पीयू में छात्र संगठन आइसा का दो दिवसीय भूख हड़ताल, कहा- नई शिक्षा नीति गरीब छात्रों को पढ़ाई से वंचित करने की साजिश

पटना। प्रदेश में शिक्षक भर्ती नियमावली के बाद नई शिक्षा नीति को लेकर विवाद शुरू हो गया है। बता दे की पीयू में मंगलवार को भाषा भवन के पास आइसा छात्र संगठन ने नई शिक्षा नीति के खिलाफ राज्यव्यापी दो दिवसीय भूख हड़ताल विधिवत शुरू हुआ। वही इस मौके पर मौजूद आइसा बिहार के राज्य अध्यक्ष विकास यादव व आइसा विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष नीरज यादव ने भूख हड़ताल पर बैठे सभी साथियों को माला पहना कर भूख हड़ताल शुरू करवाया।
नई शिक्षा नीति जबरन लाई जा रही
नई शिक्षा नीति को लेकर ‘आइसा’ राज्य अध्यक्ष विकास यादव ने कहा कि राज्यपाल के आदेश पर बिहार के सभी विश्वविद्यालयों में नई शिक्षा नीति जबरन सौंप दिया गया है। वही नयी शिक्षा नीति के लागू होने बाद स्नातक कोर्स में व्यापक फीस वृद्धि हुई है, जिसके कारण गरीब दलित पिछड़े समुदाय से आने वाले छात्र स्नातक के पढ़ाई से वंचित हो रहे है। उन्होंने कहा की भारत सरकार नयी शिक्षा नीति लाकर गरीब दलित पिछड़े समुदाय से आने वाले छात्रों को शिक्षा के अधिकार से वंचित करने की साजिश कर रहा है। बिहार सरकार ने नई शिक्षा नीति के खिलाफ अपना रुख दिखाया है। लेकिन, आइसा बिहार सरकार से भी मांग करता है। उनकी मांग है की विधानसभा से नई शिक्षा नीति के खिलाफ प्रस्ताव पारित करे। आइसा राज्य उपाध्यक्ष प्रीती ने कहा कि 4 वर्षीय स्नातक कोर्स लागू होने व फीस वृद्धि का सबसे ज्यादा छात्राओं पर पड़ रहा है। यहां पहले स्नातक का न्यूनतम फीस 7 हजार था। लेकिन, नयी शिक्षा नीति लागू होने के बाद कैंपस में छात्राओं की संख्या घट गई है।
विश्वविद्यालयों में मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी
वही आइसा विश्वविद्यालय इकाई अध्यक्ष नीरज यादव व सचिव कुमार दिव्यम ने संयुक्त रूप से कहा कि बिहार के विश्वविद्यालयों में 3 वर्ष की पढ़ाई समय पर पूरा नहीं हो पा रहा है। नियमित सत्र व नियमित कक्षाएं संचालित नही हो पा रही है। राज्यपाल बिहार के विश्वविधालयों के सत्र ठीक करवाने के बजाय नया फरमान लाते हैं। आज बिहार के तमाम विश्वविद्यालयों मूलभूत सुविधाओं की भारी कमी है। केंद्र सरकार लगातार शिक्षा पर हमला कर रही है। नई शिक्षा नीति शिक्षा के अधिकार पर हमला है।
