December 5, 2025

ग्रहण से उत्पन्न कोरोना का ग्रहण में होगा अंत, संक्रमण इस दिन तक रहेगा प्रभावित

पटना। विगत साल 26 दिसम्बर को वर्ष 2019 का अंतिम सूर्यग्रहण लगा था, तभी से इस वैश्विक महामारी कोरोना वायरस का आरंभ हुआ है। वह सूर्यग्रहण साल 2019 के अंतिम समय में मूल नक्षत्र व देवगुरु वृहस्पति से युक्ति के साथ लगा था और जब भी शुभ ग्रहों से युक्त होकर ग्रहण लगता है। तब किसी न किसी रुप में श्रृष्टि पर इसका असर देखने को मिलता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार छह गंड नक्षत्रों के श्रेणी में मूल नक्षत्र को मुख्य माना गया है। यद्यपि मूल नक्षत्र या अन्य गंड नक्षत्र को चुनिंदा कार्यों को शुभ माना जाता है। परंतु उस नक्षत्र के गंड समय में किसी जातक का जन्म हो तो वह शुभ नहीं माना जाता है।
गंड मूल नक्षत्र के कारण कोरोना की ऐसी है स्थिति
भारतीय ज्योतिष विज्ञान परिषद के सदस्य आचार्य राकेश झा ने विष्णु पुराण के हवाले से बताया कि आदित्यान्निस्मृतो राहु: सोमं गच्छति पर्वसु। आदित्यमेति सोमाच्च पुन: सौरेषु पर्वसु। ज्योतिष में राहु-केतु को छाया ग्रह माना गया है तथा राहु के प्रभाव से ही ग्रहण का योग बनता है। प्रत्येक मास के पूर्णिमा तिथि को चन्द्रमा राहु के अक्ष में जाता है, फिर पुन: अमावस्या को सूर्य राहु के अक्ष में पहुंच जाता है। यही कारण है कि सूर्य या चंद्रमा जब राहु से पीड़ित होता है, तब ग्रहण का योग बनता है। जिस समय ग्रहण लगता है, उस समय सभी शुभ ग्रह शक्तिहीन हो जाते हैं। इसीलिए गत वर्ष के ग्रहण में कोरोना रुपी महामारी की सामना विश्व को करना पड़ रहा है। गंड मूल नक्षत्र में जन्म लेने वाला जीव को भी अपने जीवन काल में घोर कष्ट का सामना करना पड़ता है। फिर गंड नक्षत्र में लगा सूर्यग्रहण के प्रभाव से अच्छा हो यह कहां संभव हो सकता है। ग्रहण लगना कभी भी अच्छा नहीं माना जाता है। ग्रहण के असर समस्त मानवजाति, पशु-पक्षी, राज्य, देश और विश्व पर पड़ता है। जो गत वर्ष की प्रभाव प्रत्यक्ष सभी जीवो पर मृत्यु तुल्य कष्ट देखने को मिल रहा है। जिसका प्रादुर्भाव होता है, उसका अंत भी निश्चित है फिर भी कुछ समय के लिए व्याकुलता की स्थिति बढ जाती है।
सूर्यग्रहण के बाद कोरोना के प्रकोप से मिलेगी मुक्ति
ज्योतिषी झा के अनुसार गत वर्ष सूर्यग्रहण के फलस्वरुप महामारी उत्पन्न हुआ, जो लगातार किसी न किसी दिशा में अपना अशुभ प्रभाव दे रहा है। यह संक्रमण 21 जून 2020 को लगने वाला खंडग्रास सूर्यग्रहण तक प्रभावित रहेगा। आषाढ कृष्ण अमावस्या दिन रविवार को लग रहा सूर्य ग्रहण से कोरोना संक्रमण का प्रभाव कम होना शुरू हो जाएगा। 21 जून को सूर्यग्रहण मिथुन राशि व मृगशिरा नक्षत्र में लगेगा। मिथुन के स्वामी बुध के साथ राहु की युति बन रही है। राहु को स्वगृही होने से अशुभ प्रभाव में कमी आती है। आगामी ग्रहण में वक्री ग्रहों के साथ बुधादित्य योग भी लग रहा है। इस ग्रहण में चूड़ामणि योग बन रहा है, जो अत्यंत उत्तम फल देने वाला है। इस ग्रहण के बाद देश के साथ सभी प्रदेशों को भी इस महामारी से छुटकारा मिल जाएगा। यह सूर्यग्रहण 21 जून रविवार को मिथिला से प्रकाशित वि.वि. पंचांग के अनुसार सुबह 10:25 बजे से दोपहर 01:52 बजे तक रहेगा। ग्रहण की अवधि 3 घंटा 27 मिनट का होगा। यह सूर्यग्रहण भारत समेत कई प्रदेशों में भी देखा जाएगा। लॉक डाउन का पालन करना ही स्वयं तथा समाज की बचाव का मार्ग है। फिलहाल इस महामारी से बचने के लिए महामृत्युंजय मंत्र, गायत्री मंत्र, आदित्य हृदय स्त्रोत का पाठ तथा वैदिक धार्मिक कर्म अपेक्षित हैं।

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