10 महीने में शिक्षा विभाग की बड़ी कार्रवाई, निरीक्षण के दौरान 27 हज़ार से अधिक शिक्षकों का कटा वेतन

पटना। स्कूलों के निरीक्षण के दौरान बिना पूर्व सूचना के गायब रहने वाले 32828 शिक्षकों के वेतन कटौती की अनुशंसा हुई है। लगभग दस माह 27 हजार 22 शिक्षकों का वेतन काटा गया है। वेतन कटौती में सर्वाधिक संख्या 3884 दरभंगा जिले के शिक्षकों की है। दूसरे स्थान पर नालंदा है, जहां के तीन हजार शिक्षकों की वेतन कटौती हुई है। हालांकि, वेतन कटौती की अनुशंसा सबसे अधिक नालंदा के 3886 शिक्षकों के लिए की गयी है। सबसे कम शिवहर जिले के 57 शिक्षकों के वेतन कटे हैं। शिक्षा विभाग को जिलों से प्राप्त 16 मई तक के ये आंकड़े हैं। निरीक्षण में गायब मिलने वाले शिक्षकों का एक दिन का वेतन काटा जाता है। स्कूलों में निरीक्षण करने गये पदाधिकारी इसकी रिपोर्ट जिले को देते हैं। एक जुलाई, 2023 से नियमित स्कूलों का निरीक्षण किया जा रहा है। दरभंगा और नालंदा के बाद सबसे अधिक 1677 शिक्षकों का वेतन सारण जिले में कटा है। औरंगाबाद में 1332, भागलपुर के 1132, नवादा के 1048, सुपौल के 994, पूर्वी चंपारण के 921, अररिया के 918, मधुबनी के 888, समस्तीपुर में 775, बेगूसराय में 756 तथा सीतामढ़ी के 715 वेतन कटा है। हैरानी की बात है किए ओर प्राथमिक शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई कर उनका वेतन काटा जा रहा है वहीं विश्वविद्यालय के शिक्षक वेतन के इंतजार में हैं। हाल में शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों के वित्तीय वर्ष 2024-25 के बजट को स्वीकृति देने की कार्रवाई करने के पहले इसकी समीक्षा करने का निर्णय लिया है। इसको लेकर 29 मई तक अलग-अलग विश्वविद्यालयों के प्रस्तावित बजट की समीक्षा विभाग करेगा। इसके बाद ही वेतन-पेंशन राशि जारी करने की तैयारी है। ज्यादातर विश्वविद्यालयों में फरवरी माह से ही वेतन भुगतान नहीं हुआ है। शिक्षा विभाग की ओर से फरवरी, 2024 के बाद से वेतन और पेंशन मद में कोई भी राशि विश्वविद्यालयों को नहीं भेजी गयी है। वहीं, दूसरी ओर विभिन्न विश्वविद्यालयों और महाविद्यालयों में बड़ी संख्या में ऐसे भी शिक्षक और शिक्षकेत्तर कर्मचारी हैं, जिनका वेतन जनवरी माह से ही नहीं मिला है।

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