सीट बंटवारे के बाद भी एनडीए में घमासान जारी, नीतीश ने जदयू की बुलाई बैठक, आज पटना आएंगे गृहमंत्री
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव से पहले एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर जारी खींचतान थमने का नाम नहीं ले रही है। गठबंधन के भीतर सबकुछ ठीक दिखाने की कोशिशों के बावजूद, अंदरूनी मतभेद गहराते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कई सीटों के बंटवारे से असंतुष्ट बताए जा रहे हैं, जिसके चलते उन्होंने जदयू की एक आपात बैठक बुला ली है। वहीं, खबरें हैं कि विवाद को सुलझाने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह खुद पटना पहुंच सकते हैं, हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अभी तक नहीं हुई है।
सीट बंटवारे पर असहमति
सूत्रों के अनुसार, एनडीए में कुल सीटों का बंटवारा तय होने के बावजूद जदयू 9 सीटों को लेकर असंतुष्ट है। इनमें कुछ सीटें पहले लोजपा (रामविलास) के खाते में दी गई थीं, जिस पर जदयू ने आपत्ति जताई है। नीतीश कुमार का तर्क है कि जिन इलाकों में उनकी पार्टी पारंपरिक रूप से मजबूत रही है, वहां से उम्मीदवार जदयू के ही होने चाहिए। यह विवाद धीरे-धीरे खुलकर सामने आने लगा है और गठबंधन की एकजुटता पर सवाल खड़े कर रहा है।
जदयू में असंतोष की लहर
सीएम आवास पर मंगलवार दोपहर 12 बजे नीतीश कुमार ने पार्टी की महत्वपूर्ण बैठक बुलाई है। बैठक से पहले ही जदयू विधायक गोपाल मंडल अपने समर्थकों के साथ मुख्यमंत्री आवास पहुंचे और उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ लोग उनकी टिकट काटने की साजिश कर रहे हैं। मंडल का बयान यह साफ करता है कि जदयू के अंदर भी टिकट वितरण को लेकर असंतोष पनप रहा है।
सोनबरसा सीट बनी विवाद की जड़
एनडीए के भीतर खींचतान की सबसे बड़ी वजह सोनबरसा सीट बनी है। यह सीट पहले एलजेपी (रामविलास) के खाते में बताई जा रही थी, लेकिन जदयू ने इस पर कड़ा ऐतराज जताया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोनबरसा से वर्तमान विधायक और मंत्री रत्नेश सदा को दोबारा पार्टी का सिंबल देकर साफ संकेत दे दिया कि वे अपने निर्णय से पीछे नहीं हटेंगे। रत्नेश सदा मंगलवार को नामांकन दाखिल करने वाले हैं।
उम्मीदवारों की तैयारी तेज
विवाद के बीच जदयू ने अपने उम्मीदवारों की सूची लगभग तैयार कर ली है। मोकामा से बाहुबली नेता अनंत सिंह को टिकट मिला है, जो आज नामांकन करेंगे। दूसरी ओर, बीजेपी ने भी अपने लगभग 48 उम्मीदवारों को नामांकन दाखिल करने का निर्देश दे दिया है। इन सीटों पर किसी तरह का विवाद नहीं है और उम्मीदवार अगले एक-दो दिनों में पर्चा भरेंगे।
टिकट कटने से नाराज नेता
बीजेपी के भीतर भी कुछ सीटों पर असंतोष देखने को मिल रहा है। खबर है कि विधानसभाध्यक्ष नंद किशोर यादव और कुम्हरार से विधायक अरुण कुमार का टिकट काट दिया गया है। कुम्हरार सीट से संजय गुप्ता को उम्मीदवार बनाया गया है। अरुण कुमार पहले ही घोषणा कर चुके हैं कि वे इस बार चुनाव नहीं लड़ेंगे, जबकि नंद किशोर यादव अब भी उम्मीद लगाए हुए हैं कि उन्हें मौका मिल सकता है।
सम्राट चौधरी तारापुर सीट से चुनाव लड़ेंगे, 16 को नामांकन
एनडीए में जारी तनाव के बीच उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी तारापुर सीट से चुनाव लड़ेंगे। उनके नामांकन में नीतीश कुमार और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शामिल होने की संभावना जताई जा रही है। सम्राट चौधरी 16 अक्टूबर को नामांकन दाखिल करेंगे, जिसमें लगभग 15 हजार समर्थकों के जुटने की उम्मीद है।
भाजपा की रणनीतिक बैठकें
सोमवार को भाजपा ने सीट शेयरिंग और उम्मीदवार चयन को लेकर लंबी बैठकें कीं। पहले प्रदेश स्तर पर नेताओं की मीटिंग हुई, उसके बाद चुनाव प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के साथ दूसरी बैठक संपन्न हुई। इसके अलावा भाजपा नेताओं ने जदयू के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार झा से भी मुलाकात की। राजगीर और सोनबरसा जैसी सुरक्षित सीटों पर जदयू और लोजपा (रामविलास) के बीच खींचतान अब भी जारी है।
गिरिराज सिंह का निशाना
इसी बीच केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बिना नाम लिए चिराग पासवान पर कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि कुछ लोग “स्ट्राइक रेट” का झुनझुना बजा रहे हैं, जबकि उनके बिना ही एनडीए ने 2010 में इतिहास रचा था। उन्होंने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे दिखावे की राजनीति से दूर रहें और गठबंधन की एकजुटता बनाए रखें।
2010 का एनडीए प्रदर्शन
गिरिराज सिंह ने याद दिलाया कि 2010 के विधानसभा चुनाव में एनडीए ने बिहार में रिकॉर्ड तोड़ जीत हासिल की थी। उस समय 243 सीटों में से एनडीए ने 206 सीटें जीती थीं। जदयू ने 141 में से 115 सीटें जीतीं और भाजपा ने 102 में से 91 सीटों पर जीत दर्ज की थी। यह बिहार के राजनीतिक इतिहास में एनडीए का सबसे सफल चुनाव माना जाता है। कुल मिलाकर, सीट बंटवारे के बाद भी एनडीए के भीतर असंतोष और मनमुटाव थमा नहीं है। नीतीश कुमार का नाराज होना और कई नेताओं का खुलेआम बयान देना इस बात का संकेत है कि गठबंधन में मतभेद गहराते जा रहे हैं। हालांकि, केंद्रीय नेतृत्व की सक्रियता से उम्मीद की जा रही है कि विवाद जल्द सुलझ जाएगा। लेकिन फिलहाल बिहार की राजनीति में एनडीए की आंतरिक जंग ने चुनावी माहौल को और गरम कर दिया है।


