पटना में प्रॉपर्टी टैक्स के लिए चलेगा विशेष अभियान, लोगों के घरों पर पहुंचेगी निगम की टीम, 19 सड़के हुई अपग्रेड
पटना। नगर निगम ने शहर में संपत्ति कर व्यवस्था को अधिक व्यवस्थित और प्रभावी बनाने के लिए एक विशेष अभियान शुरू करने का निर्णय लिया है। इस अभियान का उद्देश्य न केवल बकाया संपत्ति कर की वसूली करना है, बल्कि उन संपत्तियों को भी कर के दायरे में लाना है, जो अब तक टैक्स सिस्टम से बाहर रह गई थीं। नगर विकास एवं आवास विभाग से अनुमति मिलने के बाद निगम ने शहर की सड़कों का नया क्लासिफिकेशन लागू किया है, जिसका सीधा असर प्रॉपर्टी टैक्स की दरों पर पड़ रहा है।
सड़कों का पुनर्वर्गीकरण
नगर निगम द्वारा किए गए नए वर्गीकरण के तहत शहर की कुल 112 सड़कों को दो प्रमुख श्रेणियों में बांटा गया है। इनमें 43 सड़कों को प्रधान मुख्य सड़क और 69 सड़कों को मुख्य सड़क की श्रेणी में रखा गया है। इससे पहले पटना में केवल 24 सड़कों को प्रधान मुख्य सड़क और 88 सड़कों को मुख्य सड़क माना जाता था। इस बदलाव से स्पष्ट है कि शहरी विकास और यातायात की बढ़ती जरूरतों के अनुसार सड़कों की स्थिति और महत्व को नए सिरे से परिभाषित किया गया है।
19 नई सड़कों का अपग्रेड होना
इस नए क्लासिफिकेशन में 19 सड़कों को विशेष रूप से प्रधान मुख्य सड़क में अपग्रेड किया गया है। इन सड़कों के दायरे में लगभग 5500 आवासीय संपत्तियां आती हैं। इन संपत्तियों पर अब पहले की तुलना में अधिक प्रॉपर्टी टैक्स देना होगा। नगर निगम के अनुसार, यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि इन सड़कों पर व्यावसायिक गतिविधियां, यातायात दबाव और बुनियादी सुविधाओं का स्तर अन्य सड़कों की तुलना में अधिक है।
टैक्स दरों में बदलाव का प्रभाव
सड़कों की श्रेणी बदलने का सबसे बड़ा असर संपत्ति कर की दरों पर पड़ा है। अन्य सामान्य सड़कों पर जहां प्रति यूनिट टैक्स की दर 10 रुपये निर्धारित है, वहीं मुख्य सड़क पर यह बढ़कर 20 रुपये प्रति यूनिट हो जाती है। प्रधान मुख्य सड़क पर स्थित संपत्तियों के लिए टैक्स दर 30 रुपये प्रति यूनिट तय की गई है। इस बदलाव से उन लोगों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ेगा, जिनकी संपत्तियां अब उच्च श्रेणी की सड़कों में शामिल कर ली गई हैं।
आवासीय संपत्तियों पर असर
पटना नगर निगम क्षेत्र में कुल लगभग 2.93 लाख आवासीय संपत्तियां दर्ज हैं। नए क्लासिफिकेशन के चलते इनमें से करीब 5500 घरों के टैक्स में वृद्धि हुई है। निगम का मानना है कि यह वृद्धि शहर के विकास कार्यों, सड़क सुधार, सफाई व्यवस्था और अन्य नागरिक सुविधाओं को बेहतर बनाने में सहायक होगी। हालांकि, आम नागरिकों के बीच इसे लेकर मिली-जुली प्रतिक्रिया देखने को मिल रही है।
बकाया टैक्स वसूली के लिए विशेष अभियान
नगर निगम ने बकाया संपत्ति कर की वसूली के लिए विशेष टीमों का गठन किया है। ये टीमें सोमवार से घर-घर जाकर लोगों को ओटीएस यानी वन टाइम सेटलमेंट योजना के तहत बकाया टैक्स भुगतान के लिए जागरूक करेंगी। इस अभियान के दौरान नागरिकों को टैक्स भुगतान की प्रक्रिया, छूट और समय-सीमा की जानकारी भी दी जाएगी, ताकि अधिक से अधिक लोग स्वेच्छा से अपना बकाया टैक्स जमा कर सकें।
टैक्स के दायरे से बाहर संपत्तियों की पहचान
इस विशेष अभियान का एक अहम उद्देश्य उन संपत्तियों की पहचान करना भी है, जो अब तक प्रॉपर्टी टैक्स के दायरे में नहीं आई थीं। नगर निगम का अनुमान है कि कई आवासीय और व्यावसायिक भवन ऐसे हैं, जो किसी कारणवश टैक्स रिकॉर्ड में दर्ज नहीं हो सके। इन संपत्तियों को चिह्नित कर टैक्स नेटवर्क में शामिल किया जाएगा, जिससे निगम की राजस्व स्थिति मजबूत हो सके।
व्यावसायिक संपत्तियों पर दोगुना टैक्स
पटना नगर निगम क्षेत्र में लगभग 48 हजार व्यावसायिक संपत्तियां मौजूद हैं। नए निर्णय के तहत इन सभी के संपत्ति कर में वृद्धि कर दी गई है। होटल, जिम, हेल्थ क्लब, निजी अस्पताल, बैंक और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर अब पहले की तुलना में दोगुना संपत्ति कर लगेगा। निगम का कहना है कि व्यावसायिक गतिविधियों से होने वाली आय को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
निगम के फैसले का उद्देश्य
नगर निगम का तर्क है कि संपत्ति कर में की गई यह वृद्धि शहर के बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के लिए जरूरी है। सड़कों का रखरखाव, जल निकासी, स्ट्रीट लाइट, कचरा प्रबंधन और अन्य नागरिक सुविधाओं पर होने वाला खर्च लगातार बढ़ रहा है। ऐसे में कर प्रणाली को यथार्थवादी और पारदर्शी बनाना आवश्यक हो गया है। पटना नगर निगम का यह विशेष अभियान और सड़कों का नया क्लासिफिकेशन शहर के प्रशासनिक और आर्थिक ढांचे में एक बड़ा बदलाव माना जा सकता है। जहां एक ओर इससे नागरिकों पर टैक्स का बोझ बढ़ेगा, वहीं दूसरी ओर इससे नगर निगम को विकास कार्यों के लिए अतिरिक्त संसाधन भी मिलेंगे। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह व्यवस्था नागरिक सुविधाओं में कितना सुधार ला पाती है और आम जनता इसे किस रूप में स्वीकार करती है।


