बिहार ने केंद्र के समक्ष फिर उठाया गाद प्रबंधन नीति का मसला, मंत्री ने लिखा पत्र

पटना। बिहार ने एक बार फिर केंद्र के समक्ष गंगा में गाद की वजह से हो रहे नुकसान का मसला उठाया है। इस संबंध में जल संसाधन मंत्री संजय झा ने जलशक्ति मंत्रालय को पूरी स्थिति का ब्योरा देते हुए पत्र लिखा है। पत्र में गाद प्रबंधन नीति की महत्ता पर मंत्री संजय झा ने अपनी बात कही है। गंगा में मालवाहकों की वजह से तटबंध के कटाव की समस्या के बारे में भी पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री को पत्र लिखकर अवगत कराया है।
पांच वर्ष बाद भी केंद्र ने नहीं उठाया ठोस कदम
मंत्री ने कहा कि गंगा नदी के डाउनस्ट्रीम में गाद जमा होने से बाढ़ के समय हर वर्ष अरबों का नुकसान होता है। उन्होंने कहा कि गंगा में गाद की समस्या को बिहार काफी पहले से उठा रहा है। गंगा की अविरलता पर दो अंतरराष्ट्रीय सेमिनार का भी बिहार आयोजन करा चुका है। सिल्ट मैनेजमेंट पालिसी के प्रारूप को राज्य सरकार ने 2017 में ही अपना मंतव्य केंद्र सरकार को दे दिया है। बावजूद इसके पांच वर्ष बीत जाने के बाद भी केंद्र सरकार ने गाद प्रबंधन नीति पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। बिहार में गंगा नदी की लंबाई 445 किमी है। इसमें अत्यधिक गाद जमा हो रहा।
मालवाहक जहाजों के गुजरने से तटबंध को खतरा
मंत्री संजय झा ने पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री सर्वानंद सोनोवाल को पत्र लिखकर कहा है कि नदी में जहाजों के परिचालन के लिए रूट का निर्धारण कर गतिसीमा तय की जाए। भागलपुर के इस्माइलपुर बिंदटोली तटबंध के पास मालवाहक जहाजों के गुजरने से तटबंध को खतरा है। नदी के किनारे के क्षेत्रों में अत्यधिक कटाव होता है। इससे कटाव निरोधक कार्य, बाढ़ सुरक्षात्मक कार्य और तटबंधों के स्परों के क्षतिग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाती है। इसे रोकने के लिए यह आवश्यक है कि नदी में जहाजों का परिचालन पुरानी धार और निर्धारित गतिसीमा के साथ किया जाए।

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