December 7, 2025

BIHAR : नागपंचमी पर विभिन्न विषहरी मंदिरों में हुई पूजा अर्चना

श्रद्धालुओं ने रुद्राभिषेक कर कालसर्प दोष से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की


भागलपुर। कोरोना काल में लगे लाॅकडाउन में शारीरिक दूरी का पालन करते हुए जिले के विभिन्न विषहरी मंदिरों में नागपंचमी को श्रद्धा, भक्ति व आस्था के साथ मनाया गया। स्थानीय चंपानगर, नाथनगर, परबत्ती, नया बाजार, दीपनगर, ईश्वर नगर, ईशाकचक, भीखनपुर, छोटी खंजरपुर, बड़ी खंजरपुर, रिफ्यूजी कॉलोनी आदि जगहों पर स्थित विषहारी मंदिरों में भक्तों ने दूध, लावा चढ़ाकर पूजा-अर्चना की। इसके साथ श्रद्धालुओं ने घरों व शिवालयों के समीप नाग देवता का पूजन कर सर्पदंश से रक्षा की प्रार्थना की। इस दौरान लोगों ने घर के दरवाजों के पास गोबर, सिंदूर, नीम का पत्ता से नाग की आकृति बनाई गई। इसके बाद घरों में दूध, लावा नाग देवता को अर्पित कर पूजा-अर्चना की। जागेश्वरनाथ महादेव मंदिर में श्रद्धालुओं ने शिवलिंग में जलाभिषेक किया। गुरुद्वारा रोड़ की शोमा बोस राय ने मंदिर मेें रूद्वाभिषेक कर शादी व नौकरी में आने वाली बाधा को दूर करने का आग्रह किया। उन्होंने बताया कि काल सर्प दोष के कारण उनका काम में विलंब हो रहा है इसीलिए नाग पंंचमी के दिन पूजा-अर्चना की। पंडित समीर कुमार मिश्रा ने बताया कि कार्ल सर्प दोष निवारण के लिए श्रद्धालुओं ने चांदी के नाग-नागिन की पूजन कर उसे गंगा में विसर्जित किया। ऐसा करने से काल सर्प दोष दूर होता है। पंचमी के दिन पूजन करने से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं पूरी होती है।

समिति के पदाधिकारियों ने किया विभिन्न मंदिरों में दौरा

केंद्रीय विषहरी पूजा समिति के अध्यक्ष भोला कुमार मंडल, महासचिव शशि शंकर राय, उपाध्यक्ष सह मीडिया प्रभारी प्रदीप कुमार, उपाध्यक्ष कैलाश यादव, दिनेश मंडल व श्यामल किशोर मिश्र ने शनिवार को अलग-अलग क्षेत्र के मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना की व्यवस्था की जायजा लिया। पदाधिकारियों ने कहा कि सोशल डिस्टेंसिंग के साथ नागपंचमी मनायी गयी। कई जगहों पर गोबर मिट्टी के नाग बना कर श्रृंगार कर पूजा अर्चना की गई।

शिव भक्त थे चांदो सौदागर

मीडिया प्रभारी प्रदीप कुमार ने बताया कि चांदो सौदागर शिवभक्त थे और उनसे विषहरी ने उनकी पूजा करने को कहा। चांदो सौदागर जब पूजा देने को तैयार नहीं हुए तो उनके बेटे को दंशने की बात कही। विषहरी अपनी पांचों बहन के साथ भगवान शिव के पास गयी और उनके नाग मनियार का आह्वान किया। तब नाग मनियार ने कहा कि मेरा भारी शरीर छोटे से छिद्र में कैसे जायेगा। मुझे चलनी, झाडू व सूखा पत्ता से घसना होगा। तब विषहरी अपनी बहन के साथ समुद्र किनारे जाकर उसे पतला किया और चलनी के छेद से आरपार कर देखा और सिंदूर के कीया में बंद कर लाया गया। तब वो चांदो सौदागर के सातवां पुत्र बाला लखेंद्र को डंसा था। मां विषहरी वचनबंद थी कि अगर सर्प दंश करोगे तो मुझसे पहले तुम्हारा पूजा होगा। तभी से विषहरी पूजा से पहले नागपंंचमी मनायी जाती है।

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