पटना में लाइब्रेरियन अभ्यर्थियों का विरोध प्रदर्शन, बिहार बोर्ड के ऑफिस के बाहर किया हंगामा, नोटिफिकेशन जारी करने की मांग
पटना। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इन दिनों दिल्ली दौरे पर हैं, लेकिन उनकी गैरमौजूदगी में सोमवार को राजधानी पटना की सड़कों पर सियासी और प्रशासनिक हलचल तेज देखने को मिली। लाइब्रेरियन (एलईटी) बहाली की मांग को लेकर सैकड़ों अभ्यर्थी सड़कों पर उतर आए और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के मुख्य गेट के सामने जोरदार प्रदर्शन किया। कड़ाके की ठंड के बावजूद सुबह-सुबह बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों के जुटने से इलाके में अफरा-तफरी का माहौल बन गया।
सुबह से ही बिहार बोर्ड के गेट पर जुटे अभ्यर्थी
सोमवार की सुबह पटना में उस समय बवाल मच गया जब लाइब्रेरियन (एलईटी) के सैकड़ों अभ्यर्थी बिहार बोर्ड कार्यालय के गेट पर पहुंच गए। अभ्यर्थियों ने नारेबाजी करते हुए बोर्ड और सरकार के खिलाफ अपना आक्रोश जाहिर किया। ठंड के बावजूद अभ्यर्थी लंबे समय तक धरने पर बैठे रहे और साफ कहा कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, वे आंदोलन जारी रखेंगे।
“बिहार बोर्ड पर भरोसा नहीं, लेकिन सीएम से अब भी उम्मीद”
प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों का कहना था कि अब उन्हें बिहार बोर्ड पर भरोसा नहीं रहा, क्योंकि सालों से केवल आश्वासन ही मिल रहा है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अब भी उन्हें उम्मीद है। अभ्यर्थियों ने कहा कि सरकार ने वादा किया था कि विधानसभा चुनाव से पहले लाइब्रेरियन (एलईटी) की बहाली प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी, लेकिन चुनाव खत्म होने के महीनों बाद भी न तो पात्रता परीक्षा ली गई और न ही नोटिफिकेशन जारी हुआ।
17 वर्षों से बहाली नहीं, हजारों पद खाली
अभ्यर्थियों का दावा है कि उनके क्षेत्र में पिछले 17 वर्षों से कोई बहाली नहीं हुई है। वर्ष 2008 के बाद से लाइब्रेरियन पदों पर नियुक्ति पूरी तरह ठप है। अनुमान के मुताबिक राज्य भर में करीब 10 हजार पद आज भी खाली पड़े हैं। अभ्यर्थियों का कहना है कि इतने लंबे समय तक बहाली न होना सरकार और विभागीय लापरवाही को दर्शाता है।
पात्रता परीक्षा तक नहीं, नाराजगी चरम पर
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि बहाली की बात तो दूर, अभी तक लाइब्रेरियन (एलईटी) की पात्रता परीक्षा तक आयोजित नहीं की गई है। हर बार “अगले महीने” नोटिफिकेशन जारी होने का भरोसा दिया जाता है, लेकिन अगला महीना कब आएगा, इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी जाती। इसी अनिश्चितता और लगातार टलते फैसलों के कारण अभ्यर्थियों में गहरा रोष है।
अध्यक्ष से मिलने की मांग, नहीं मिलने पर धरने की चेतावनी
आंदोलन कर रहे अभ्यर्थियों ने स्पष्ट कहा कि वे बिहार बोर्ड के अध्यक्ष से मिलना चाहते हैं। उनका कहना था कि अगर अध्यक्ष उनसे मिलने नहीं आते हैं तो वे बोर्ड कार्यालय के सामने ही धरने पर बैठेंगे और पीछे नहीं हटेंगे। अभ्यर्थियों ने चेतावनी दी कि मांगें नहीं मानी गईं तो आंदोलन को और व्यापक रूप दिया जाएगा।
नई नियमावली के बावजूद विज्ञापन नहीं, आउटसोर्सिंग की आशंका
अभ्यर्थियों की नाराजगी का एक बड़ा कारण यह भी है कि नई नियमावली लागू होने के बावजूद अब तक लाइब्रेरियन (एलईटी) का विज्ञापन जारी नहीं किया गया है। इसके साथ ही अभ्यर्थियों को इस बात की भी आशंका है कि सरकार कहीं बहाली प्रक्रिया को आउटसोर्सिंग के जरिए न कर दे, जिससे योग्य उम्मीदवारों के भविष्य पर संकट आ सकता है।
पहले भी हो चुके हैं आंदोलन, मुख्यमंत्री का काफिला तक रोका
गौरतलब है कि पटना में लाइब्रेरियन (एलईटी) बहाली को लेकर यह पहला आंदोलन नहीं है। बीते कई वर्षों से अभ्यर्थी लगातार प्रदर्शन करते आ रहे हैं। हाल ही में अभ्यर्थियों ने मुख्यमंत्री के काफिले को रोककर भी अपनी मांगें रखी थीं और बड़े आंदोलन की चेतावनी दी थी। इसके बावजूद अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया, जिससे अभ्यर्थियों का गुस्सा और बढ़ गया है।
सरकार से जल्द फैसले की मांग
प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की है कि जल्द से जल्द लाइब्रेरियन (एलईटी) का नोटिफिकेशन जारी किया जाए और पात्रता परीक्षा की तिथि घोषित की जाए। अभ्यर्थियों का कहना है कि वर्षों की मेहनत और इंतजार के बाद अब वे और टालमटोल बर्दाश्त नहीं करेंगे। अगर सरकार ने जल्द फैसला नहीं लिया तो आंदोलन और उग्र रूप ले सकता है। पटना की सड़कों पर हुआ यह प्रदर्शन साफ संकेत देता है कि लाइब्रेरियन बहाली का मुद्दा अब गंभीर रूप ले चुका है। अब देखना होगा कि सरकार और बिहार बोर्ड इस पर कब और क्या ठोस कदम उठाते हैं।


