की केंद्र सरकार खुद “मेरी आधार, मेरी पहचान” का नारा देती है, तो फिर आधार कार्ड को पहचान के दस्तावेजों की सूची से बाहर करना विरोधाभासी है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस मुद्दे को लेकर कांग्रेस पार्टी ने चुनाव आयोग के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज कराई है। साथ ही उन्होंने उम्मीद जताई कि 28 जुलाई को होने वाली सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में आम लोगों को राहत मिल सकती है।
राहुल गांधी के आंदोलन का समर्थन
अखिलेश सिंह ने बताया कि राहुल गांधी बिहार में इसीलिए आए थे कि किसी भी नागरिक को वोट देने के अधिकार से वंचित न किया जाए। उन्होंने खुद सड़कों पर उतरकर विरोध जताया और आम नागरिकों की नागरिकता की जांच के नाम पर होने वाले परेशानियों के खिलाफ आवाज बुलंद की।
गंगा किनारे के इलाकों की दुर्दशा पर चिंता
बिहार के बाढ़ प्रभावित इलाकों की स्थिति पर बोलते हुए सिंह ने कहा कि प्रदेश की 60 फीसदी आबादी गंगा नदी के किनारे या उसके बहाव क्षेत्र में रहती है, जहां मानसून के दौरान बाढ़ की समस्या आम है। ऐसे में वहां के निवासियों के लिए दस्तावेज एकत्र करना या किसी भी तरह की जांच में शामिल होना संभव नहीं होता। उन्होंने सवाल उठाया कि जब 25 दिन के भीतर दस्तावेजों की समीक्षा करनी है, तो इन परिस्थितियों में ग्रामीण जनता की भागीदारी कैसे सुनिश्चित हो सकेगी?
पुनरीक्षण अभियान पर पुनर्विचार की मांग
अखिलेश सिंह ने मांग की कि चुनाव आयोग को इस विशेष पुनरीक्षण अभियान को टाल देना चाहिए। उन्होंने याद दिलाया कि 2003 में भी ऐसा पुनरीक्षण किया गया था, लेकिन तब लोकसभा चुनाव में एक वर्ष और विधानसभा चुनाव में दो वर्ष का समय था। इस बार परिस्थिति अलग है और इतनी जल्दबाजी में लोकतांत्रिक प्रक्रिया के साथ न्याय नहीं हो सकता। अखिलेश सिंह के इन बयानों से साफ है कि विपक्ष बिहार में बढ़ते अपराध और प्रशासनिक फैसलों को लेकर सरकार को लगातार कटघरे में खड़ा कर रहा है। कानून व्यवस्था से लेकर चुनावी तैयारियों तक, हर मोर्चे पर सरकार की जिम्मेदारी तय करने की मांग की जा रही है। आने वाले दिनों में यह मुद्दे राजनीतिक बहस के केंद्र में रहेंगे और जनता के बीच इसका असर भी देखने को मिलेगा।
