December 9, 2025

जानिए इनके बारे में, कोरोना संकट में बने समाज के लिए मिशाल, फोटो खिंचाना इनका शौक नहीं

नेता बनकर नहीं, नियत साफ कर सच्ची सेवा से ला सकते हैं क्षेत्र में खुशहाली


भागलपुर (गौतम सुमन गर्जना)। मेरी तो मजबूरी है साहब कि मैं आपसे राहत के लिए कुछ समान ले रहा हूं, लेकिन आपकी क्या मजबूरी है साहब, जो आप सामान देते हुए मेरे साथ फोटो खिंचवा रहे हैं…? वैश्विक महामारी कोरोना के दौर में राहत सामग्री वितरण के दौरान कुछ इस तरह की बातें एक गरीब मजदूर के मुंह से सुनकर अजीब सा लगा और मैं इस सोच में पड़ गया कि उस मजदूर की मुख से निकला अचानक यह वाक्य बहुत बड़ी बात है और इन बातों में दम है। दरअसल इस कोरोना काल में सरकारी व प्रशासनिक तंत्र फेल होने के बाद अचानक ही हर समाज से समाजसेवियों का हुजूम निकल पड़ा है, जो अपने-अपने तरीकों से लोगों की मदद कर किसी न किसी रूप में कर रहे हैं। कल तलक समाज में जिसकी कोई पूछ नहीं थी, आज वहीं समाजसेवी का चोला पहनकर ज्यादा से ज्यादा सेवा देने में लगातार प्रयासरत हैं और उनकी सेवा जो कि जीव और जीवन मात्र को समर्पित है, उसका कोई मूल्यांकन नहीं कर सकता है। इसी क्रम में सेवा करने का जुनून लिए नाथनगर के एक व्यवसायी दीपक गुप्ता द्वारा लगातार जनता कर्फ्यू के पहले दिन से लेकर अनवरत लोगों की सेवा करने का कार्यक्रम चलाया जा रहा है। उनकी सेवा कार्य में सबसे बड़ा चौंकाने वाला तथ्य यह है कि इन्होंने कभी अपने सेवा कार्य का प्रचार-प्रसार नहीं किया और न ही कभी अखबारों में छपने की ही कोशिश की। दीपक ने यूं तो अपने बारे में किसी को कुछ भी कहने से मना किया था, लेकिन जैसा कि हम हमेशा ऐसी प्रतिभाओं को जानने-समझने और उनके द्वारा किए हुए अमूल्य कार्यों को समाज तक पहुंचाने का कार्य करते रहे हैं, जिससे और भी लोग उस कार्य से प्रेरित व आकर्षित होकर इस तरह के कार्य को करने की प्रेरणा ले सकें। इसी क्रम में जब लोगों द्वारा यह जानकारी प्राप्त हुई कि दीपक गुप्ता जो कि नाथनगर देवीलाल रोड स्थित सुभाष पार्क चौक के निकट हैप्पी मोबाइल सेंटर के प्रोपराइटर हैं, उनके द्वारा लगभग डेढ़ हजार लोगों को अब तक सामर्थ्य के अनुसार एक महीने का राशन मुहैया कराया जा चुका है और यह कदम उन्होंने अपने बड़े भाई दिलीप गुप्ता एवं मां गीता देवी से प्रेरणा लेकर बिना कोई तामझाम के गोपनीय तरीके से उठायी। उन्हें केवल जानकारी मिलती है कि कोई भूखा मर रहा है या फिर उन्हें राहत सामग्री की जरूरत है, बस वहां धूप-छांव की परवाह किए बगैर बिना कोई लाग-लपेट के जरूरत की सामग्री दे आते हैं। लोग कहते हैं कि दीपक इससे पूर्व में बाढ़-सुखाड़, गरीब कन्याओं का विवाह या फिर गरीब लोगों के श्राद्ध, गंभीर बीमारियों की इलाज हेतु जरूरतमंदों को मदद आदि कार्यों में अपनी सेवा का मिसाल पेश करते रहे हैं, जो कि अपने आप में अतुलनीय है। ऐसे जरूरतमंद और नाथनगर वासियों का कहना है कि उनके लिए दीपक गुप्ता किसी ईश्वर से कम नहीं हैं।
इस बाबत जब हमारे संवाददाता ने दीपक गुप्ता से बात की तो उन्होंने हंसते हुए मानवता का वास्ता देते हुए अपने द्वारा किए गए कार्य को और उन से लाभान्वित लोगों के नाम नहीं छापने का आग्रह किया और कहा कि देश-राज्य और समाज को आज किसी नेता या अभिनेता की जरूरत नहीं बल्कि आस्था के साथ एक सच्चे प्रणेता की जरूरत है। जब उनसे पूछा गया कि क्या आपने ये सब अकेले किया है तो उन्होंने मुस्कुराते हुए बहुत ही सादगी के साथ जवाब दिया कि कोई अकेले कुछ नहीं कर सकता और न ही उन्होंने कुछ किया है। उन्होंने बताया कि राजा हो या महाराजा किसी की इतनी औकात नहीं है कि वह किसी एक गरीब या एक भूखे को भोजन करा सके, वह तो अपने भाग्य की खाता है और ईश्वर उनके लिए किसी को जरिया बनाता है। उन्होंने इस तरह की दुखद बेला में गरीब लोगों की सेवा के नाम पर राजनीतिक मेवा पाने की उम्मीद लिए आज कई लोग गरीबों के भोजन के नाम पर भजन ज्यादा करते हैं, जो दुखद है और वे उनकी कड़ी भत्सर्ना करते हैं। उन्होंने बताया कि वे सेवा कार्य लोगों के प्रति अपने दायित्वों का निर्वहन करने के लिए करते हैं, पब्लिसिटी के लिए हरगिज नहीं। भविष्य में आगे भी ऐसी ही सेवा करते रहने का वचन देते हुए उन्होंने कहा कि उदय मान्य सूर्य से लोगों को सीख लेनी चाहिए तथा मानव सेवा समर्पित भाव से अपने सामर्थ्य के अनुसार सदैव करते रहना चाहिए।

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