आखिरकार 11 दिन बाद प्रशासन ने ली सुध, भारी विरोध के बीच तम्बू में रहने वाले मजदूरों को स्कूल में किया गया शिफ्ट

फतुहा। 11 दिन बाद जैसे ही स्थानीय प्रशासन को इस बात की जानकारी हुई की तंबू में रहने वाले लोगों की खबर मीडिया के हाथ लग गयी है तो उनके पसीने छूटने लगे। तत्काल आला अधिकारी से निर्देश ले बीडीओ मृत्युंजय कुमार, प्रभारी सीओ अजय राज, एमओ रंजीता वर्मा, स्वास्थ्य विभाग की एक टीम तथा पुलिस पदाधिकारी की एक टीम आनन-फानन में सरवाहनपुर गांव पहुंची और वहां से दो किलोमीटर की दूरी तय कर उस टाल क्षेत्र में गये, जहां बाहर से आए 13 मजदूर बिना किसी सरकारी सुविधा व बिना सोशल डिस्टेंस के रहने को मजबूर थे। प्रशासन द्वारा उन सभी को तम्बू से बाहर निकालकर गांव के उत्क्रमित मध्य विद्यालय लाया गया। लेकिन ग्रामीणों ने कोरोना संक्रमण के फैलने के भय से स्कूल में ठहराने का जबरदस्त विरोध कर दिया। ग्रामीण महिलाओं द्वारा भी भारी विरोध किया गया। विरोध को देखते हुए प्रशासन के पसीने छूटने लगे। करीब तीन घंटे बाद सामाजिक कार्यकर्ताओं के सहयोग से ग्रामीणों को समझाया गया और स्कूल के दो कमरे खोले गए। एक कमरे में पांच मजदूर तथा दूसरे बड़े कमरे में आठ लोगों को शिफ्ट किया गया। उसके बाद तुरंत स्कूल के रसोईया को बुलाया गया तथा मुखिया के फंड से वहां पर उनके खाने-पीने के लिए व्यवस्था कराया गया। विदित हो कि 13 मजदूर जो इसी गांव के हैं, पिछले 11 दिन से गांव से बाहर टाल में एक तम्बू तानकर रहने को मजबूर थे तथा सरकारी उदासीनता के शिकार थे। बताया जाता है कि ये सभी लोग दिल्ली, हरियाणा से लौटकर दानापुर पहुंचे थे। जहां इनकी जांच कर क्वारेंटाइन सेंटर में रखा गया था लेकिन वे सभी भागकर अपने गांव पहुंच गये थे। दूसरी तरफ मोहिउदीनपुर पंचायत में भी बाहर से आए चार मजदूरों को अब्दुल्लापुर के सरकारी स्कूल में प्रशासन द्वारा रखवाया गया है।
बता दें बुधवार को अमृतवर्षा न्यूज डाट इन ने ‘ग्रामीणों के डर से 13 लोग एक तम्बू के नीचे हैं क्वारेंटाइन’ शीर्षक खबर प्रकाशित किया था, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आयी और गुरूवार को एक स्कूल में शिफ्ट करने का काम किया।

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