मांझी का आरजेडी पर तंज, कहा- दुनिया में डायनासोर वापस आ सकते हैं पर बिहार में वापस नहीं आएगी राजद
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के बाद नेताओं के बयान एक बार फिर चर्चा का विषय बन गए हैं। इसी क्रम में पूर्व मुख्यमंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) के संरक्षक जीतनराम मांझी का ताजा बयान सुर्खियों में है। मांझी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट कर आरजेडी पर कटাক্ষ करते हुए कहा कि जैसे डायनासोर पृथ्वी से विलुप्त हो गए, वैसे ही राजद का भविष्य भी बिहार में खत्म होता दिख रहा है।
सोशल मीडिया पर मांझी का तीखा वार
अपने आधिकारिक एक्स हैंडल से जारी पोस्ट में मांझी ने लिखा कि “जो अंजाम धरती पर डायनासोर का हुआ, आने वाले समय में वही अंजाम बिहार में राजद का होगा।” उन्होंने आगे लिखा कि अब लोग यह तक कहने लगे हैं कि “धरती पर डायनासोर वापस आ सकते हैं, पर बिहार में राजद के लोग नहीं लौट सकते।” यह बयान चुनावी परिणामों के बाद राजद की स्थिति पर सीधा तंज माना जा रहा है। मांझी की यह टिप्पणी सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हो रही है और राजनीतिक गलियारों में इसकी खूब चर्चा हो रही है। कई राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बयान केवल व्यंग्य भर नहीं, बल्कि राजद की कमजोर होती स्थिति की ओर इशारा है।
एनडीए की प्रचंड जीत और आरजेडी की करारी हार
बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने बड़ी जीत हासिल की। 89 सीटों के साथ भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी, जबकि 85 सीटों के साथ जदयू दूसरे स्थान पर रही। लोजपा रामविलास को 19 सीटें मिलीं, हम पार्टी को 5 और राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी को 4 सीटें मिलीं। इस तरह एनडीए ने कुल मिलाकर भारी बहुमत हासिल किया। वहीं, महागठबंधन को सिर्फ 35 सीटों से संतोष करना पड़ा। इनमें से 25 सीटें आरजेडी को मिलीं, जिससे वह तीसरे नंबर की पार्टी बनकर रह गई। कांग्रेस के हिस्से केवल 6 सीटें आईं, जबकि सीपीआई एमएल को 2 और आईआईपी, सीपीआई एम एवं बसपा को 1-1 सीटों पर जीत मिली। यह आंकड़े स्पष्ट संकेत देते हैं कि आरजेडी का जनाधार कमजोर हुआ है।
राजद के लिए चुनाव परिणाम बड़ा झटका
2025 के चुनाव परिणामों ने आरजेडी के सामने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। लगातार दूसरी बार पार्टी सत्ता से दूर रही है, और उसकी सीटें भी बहुत कम हो गई हैं। तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद अपनी ताकत साबित करने में विफल रहा। कई क्षेत्रों में उम्मीदवार चयन और गठबंधन की रणनीति गलत साबित हुई। विशेषज्ञों के अनुसार राजद की चुनावी रणनीति में कई खामियां थीं। पार्टी संगठनात्मक रूप से मजबूत नहीं दिखी और दल के अंदर भी असंतोष बढ़ता हुआ दिखाई दे रहा है। नेतृत्व क्षमता पर भी सवाल खड़े होने लगे हैं। तेजस्वी यादव की जनसंपर्क शैली और निर्णय लेने की प्रक्रिया को लेकर भी आलोचना हो रही है।
एनडीए के साथ मांझी के संबंध और मजबूत हुए
एक ओर जहां आरजेडी कमजोर स्थिति में दिखाई दी, वहीं जीतनराम मांझी एनडीए के साथ अपनी राजनीतिक उपस्थिति और मजबूत बना रहे हैं। उनके नेतृत्व वाली ‘हम’ पार्टी ने भले ही कम सीटें जीती हों, लेकिन दलित समाज में मांझी की पकड़ एनडीए के लिए राजनीतिक रूप से अहम है। चुनाव के दौरान मांझी का योगदान और उनकी लोकप्रियता ने एनडीए के साथ उनकी राजनीतिक प्रासंगिकता को और मजबूत किया है। मांझी का यह बयान केवल एक तंज नहीं, बल्कि आने वाले राजनीतिक समीकरणों का संकेत भी हो सकता है। उनकी यह टिप्पणी एनडीए के भीतर उनके बढ़ते आत्मविश्वास को भी दर्शाती है।
महागठबंधन और आरजेडी में आत्ममंथन का दौर
चुनाव नतीजों के बाद महागठबंधन और खासकर आरजेडी आत्ममंथन की स्थिति में है। नेतृत्व से लेकर संगठनात्मक ढांचे तक कई सवाल उठ खड़े हुए हैं। आरजेडी की हार के बाद गठबंधन के भीतर भी असंतोष बढ़ा है। नेताओं का मानना है कि चुनावी दिशा और रणनीति पर गहराई से विचार करने की जरूरत है। तेजस्वी यादव पर यह दबाव और बढ़ जाएगा कि वे खुद को प्रभावी नेता साबित करें और पार्टी के भीतर सुधार लाएं। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो भविष्य में आरजेडी के लिए चुनौतियां और बढ़ सकती हैं।
राजनीतिक माहौल में मांझी की टिप्पणी का प्रभाव
मांझी की टिप्पणी बिहार की राजनीति में केवल बयानबाजी नहीं, बल्कि एक संकेत है कि राज्य में राजनीतिक समीकरण तेजी से बदल रहे हैं। एनडीए की मजबूत स्थिति और राजद की गिरती लोकप्रियता इस समय चर्चा के केंद्र में है। मांझी के बयान ने इन परिस्थितियों को और अधिक स्पष्ट कर दिया है। जीतनराम मांझी का यह बयान राज्य की मौजूदा राजनीतिक स्थिति पर सटीक टिप्पणी माना जा रहा है। राजद की कमजोर होती स्थिति, महागठबंधन की चुनौतियाँ और एनडीए की मजबूती—इन सबके बीच बिहार की राजनीति एक नए मोड़ पर खड़ी दिखाई देती है। आने वाले समय में यह स्पष्ट होगा कि राजद इस चुनौती से कैसे उबरता है और मांझी व एनडीए किस तरह राज्य की राजनीति को आगे दिशा देते हैं।


