दुनिया की प्राचीन भाषा अंगिका की उपेक्षा अब बर्दाश्त से बाहर : डॉ. अमरेंद्र

भागलपुर। एनडीए व सुशासन की सरकार में भी दुनिया की प्राचीन भाषा अंगिका को वाजिब सम्मान व अधिकार से वंचित रखना अंग महाजनपद की प्रगति एवं उन्नति के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है। इसकी उपेक्षा अब बर्दाश्त नहीं होती। उक्त बातें सोमवार को वरीय साहित्यकार डॉ. अमरेंद्र ने स्थानीय एमपी द्विवेदी रोड स्थित आहार होटल के नीचे आयोजित लोकतंत्र में ‘लोकभाषा अंगिका के साथ अन्याय’ विषयक गोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा। उन्होंने कहा कि अब तक सत्ताधारी नेता या दल के लोग एक-दूसरे पर पक्ष-विपक्ष का आरोप लगाकर अंग महाजनपद की लोकभाषा अंगिका को उनके हक-हकूक से वंचित रखा था, किंतु अब तो बिहार में शासित केंद्र व राज्य में एक ही गठबंधन वाली सरकार चल रही है। अब तो अंगिका भाषा को उनका वाजिब सम्मान व अधिकार मिलना ही चाहिए। उन्होंने अब इसके प्रति उदासीनता या उपेक्षा का हावी होना नेताओं को इसके प्रति उनकी कुत्सित सोच व मंशा को उजागर करता है। मौके पर मौजूद कविवर दिनेश बाबा तपन ने कहा कि झारखंड की तरह बिहार लोक सेवा एवं कर्मचारी चयन आयोग की परीक्षा में अंगिका भाषा को शामिल कर बिहार सरकार अंग महाजनपद में स्कूल से लेकर कॉलेज तक के पाठ्यक्रमों में अंगिका भाषा को शामिल करने एवं भारतीय संविधान की आठवीं अनुसूची में अंगिका को शामिल करने हेतु राज्य सरकार को अविलंब पहल करनी चाहिए। इस मौके पर संजय कुमार, विनोद दास, अनिल केडिया, सुनील कुमार, संजय कुमार सहित अन्य लोग मौजूद थे।
