November 28, 2025

सम्राट के बुलडोजर एक्शन पर भड़के तेजप्रताप, कहा- गरीबों के आंसू से बच नहीं पाओगे, तुरंत लगे रोक

पटना। बिहार में नवनियुक्त गृह मंत्री सम्राट चौधरी द्वारा शुरू किए गए बुलडोजर अभियान ने अब राजनीतिक रंग ले लिया है। यह अभियान राज्य के कई जिलों में अवैध कब्जों को हटाने के लिए चलाया जा रहा है, लेकिन इस कार्रवाई से विपक्ष खासा नाराज है। जनशक्ति जनता दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष तेजप्रताप यादव ने इस अभियान का कड़ा विरोध जताते हुए सरकार पर गरीबों को बेघर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए इस कार्रवाई पर सवाल उठाए और सरकार को कठोर चेतावनी भी दी।
तेजप्रताप यादव का कड़ा आक्रोश
तेजप्रताप यादव ने अपनी पोस्ट में लिखा कि नीतीश सरकार के नए गृह मंत्री अपने पद की जिम्मेदारी को समझने में विफल रहे हैं। उन्होंने कहा कि जिस जनता की बदौलत वे सत्ता तक पहुंचे, आज उसी जनता के घर तोड़े जा रहे हैं। उनके अनुसार नालंदा, पटना, सीतामढ़ी, आरा सहित कई जिलों में पिछले दो दिनों से लगातार गरीब, दलित और वंचित समुदायों के आशियाने बुलडोजर से धराशायी किए जा रहे हैं। तेजप्रताप ने सवाल उठाया कि क्या सरकार ने यह सोचा है कि ठंड के इस मौसम में बेघर लोगों पर क्या गुजर रही होगी। उन्होंने लिखा कि नवंबर से ही बिहार में ठंड की शुरुआत हो जाती है और दिसंबर–जनवरी में ठंड बेहद बढ़ जाती है। ऐसे समय में गरीबों के घर तोड़ना अमानवीय है और सरकार को इससे बचना चाहिए।
गरीबों के दर्द और ठंड का मुद्दा उठाया
अपने पोस्ट में तेजप्रताप ने सरकार को यह याद दिलाया कि ठंड के मौसम में घर टूटने का दर्द आम लोगों के लिए कितना भयावह होता है। उन्होंने लिखा कि छोटे बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों पर इस अचानक हुए विस्थापन का गहरा असर पड़ता है। ऐसे में बिना वैकल्पिक व्यवस्था किए किसी का घर तोड़ना किसी भी सरकार के लिए उचित नहीं माना जा सकता। तेजप्रताप के अनुसार सरकार को संवेदनशील होकर कार्रवाई करनी चाहिए और मानवता को प्राथमिकता देनी चाहिए।
सरकार से रोक लगाने और मुआवजा देने की मांग
तेजप्रताप यादव ने अपनी पोस्ट में बिहार सरकार से मांग की कि अवैध कब्जा हटाने के नाम पर आम जनता के आशियानों को तोड़ने की प्रक्रिया पर तत्काल रोक लगाई जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि जिन भी परिवारों के घर तोड़े जा चुके हैं, उन्हें रहने की उचित व्यवस्था और आर्थिक सहायता प्रदान की जाए। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि गरीबों की बद्दुआ और आंसू बहुत भारी पड़ते हैं और सरकार को इनका हिसाब जनता के सामने देना पड़ेगा। तेजप्रताप ने कहा कि यदि सरकार ने अपनी कार्रवाई को समय रहते नहीं रोका, तो इसके परिणाम न केवल राजनीतिक बल्कि सामाजिक स्तर पर भी देखने पड़ सकते हैं।
बुलडोजर मॉडल की शुरुआत और प्रशासनिक कार्रवाई
गृहमंत्री बनने के कुछ ही घंटों बाद सम्राट चौधरी ने बुलडोजर मॉडल का पहला चरण समस्तीपुर में शुरू किया। रेलवे स्टेशन से सटे माल गोदाम चौक के पास अवैध अतिक्रमण हटाने का अभियान चलाया गया। इस ऑपरेशन में रेलवे सुरक्षा बल, राज्य रेल पुलिस और स्थानीय थाना पुलिस शामिल रही। कई दुकानों और अस्थायी निर्माणों को हटाया गया। कार्रवाई के दौरान अतिक्रमणकारियों और पुलिस के बीच बहस भी देखी गई। इसके बाद धीरे-धीरे यह अभियान पटना, सीतामढ़ी, नालंदा, आरा और अन्य जिलों तक बढ़ाया गया। सरकार का कहना है कि यह कार्रवाई शहरों को साफ-सुथरा और सुगम बनाने, अवैध कब्जे कम करने और सार्वजनिक स्थलों को मुक्त कराने के लिए की जा रही है।
विपक्ष के आरोप और सरकार का रुख
जहां एक ओर सरकार इसे कानून-व्यवस्था और शहरी विकास से जुड़ी जरूरी कार्रवाई बता रही है, वहीं विपक्ष इसे गरीबों और वंचितों पर होने वाला अत्याचार बता रहा है। तेजप्रताप के अनुसार यह कार्रवाई बिना योजना और बिना मानवीय आधार के की जा रही है, जिससे गरीब प्रभावित हो रहे हैं। सरकार की ओर से अभी तक तेजप्रताप के इन आरोपों का विस्तृत जवाब नहीं आया है, लेकिन प्रशासन का कहना है कि अवैध निर्माणों को हटाना जरूरी है और यह किसी भी सामाजिक या राजनीतिक दबाव से प्रभावित नहीं होगा। बिहार में बुलडोजर मॉडल को लेकर जारी यह विवाद बताता है कि विकास और कानून-व्यवस्था के नाम पर चलने वाली सरकारी कार्रवाइयों का राजनीतिकरण बहुत तेजी से हो रहा है। जहां सरकार व्यवस्था सुधारने की बात कर रही है, वहीं विपक्ष मानवता और गरीबों की पीड़ा का मुद्दा उठा रहा है। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में यह विवाद किस दिशा में जाता है और सरकार इन आरोपों पर क्या रुख अपनाती है।

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