December 17, 2025

पटना में कचरा की नई गाड़ियों को खरीदेगी नगर निगम, 37 फ़ीसदी गाड़ियां खराब, नए वाहनों पर होगा फैसला

पटना। नगर निगम शहर की साफ-सफाई व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए एक अहम कदम उठाने की तैयारी में है। लंबे समय से नए कचरा वाहनों की खरीद नहीं होने के कारण निगम के कई वाहन जर्जर हो चुके हैं, जिससे डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था प्रभावित हो रही है। अब नगर निगम नई कचरा गाड़ियों की खरीद पर विचार कर रहा है और इस संबंध में फैसला 18वीं सशक्त स्थायी समिति की बैठक में लिया जाएगा। पार्षदों की लगातार मांग और जमीनी समस्याओं को देखते हुए निगम प्रशासन इस दिशा में आगे बढ़ता दिख रहा है।
जर्जर वाहनों से बढ़ी समस्याएं
नगर निगम के पास मौजूद कई कचरा वाहन तकनीकी रूप से बेहद खराब हालत में हैं। कई गाड़ियों में न तो नंबर प्लेट लगी है और न ही उनकी बॉडी की स्थिति ठीक है। नतीजतन, जब ये वाहन सड़कों पर चलते हैं तो उनसे कचरा गिरता रहता है, जिससे न सिर्फ गंदगी फैलती है बल्कि ट्रैफिक और आम लोगों को भी परेशानी होती है। इसके अलावा, आए दिन वाहनों के बीच रास्ते में खराब हो जाने की शिकायतें भी मिलती रहती हैं, जिससे कचरा उठाने का काम बाधित होता है।
कुल वाहनों की स्थिति और आंकड़े
पटना नगर निगम के पास फिलहाल कुल 523 कचरा वाहन हैं। इनमें से केवल 327 वाहन ही चलने लायक बचे हैं, जबकि 196 वाहन पूरी तरह से अनुपयोगी हो चुके हैं। यानी लगभग 37 प्रतिशत कचरा वाहन खराब हालत में हैं। यह आंकड़ा साफ तौर पर दर्शाता है कि मौजूदा संसाधनों के सहारे शहर की साफ-सफाई व्यवस्था को लंबे समय तक सुचारू रूप से चलाना मुश्किल होता जा रहा है।
मरम्मत पर भारी खर्च, नए वाहन अधिक व्यावहारिक
इसी साल सितंबर महीने में मिशन विश्वकर्मा के तहत कचरा वाहनों की मरम्मत कराई गई थी। हालांकि नगर निगम का कहना है कि पुराने वाहनों की मरम्मत पर लगातार भारी खर्च आ रहा है, जबकि उसका परिणाम स्थायी नहीं है। कुछ समय बाद वही वाहन फिर खराब हो जाते हैं। ऐसे में निगम प्रशासन मानता है कि बार-बार रिपेयर कराने के बजाय नए वाहन खरीदना अधिक व्यावहारिक और दीर्घकालिक समाधान होगा।
डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन की मौजूदा व्यवस्था
डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन को व्यवस्थित ढंग से संचालित करने के लिए पटना नगर निगम ने पूरे शहर को 375 सेक्टर में विभाजित किया है। प्रत्येक सेक्टर के लिए कचरा वाहन तैनात किए गए हैं, ताकि रोजाना नियमित रूप से घर-घर से कचरा उठाया जा सके। लेकिन जब किसी सेक्टर में तैनात वाहन खराब हो जाता है, तो वहां की पूरी व्यवस्था चरमरा जाती है और स्थानीय लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।
क्लोज टिपर वाहनों की चिंताजनक हालत
नगर निगम के बेड़े में कुल 373 क्लोज टिपर वाहन शामिल हैं। इनमें से केवल 184 वाहन ही फिलहाल चलने लायक हैं। यानी आधे से अधिक क्लोज टिपर वाहन खराब हो चुके हैं। यह स्थिति विशेष रूप से गंभीर मानी जा रही है, क्योंकि क्लोज टिपर वाहन कचरा ढोने के लिए मुख्य साधन हैं और इन्हीं के भरोसे शहर की सफाई व्यवस्था टिकी हुई है।
सीएनजी वाहनों की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर
क्लोज टिपर के अलावा नगर निगम के पास 150 सीएनजी क्लोज टिपर वाहन भी हैं। इनमें से 143 वाहन अभी उपयोग में हैं, जबकि केवल 7 वाहन ही खराब बताए गए हैं। अधिकारियों का कहना है कि सीएनजी वाहन अपेक्षाकृत नए हैं और उनकी मेंटेनेंस लागत भी कम है। इसी वजह से निगम भविष्य में नए कचरा वाहनों की खरीद में सीएनजी या अन्य आधुनिक विकल्पों पर भी विचार कर सकता है।
अलग-अलग अंचलों में असमान स्थिति
शहर के विभिन्न अंचलों में कचरा वाहनों की स्थिति समान नहीं है। नूतन राजधानी और पाटलिपुत्र अंचल को 80-80 सेक्टर में बांटा गया है। खासतौर पर पाटलिपुत्र अंचल में स्थिति ज्यादा खराब बताई जा रही है, जहां आधे से अधिक क्लोज टिपर वाहन खराब हो चुके हैं। इससे वहां के कई सेक्टरों में नियमित कचरा कलेक्शन प्रभावित हो रहा है और लोगों की शिकायतें लगातार बढ़ रही हैं।
पार्षदों की मांग और समिति की बैठक
नगर निगम के पार्षद लंबे समय से नई कचरा गाड़ियों की खरीद की मांग कर रहे थे। उनका कहना है कि खराब वाहनों के कारण सफाई कर्मियों को भी दिक्कत होती है और नागरिकों में नगर निगम की छवि खराब होती है। अब 18वीं सशक्त स्थायी समिति की बैठक में इस मुद्दे को गंभीरता से रखा जाएगा, जहां नए वाहनों की संख्या, प्रकार और खरीद प्रक्रिया पर निर्णय होने की संभावना है।
नई गाड़ियों से क्या होगा फायदा
यदि नगर निगम नए कचरा वाहन खरीदता है, तो इससे डोर-टू-डोर कचरा कलेक्शन व्यवस्था में सुधार होगा। कचरा गिरने की समस्या कम होगी, सफाई कर्मियों का काम आसान होगा और शहर की सड़कों पर गंदगी भी घटेगी। साथ ही, कम ब्रेकडाउन होने से समय और पैसे दोनों की बचत होगी।
आगे की राह और उम्मीदें
नगर निगम के इस प्रस्ताव से उम्मीद की जा रही है कि पटना की साफ-सफाई व्यवस्था को नई गति मिलेगी। यदि समय पर सही संख्या में और आधुनिक तकनीक वाले वाहन खरीदे जाते हैं, तो शहर को स्वच्छ और व्यवस्थित रखने में बड़ी मदद मिलेगी। अब सभी की नजरें सशक्त स्थायी समिति की बैठक पर टिकी हैं, जहां यह तय होगा कि पटना को कचरा प्रबंधन के लिए कितनी और कैसी नई गाड़ियां मिलेंगी।

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