सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी है बच्चों में कुपोषण की वजह, थाली में पांच खाद्य समूहों का समावेश जरुरी
- इंडियन डायटेटिक एसोसिएशन द्वारा नेशनल डायटेटिक डे पर वेबिनार का आयोजन
पटना। बाल कुपोषण शिशुओं के बेहतर स्वास्थ्य में बाधक होने के साथ उनके जीवन के सर्वांगीण विकास में बड़ा अवरोधक होता है। आज के समय में बिगड़ती जीवनशैली व अनियमित खानपान के कारण हमारा शरीर कई बीमारियों का घर बन गया है। इनसे लड़ने के लिए शरीर को पर्याप्त पोषण की जरुरत होती है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो सके। नेशनल डायटेटिक दिवस पर पोषण के लिए आहार विविधता की भूमिका पर इंडियन डायटेटिक एसोसिएशन द्वारा वेबिनार का आयोजन किया गया। इस वर्ष की थीम के रूप में ‘डाइटरी डायवर्सिफिकेशन- नीड आफ द आवर’ यानि आहार में विविधता, समय की जरुरत को चुना गया है।
जागरूकता की कमी समुदाय में कुपोषण का मुख्य कारण
वेबिनार में मुख्य वक्ता एवं एक्सपर्ट डॉ. उषा कुमारी, प्रोफेसर, डॉ. राजेंद्र प्रसाद कृषि विश्वविद्यालय, पूसा ने बताया कि समुदाय में जागरूकता की कमी कुपोषण का प्रमुख कारण है। पोषणयुक्त भोजन की उपलब्धता, आमजनों तक इसकी पहुंच एवं सही तरीके से उपयोग कर हम कुपोषण को मात दे सकते हैं। उन्होंने बताया ताजी फलों और सब्जियों का अपने दैनिक आहार में समावेश कर हम पोषित रह सकते हैं। बच्चों में शुरूआत से ही फल और सब्जी के सेवन की आदत लगाना बाल कुपोषण को रोकने में कारगर सिद्ध होगा।
थाली में सूक्ष्म पोषक तत्व युक्त आहार को दें प्राथमिकता
डॉ. उषा ने बताया, भारतीय भोजन की थाली में कार्बोहाइड्रेट और वसायुक्त सामग्रियों की मात्रा अधिक होती है और भोजन में प्रोटीन की समावेश पर ध्यान नहीं दिया जाता है। मौसमी फल और सब्जियों का उपयोग कर बहुत आसानी से हम अपने दैनिक आहार में प्रोटीनयुक्त खाद्य पदार्थों का समावेश बढ़ा सकते हैं और इसमें हरी सब्जियों और रंग-बिरंगे मौसमी फल को शामिल करना सबसे सरल उपाय है।


