उपेंद्र, मांझी और मुकेश की मुलाकात कहीं बिहार में तीसरे मोर्चें की सुगबुगाहट तो नहीं

पटना (संतोष कुमार)। लॉकडाउन के बीच बिहार में विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक गलियारे में हलचल तेज हो गई है। भले पार्टियां खुले तौर पर नहीं स्वीकार रहे हो लेकिन अंदरखाने में सभी चुनाव की तैयारी में जुट गए हैं। वहीं आज जिस तरह से हम-रालोसपा और वीआईपी के प्रमुखों ने राजद-कांग्रेस को दरकिनार कर मुलाकात की, उससे यह चर्चा तेज हो चली है कि कहीं यह मुलाकात बिहार में तीसरे मोर्चें की सुगबुगाहट तो नहीं।
मंगलवार को महागठबंधन में शामिल रालोसपा प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा और हम प्रमुख जीतन राम मांझी वीआईपी कार्यालय पहुंचे और वीआईपी के अध्यक्ष मुकेश सहनी से मुलाकात की। हालांकि इस मौके पर कांग्रेस और राजद का कोई नेता मौजूद नहीं था। मुलाकात खत्म होने के बाद जब उपेंद्र कुशवाहा और जीतन राम मांझी बाहर निकले तो उन्होंने मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। उपेंद्र कुशवाहा ने कहा कि जो भी कहना है मुकेश सहनी ही कहेंगे। वहीं जब पत्रकारों से मुकेश सहनी से बात की तो उन्होंने बताया कि हम तीनों नेताओं के बीच कई मुद्दों पर बात हुई लेकिन सबसे महत्वपूर्ण जिस विषय पर बात हुई वह दूसरे राज्यों से बिहार लौट रहे प्रवासी मजदूरों को लेकर है। उन्होंने इस दौरान राज्य सरकार पर जमकर हमला बोला। लेकिन चुनाव से संबंधित जब सवाल किए तो वे मुकर गए, कहा कि अभी हमें प्रवासी मजदूरों की सबसे ज्यादा चिंता है और समय आने पर चुनाव के बाबत बात करेंगे।
बहरहाल, राजद-कांग्रेस की दूरी महागठबंधन में कई सवालों को जन्म दे रहा है। आज मिले महागठबंधन के तीन विभिन्न पार्टियों के प्रमुखों ने विधानसभा चुनाव की रणनीति पर चर्चा की है। जिससे यह कयास लगने लगा है कि कहीं यह मुलाकात बिहार में तीसरे मोर्चें की सुगबुगाहट तो नहीं। क्योंकि अगर हाल के राजनीति हालातों पर नजर डालेंगे तो महागठबंधन में 5 पार्टियां शामिल हैं राजद, कांग्रेस, हम, रालोसपा और वीआईपी। लेकिन जब भी महागठबंधन की बैठक हो रही है तो हम, रालोसपा और वीआईपी के प्रमुख तो शामिल हो रहे हैं, परंतु राजद और कांग्रेस हमेशा दूर-दूर रह रही है। वहीं समय-समय पर हम प्रमुख का बयान आग में घी का काम कर जाता है, इसे लेकर हम-राजद में खूब जुबानी जंग भी हो चुकी है।
