December 5, 2025

पटना में कन्या विद्यालय में शॉर्ट सर्किट से लगी आग, आठ छात्राएं हुई बेहोश, कहीं ने कूदकर बचाई जान

पटना। जिले के बाढ़ अनुमंडल में स्थित राजकीय अन्य पिछड़ा वर्ग कन्या आवासीय +2 उच्च विद्यालय में शनिवार सुबह एक बड़ा हादसा होने से बाल-बाल बच गया। विद्यालय परिसर में शॉर्ट सर्किट के कारण अचानक आग लग गई, जिससे वहां अफरा-तफरी मच गई। धुएं की तीव्रता इतनी ज्यादा थी कि दम घुटने से आठ छात्राएं बेहोश हो गईं। सभी बेहोश छात्राओं को तुरंत अस्पताल ले जाया गया। घटना ने स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
कैसे लगी आग
जानकारी के अनुसार, विद्यालय परिसर के पीछे बने क्वार्टर में शनिवार सुबह अचानक शॉर्ट सर्किट हो गया। इस शॉर्ट सर्किट से आग भड़क उठी और कुछ ही मिनटों में धुआं पूरे परिसर में फैल गया। उस समय कई छात्राएं अपने कमरों में थीं और आग तथा धुएं की वजह से घबराकर बाहर निकलने की कोशिश करने लगीं। कुछ छात्राएं स्कूल भवन के अंदर ही फंस गईं क्योंकि निकलने के लिए मुख्य मार्ग से धुआं तेजी से उठ रहा था। चिल्लाने और रोने की आवाजें सुनकर विद्यालय कर्मी मौके पर पहुंचे, लेकिन घना धुआं होने के कारण छात्राओं को निकालना मुश्किल हो रहा था।
दम घुटने से बेहोश हुईं छात्राएं
धुएं के कारण सांस लेने में दिक्कत होने लगी और देखते ही देखते आठ छात्राएं बेहोश होकर गिर गईं। अन्य छात्राएं किसी तरह दौड़कर बाहर आ गईं, जबकि कुछ ने डर के कारण खिड़की और पीछे के रास्ते से छलांग लगाकर अपनी जान बचाई। विद्यालय के शिक्षक और स्टाफ ने तुरंत आपात स्थिति में प्रतिक्रिया देते हुए बेहोश छात्राओं को बाहर निकाला और एंबुलेंस को बुलाया। धुएं की वजह से स्कूल परिसर में वातावरण बेहद खतरनाक हो गया था।
दमकल टीम ने संभाला मोर्चा
घटना की सूचना मिलते ही अग्निशमन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। दमकल कर्मियों ने आग पर काबू पाने में तेजी दिखाई और अंदर फंसी छात्राओं को सुरक्षित बाहर निकालने में मदद की। आग अधिक फैलने से पहले ही उसे नियंत्रित कर लिया गया, जिससे बड़ी दुर्घटना टल गई। दमकल अधिकारियों का कहना था कि यदि सूचना मिलने में थोड़ी भी देरी होती, तो घटना और गंभीर हो सकती थी। आग लगने वाले क्वार्टर का बड़ा हिस्सा जल गया, लेकिन आग मुख्य भवन तक नहीं पहुंच पाई।
स्कूल प्रशासन की प्रतिक्रिया
विद्यालय की प्रिंसिपल विभा कुमारी ने घटना की पुष्टि करते हुए बताया कि शॉर्ट सर्किट के कारण अचानक आग लगी, जिससे घबराहट और धुएं की वजह से कई छात्राएं बेहोश हो गईं। उन्होंने बताया कि सभी घायल छात्राओं को पहले अथमलगोला स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया गया, लेकिन बेहतर इलाज के लिए उन्हें अनुमंडलीय अस्पताल, बाढ़ रेफर कर दिया गया। प्रिंसिपल ने कहा कि छात्राओं की स्थिति अब स्थिर है और सभी को प्राथमिक उपचार मिल चुका है। हालांकि, उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि बेहोश हुई छात्राओं की सटीक संख्या का पता लगाया जा रहा है, क्योंकि शुरुआत में कई छात्राएं अलग-अलग दिशाओं में भाग गई थीं।
छात्राओं में दहशत का माहौल
घटना के बाद विद्यालय परिसर में दहशत का माहौल रहा। छात्राएं एक-दूसरे से लिपटकर रो पड़ रही थीं और कई अभिभावक सूचना मिलते ही विद्यालय पहुंचे। अभिभावकों ने विद्यालय प्रशासन से सुरक्षा इंतजामों को मजबूत करने की मांग की। कुछ छात्राओं ने बताया कि जैसे ही धुआं फैलना शुरू हुआ, वे डर गईं और उन्हें समझ नहीं आया कि किस दिशा में जाना है। कुछ छात्राओं ने भय के कारण खिड़की से कूदकर बाहर आने का प्रयास किया, जिसमें कुछ को हल्की चोटें भी आईं।
सुरक्षा मानकों पर सवाल
इस तरह के आवासीय विद्यालयों में सुरक्षा मानकों का पालन न होने से इस तरह की घटनाओं की आशंका बनी रहती है। बिजली के तारों और कनेक्शन की नियमित जांच नहीं होना, आग बुझाने वाले उपकरणों की अनुपलब्धता या खराब स्थिति में होना—ये सब कारण बड़े हादसों को जन्म देते हैं। अभिभावकों ने कहा कि स्कूल प्रशासन को बिजली व्यवस्था की नियमित जांच करानी चाहिए और छात्रों को आग लगने पर बचाव के तरीके सिखाने चाहिए। इसके अलावा भवन में आपातकालीन निकास मार्ग और अलार्म सिस्टम भी आवश्यक हैं।
प्रशासन करेगा जांच
घटना की जानकारी स्थानीय प्रशासन को भी दी गई है। अधिकारियों ने आश्वासन दिया है कि आग लगने की वजहों की जांच की जाएगी और लापरवाही पाए जाने पर कड़ी कार्रवाई होगी। विद्यालय परिसर में सुरक्षा इंतजामों की समीक्षा के लिए भी निर्देश दिए गए हैं। अथमलगोला स्थित इस आवासीय कन्या विद्यालय में लगी आग ने छात्राओं की सुरक्षा व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। हालांकि दमकल टीम और विद्यालय कर्मियों की तत्परता से बड़ा हादसा टल गया, लेकिन यह घटना चेतावनी है कि विद्यालयों में सुरक्षा ढांचे को मजबूत करना अत्यंत आवश्यक है। छात्राओं के स्वास्थ्य में सुधार की खबर राहत देने वाली है, लेकिन ऐसी घटनाएं आगे न हों, इसके लिए प्रशासन और स्कूल प्रबंधन को ठोस कदम उठाने होंगे।

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