November 17, 2025

24 सितंबर से एआईएमआईएम शुरू करेगी सीमांचल न्याय यात्रा, मैदान में उतरेंगे ओवैसी, एनडीए और इंडिया की बढ़ेगी टेंशन

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों और अभियानों के साथ मैदान में उतरने लगे हैं। महागठबंधन और एनडीए की तैयारियों के बीच अब असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम ने भी सक्रियता बढ़ा दी है। पार्टी ने सीमांचल क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए “सीमांचल न्याय यात्रा” निकालने की घोषणा की है। इस यात्रा की शुरुआत 24 सितंबर से होगी, जिसमें खुद पार्टी अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी शामिल होंगे।
यात्रा का शुभारंभ और कार्यक्रम
सीमांचल न्याय यात्रा की शुरुआत किशनगंज के रुई धांसा मैदान से होगी। इसके बाद यह यात्रा कटिहार, पूर्णिया और अररिया जिलों के 24 विधानसभा क्षेत्रों से होकर गुजरेगी। पार्टी ने साफ किया है कि इस अभियान में न केवल ओवैसी बल्कि बिहार प्रदेश अध्यक्ष सह विधायक अख्तरूल इमान और अन्य वरिष्ठ नेता भी मौजूद रहेंगे। यात्रा के दौरान सभाओं का आयोजन किया जाएगा, आम जनता से संवाद होगा और कार्यकर्ताओं की बैठकों के जरिये चुनावी रणनीति को धार दी जाएगी।
सीमांचल में पिछली सफलता और हार
पिछले विधानसभा चुनाव में एआईएमआईएम ने सीमांचल क्षेत्र में उल्लेखनीय सफलता दर्ज की थी। पार्टी ने पांच विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की थी, जिससे उसकी राजनीतिक जमीन मजबूत होती दिखाई दी। हालांकि बाद में इन पांच विधायकों में से चार ने राष्ट्रीय जनता दल का दामन थाम लिया। इस वजह से एआईएमआईएम को राजनीतिक झटका लगा, लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने सीमांचल में अपनी सक्रियता बनाए रखी। इस बार पार्टी का दावा है कि वह पहले से ज्यादा सीटें जीतकर निकलेगी।
महागठबंधन में शामिल होने की कोशिशें
एआईएमआईएम ने कई बार यह संकेत दिया था कि वह महागठबंधन का हिस्सा बनना चाहती है। पार्टी नेताओं ने इस विषय पर बयान दिए और यहां तक कि पत्र भी भेजे। अख्तरूल इमान ने तो राबड़ी देवी के आवास जाकर महागठबंधन में शामिल होने की अपनी इच्छा प्रकट की थी। बावजूद इसके, महागठबंधन की ओर से इस पर कोई सकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं मिली। यही कारण है कि अब पार्टी ने स्वतंत्र रूप से अपनी ताकत आजमाने का फैसला किया है।
सीमांचल की राजनीति और उपेक्षा का सवाल
एआईएमआईएम का मुख्य तर्क यह है कि सीमांचल की जनता अब तक राजनीतिक उपेक्षा का शिकार रही है। चाहे एनडीए हो या महागठबंधन, दोनों ने यहां से वोट तो लिए, लेकिन विकास के नाम पर बहुत कम काम किया। बाढ़, बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी समस्याएं आज भी जस की तस बनी हुई हैं। ऐसे में ओवैसी की पार्टी इस इलाके के लोगों को यह विश्वास दिलाना चाहती है कि वे ही उन्हें न्याय और विकास दिला सकते हैं।
एनडीए और इंडिया गठबंधन के लिए चुनौती
एआईएमआईएम की सीमांचल न्याय यात्रा से एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों की टेंशन बढ़ सकती है। सीमांचल मुस्लिम बहुल क्षेत्र है और यहां की राजनीति में उनका वोट निर्णायक माना जाता है। ऐसे में अगर ओवैसी की पार्टी यहां अच्छा प्रदर्शन करती है, तो यह गठबंधन दलों के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। विशेषकर महागठबंधन को यहां मुस्लिम वोटों के बंटवारे का खतरा बढ़ेगा।
विपक्षी दलों की यात्राओं से तुलना
हाल ही में राहुल गांधी ने बिहार में मतदाता अधिकार यात्रा निकाली थी, जिसमें महागठबंधन के तमाम बड़े नेता शामिल हुए। इसके बाद तेजस्वी यादव ने बिहार अधिकार यात्रा शुरू की, जो राज्य के विभिन्न हिस्सों में चल रही है। अब ओवैसी भी सीमांचल न्याय यात्रा के जरिए इसी क्रम में जुड़ रहे हैं। यह स्पष्ट है कि आने वाले चुनाव में यात्राएं और जनसभाएं ही राजनीतिक माहौल को दिशा देने वाली होंगी। सीमांचल न्याय यात्रा न केवल एआईएमआईएम की राजनीतिक ताकत को परखने का साधन है, बल्कि यह क्षेत्रीय मुद्दों को राष्ट्रीय स्तर पर उठाने का प्रयास भी है। सीमांचल की जनता लंबे समय से विकास की राह देख रही है, और ओवैसी की पार्टी इस उम्मीद को भुनाने की कोशिश कर रही है। अब देखना यह होगा कि चुनावी मैदान में यह यात्रा कितनी सफल होती है और क्या यह वास्तव में एनडीए और इंडिया गठबंधन के लिए सिरदर्द साबित होती है या नहीं। आगामी दिनों में सीमांचल की राजनीति इस यात्रा के इर्द-गिर्द ही घूमती नजर आएगी, जिससे बिहार की सियासत का तापमान और ज्यादा बढ़ना तय है।

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