December 24, 2025

बिहार के ग्राम पंचायतों में मुफ्त मिलेगी बीपी और शुगर की दवा, 1 महीने तक लोगों को मिलेगा लाभ

पटना। बिहार सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को गांव-गांव तक पहुंचाने की दिशा में लगातार नए कदम उठा रही है। इसी कड़ी में अब राज्य की ग्राम पंचायतों में लोगों को बीपी और शुगर जैसी बीमारियों की दवाएं मुफ्त उपलब्ध कराई जाएंगी। इसका लाभ मरीजों को एक बार में पूरे एक महीने तक मिलेगा। यह पहल खासतौर पर उन लोगों के लिए राहत लेकर आई है, जो दूर-दराज के इलाकों में रहते हैं और छोटी-छोटी बीमारियों के इलाज के लिए भी जिला या प्रखंड अस्पतालों पर निर्भर रहते थे।
स्वास्थ्य उपकेंद्र से हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर तक
राज्य सरकार का लक्ष्य है कि इलाज की बुनियादी सुविधाएं पंचायत स्तर पर ही उपलब्ध हों। इसी सोच के तहत स्वास्थ्य उपकेंद्रों को चरणबद्ध तरीके से हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर में बदला जा रहा है। इन केंद्रों पर अब केवल प्राथमिक इलाज ही नहीं, बल्कि गैर-संचारी रोगों जैसे उच्च रक्तचाप और मधुमेह की नियमित जांच और दवा वितरण की सुविधा भी दी जा रही है। इससे लोगों को बार-बार बड़े अस्पतालों की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी।
डिजिटल सिस्टम से जुड़ रही स्वास्थ्य व्यवस्था
दवाओं की उपलब्धता को सुनिश्चित करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने ड्रग एंड वैक्सीन डिस्ट्रीब्यूशन मैनेजमेंट सिस्टम यानी डीवीडीएमएस को लागू किया है। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए दवाओं की मांग, आपूर्ति और स्टॉक की स्थिति पर नजर रखी जा रही है। अब तक राज्य के 13,856 स्वास्थ्य संस्थानों को इस सिस्टम से जोड़ा जा चुका है। इनमें स्वास्थ्य उपकेंद्र, हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र शामिल हैं।
दवा की कमी पर लगेगा अंकुश
डीवीडीएमएस से जुड़ने के बाद हर स्वास्थ्य केंद्र की जरूरत के अनुसार दवाओं की मांग और आपूर्ति को ट्रैक किया जा सकता है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकेगा कि किस केंद्र पर किस दवा की कमी है और कहां अतिरिक्त स्टॉक उपलब्ध है। विभाग का मानना है कि जब यह मैपिंग मजबूत होगी, तभी दवा की किल्लत से जुड़ी शिकायतें कम होंगी। इससे कागजों में नहीं, बल्कि जमीन पर दवाओं की उपलब्धता दिखाई देगी।
बीपी और शुगर की नियमित जांच और इलाज
राज्य में तेजी से बढ़ रही गैर-संचारी बीमारियों को देखते हुए हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर बीपी और शुगर की नियमित स्क्रीनिंग की जा रही है। जांच के बाद मरीजों को एक बार में 30 दिनों की दवा दी जा रही है। इससे मरीजों को बार-बार दवा लेने के लिए केंद्र पर आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही, इलाज की निरंतरता बनी रहेगी, जो इन बीमारियों में बेहद जरूरी होती है।
अस्पतालों पर घटेगा दबाव
पंचायत स्तर पर इलाज और दवा मिलने से जिला और प्रखंड अस्पतालों पर पड़ने वाला दबाव भी कम होगा। अभी तक बड़ी संख्या में मरीज केवल दवा लेने के लिए बड़े अस्पतालों में पहुंच जाते थे, जिससे वहां भीड़ बढ़ जाती थी। अब जब गांव में ही दवा उपलब्ध होगी, तो अस्पतालों में गंभीर मरीजों को बेहतर और समय पर इलाज मिल सकेगा। इससे स्वास्थ्य व्यवस्था अधिक संतुलित और प्रभावी बन पाएगी।
हर स्तर के केंद्र के लिए तय दवाएं
स्वास्थ्य विभाग ने डीवीडीएमएस से जुड़े हर स्तर के स्वास्थ्य केंद्र के लिए दवाओं की संख्या तय कर दी है। हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर लगभग 100 प्रकार की दवाएं उपलब्ध रखने के निर्देश हैं। स्वास्थ्य उपकेंद्रों पर 25 तरह की दवाएं और अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर 120 से 130 प्रकार की दवाएं रखने की व्यवस्था की गई है। इससे मरीजों को बाहर से दवा खरीदने की मजबूरी नहीं रहेगी।
निशुल्क दवा वितरण में बिहार की उपलब्धि
निशुल्क ड्रग डिस्ट्रीब्यूशन के मामले में बिहार लगातार देश के अग्रणी राज्यों में शामिल रहा है। नवंबर महीने में भी इस क्षेत्र में राज्य ने शीर्ष स्थान हासिल किया है। बड़े और संसाधन संपन्न राज्यों को पीछे छोड़ते हुए बिहार ने 81 प्रतिशत से अधिक स्कोर किया है। स्वास्थ्य विभाग इसे अपनी योजनाओं और जमीनी कार्यान्वयन की सफलता मान रहा है।
मजबूत सप्लाई चेन से दवा पहुंचाने की व्यवस्था
दवाओं को जिला से ब्लॉक और फिर पंचायत स्तर तक समय पर पहुंचाने के लिए राज्य में 170 औषधि वाहन लगातार काम कर रहे हैं। दवा आपूर्ति के लिए दो स्तर की व्यवस्था बनाई गई है, जिससे सप्लाई चेन मजबूत बनी रहे। इसका असर यह हुआ है कि दूर-दराज और पिछड़े इलाकों के स्वास्थ्य केंद्रों तक भी समय पर दवाएं पहुंचाई जा रही हैं।
ग्रामीण और वंचित वर्ग को राहत
इस पहल का सबसे बड़ा फायदा ग्रामीण और हाशिये पर खड़े लोगों को मिलेगा। जिन परिवारों के लिए दवा खरीदना एक आर्थिक बोझ था, उन्हें अब मुफ्त इलाज और दवा की सुविधा पंचायत स्तर पर ही मिल सकेगी। इससे स्वास्थ्य सेवाओं में समानता बढ़ेगी और इलाज को लेकर लोगों का भरोसा भी मजबूत होगा।
स्वास्थ्य व्यवस्था को नई दिशा
डिजिटल सिस्टम, पंचायत स्तर पर इलाज और मजबूत सप्लाई चेन के जरिए बिहार सरकार स्वास्थ्य व्यवस्था को नई दिशा देने की कोशिश कर रही है। अगर यह मॉडल इसी तरह प्रभावी ढंग से लागू होता रहा, तो इलाज सिर्फ एक सरकारी योजना नहीं, बल्कि आम लोगों के जीवन का सहज हिस्सा बन जाएगा। इससे यह उम्मीद भी जगी है कि भविष्य में बिहार की स्वास्थ्य सेवाएं और अधिक मजबूत, सुलभ और भरोसेमंद बनेंगी।

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