BIHAR : रेलवे आधारभूत संरचना से जुड़े लगभग 700 किमी का कार्य हुआ पूरा, 3318 रूट किमी विद्युतीकृत
हाजीपुर। बिहार राज्य में रेलवे आधारभूत संरचना के विकास में पिछले कुछ वर्षों में काफी गति आई है। वर्ष 2014 से 2020 के मध्य एक ओर जहां यात्री सुविधा, संरक्षा, सुरक्षा के साथ-साथ आधारभूत संरचना से जुड़े कई नए कार्य प्रारंभ किए गए, वहीं दूसरी ओर पूर्व से चले आ रहे अधिकांश कार्य पूरे कर लिए गए तथा शेष बचे कार्यों में काफी तेजी लाई गई है। इसी क्रम में भविष्य की कार्ययोजनाओं पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। इन 6 वर्षों में नई लाइनों का निर्माण, दोहरीकरण, विद्युतीकरण, ट्रैक नवीनीकरण, सड़क ऊपरी पुल (आरओबी), सड़क अंतगार्मी (आरयूबी) का निर्माण जैसे आधारभूत संरचना से जुड़े कई महत्वपूर्ण कार्यों को पूरा किया गया।
इस दौरान बिहार में लगभग 9 हजार करोड़ रूपए की लागत से नई लाइन, दोहरीकरण और आमान परिवर्तन के क्षेत्र में कुल 700 किलोमीटर का कार्य पूरा किया गया। इस प्रकार इन कार्यों को पूरा करने के लिए प्रति किमी लगभग 12 करोड़ रूपए खर्च किए गए। परिचालन दक्षता में सुधार के लिए पुराने बुनियादी ढांचे से जुड़े सिग्नलिंग प्रणाली में सुधार करते हुए कई आरआरआई, ईआई, पीआई कार्यों को पूरा किया गया। इसी का परिणाम है कि आज बिहार में पुराने मैकेनिकल लीवर फ्रेम सिस्टम पूरी तरह से समाप्त हो गए हैं।
वहीं विद्युतीकरण और पर्यावरण सुधार के लिए 01 हजार करोड़ रूपए का निवेश किया गया है। अब तक कुल 3318 रूट किमी का विद्युतीकरण कार्य पूरा किया जा चुका है। एक ओर जहां ट्रेनों एवं मालगाड़ियों की गति में वृद्धि की जा सकी, वहीं इसके समय पालन में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज हुइ है। ग्लोबल वार्मिंग को कम करने और जलवायु परिवर्तन से निपटने में भी काफी सहायता मिल रही है। गैर परंपरागत ऊर्जा को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन देने से न केवल ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है बल्कि जलवायु की भी रक्षा हो रही है। विद्युत इंजन से परिचालन होने के परिणामस्वरूप एचएसडी तेल की बचत के कारण प्रतिवर्ष लगभग 1500 करोड़ रूपए की बचत हो रही है। यही नहीं संरक्षा में सुधार की दिशा में भी कई महत्वपूर्ण कदम उठाए गए । इस क्रम में भीड़-भाड़ वाले समपार फाटकों पर1150 करोड़ रूपए की लागत से कुल 23 सड़क ऊपरी पुल (आरओबी) बनाए गए। इसके निर्माण से रेल परिचालन में तो सुधार हुआ ही साथ ही आमलोगों को भी सड़क जाम से निजात मिली है।
राज्य में लोगों को संरक्षित एवं सुरक्षित रेलसेवा मुहैया कराने के लिए पूर्व मध्य रेल को 3500 करोड़ रूपए की लागत के 1500 एलएचबी कोच, 02 हजार करोड़ रूपए की लागत से 40 मेमू रेक एवं 2400 करोड़ रूपए की लागत के 240 इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव प्राप्त हुए।
माल ढुलाई को सुगम बनाने एवं पहले से स्थापित रेल लाईनों पर बढ़ रहे दबाव को कम करने के उद्देश्य से रेलवे की अनुषंगी संगठन डीएफसीसीआईएल द्वारा दो डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर का निर्माण करवाते हुए इस क्षेत्र में बड़ा निवेश किया गया है। इनमें से एक बिहार से गुजरने वाली इस्टर्न फ्रेट कॉरिडोर, जिसकी कुल लंबाई 1840 किमी है तथा इसका बिहार में विस्तार लगभग 240 किमी का है । इसकी अनुमानित लागत 6900 करोड़ रुपए हैं। यह लाईन बिहार के कैमूर, रोहतास, औरंगाबाद एवं गया जिले से गुजरेगी। इनमें से कैमूर, रोहतास तथा औरंगाबाद जिले में लगभग 70 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है तथा शेष कार्य भी जल्द पूरे कर लिए जाएंगे। इसके अलावा द्वारा बिहार में रेल विकास से जुड़े भविष्य की कार्य योजनाओं को अमल में लाने की दिशा में भी प्रयास किया जा रहा है। भविष्य में 01 हजार किलोमीटर नई लाइनों का निर्माण प्रस्तावित है।


