December 10, 2025

जदयू-राजद जंग में कूदे विधायक राहुल तिवारी ललन सिंह से पूछा ‘क्या हैं नीतीश के राज’

पटना।आसन्न विधानसभा चुनाव के मद्देनजर बिहार में प्रमुख प्रतिद्वंदी दलों जदयू तथा राजद के बीच राजनीतिक वाक् युद्ध का आगाज हो चुका है।आरोप-प्रत्यारोप के बाण बरसने लगे हैं।जदयू के तरफ से सांसद ललन सिंह तथा मंत्री नीरज सिंह ने मोर्चा संभाल रखा है।वहीं राजद की तरफ से लालू यादव की पुत्री सांसद मीसा भारती के बाद अब राजद के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी के पुत्र तथा शाहपुर के विधायक राहुल तिवारी ने कमान संभाला है।आज एक बातचीत के क्रम में विधायक राहुल तिवारी ने कहा कि तेजस्वी यादव को लेकर जदयू के द्वारा जो खुलासा किया जा रहा है।दरअसल वह जनता को भरमाने की एक साजिश है। क्योंकि 2015 के चुनावी हलफनामे में नेता प्रतिपक्ष यादव ने उक्त संपत्ति के साथ साथ अपने एक अन्य पुकार का नाम तरुण यादव का जिक्र भी एफिडेविट के माध्यम से कर रखा है।इसके बावजूद नीरज कुमार के द्वारा इस तरह के अनर्गल प्रलाप सिर्फ जदयू की बौखलाहट को दर्शाता है।विधायक राहुल तिवारी ने कहा की 2014 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद चलकर राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद के पास समर्थन मांगने पहुंचे थे,समर्थन भी मिला, आशीर्वाद से मुख्यमंत्री भी बन गए।अब फिर जब चुनाव सामने है तो जदयू, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार तथा उनके चहेतों को लालू प्रसाद यादव भ्रष्टाचारी दिखने लगे हैं।विधायक राहुल तिवारी ने कहा कि आज सांसद ललन सिंह नीतीश कुमार के बचाव कर रहे हैं।मगर 2010 के 2 मई को पटना के गांधी मैदान में आयोजित किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए उन्होंने खुद कहा था की नीतीश कुमार के पेट में दांत है तथा वे सर्जरी करके सब दांत निकाल देंगे।विधायक राहुल तिवारी ने कहा की गांधी मैदान में आयोजित इस रैली में बड़ी संख्या में लोगों ने सांसद ललन सिंह के उद्गार को सुना था।ललन सिंह उस वक्त भी मुंगेर के सांसद थे तथा आज भी मुंगेर के सांसद हैं।विधायक राहुल तिवारी ने कहा कि सांसद ललन सिंह सर्वप्रथम इस बात का खुलासा करें कि आखिर वह नीतीश कुमार के किन पेट की दातों की बात करते हैं।विधायक राहुल तिवारी ने पूरे जदयू पार्टी से सवाल किया है कि पहले वे लोग इस तथ्य का खुलासा करें कि सांसद ललन सिंह आखिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कौन सा राज जानते हैं। विधायक राहुल के बारे में कहा कि जदयू के नेताओं की बातों पर कतई भरोसा नहीं किया जा सकता है।क्योंकि हालात के अनुसार उनके वक्तव्य हमेशा बदलते रहते हैं।जब भाजपा से विवाद हुआ तब राजद के साथ आ गए।जब राजद तथा कांग्रेस के साथ सरकार बना ली फिर न जाने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार किन वजहों से डर के पुनः भाजपा के शरण में चले गए।

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