December 9, 2025

नीतीश से मिलने सीएम हाउस पहुंचे सम्राट चौधरी, 50 मिनट तक कोई बातचीत, विभागों के बंटवारे पर हुई चर्चा

पटना। बिहार में एक बार फिर नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की सरकार बन गई है। गुरुवार को हुए शपथ ग्रहण समारोह के बाद अब नई सरकार की असली परीक्षा विभागों के बंटवारे से शुरू होने जा रही है। शुक्रवार सुबह मुख्यमंत्री आवास पर एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी विभागों की सूची लेकर पहुंचे। दोनों नेताओं के बीच लगभग 50 मिनट तक बातचीत चली, और सूत्रों की मानें तो इस दौरान विभाग आवंटन पर अंतिम निर्णय लिए गए।
सम्राट चौधरी पहुंचे सीएम आवास
शुक्रवार सुबह सम्राट चौधरी सीएम हाउस पहुंचे और उन्होंने भाजपा कोटे से प्रस्तावित मंत्रियों के विभागों की सूची नीतीश कुमार को सौंप दी। इस बैठक में सम्राट चौधरी और मुख्यमंत्री के बीच कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें मंत्रालयों का वितरण, भूमिकाएं और प्राथमिकताएं शामिल थीं। बैठक भले ही लगभग 50 मिनट की रही, लेकिन माना जा रहा है कि इसमें नई सरकार के स्वरूप को तय करने वाले कई महत्वपूर्ण निर्णय हुए।
गृह विभाग सीएम के पास रहने के संकेत
पिछली सरकारों की तरह इस बार भी अनुमान लगाया जा रहा है कि गृह विभाग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अपने पास ही रखेंगे। नीतीश कुमार बिहार पुलिस, प्रशासन और आंतरिक सुरक्षा को लेकर हमेशा सक्रिय भूमिका निभाते रहे हैं। इसी परंपरा को जारी रखते हुए वे इस अहम मंत्रालय को अपने ही नियंत्रण में रख सकते हैं।
सम्राट चौधरी को फिर मिल सकता है वित्त विभाग
सूत्रों के अनुसार, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी को पिछली बार की तरह इस बार भी वित्त विभाग का जिम्मा सौंपा जाएगा। वित्त विभाग राज्य की आर्थिक नीतियों, बजट और योजनाओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। भाजपा इस विभाग को अपने पास रखना चाहती है ताकि विकास योजनाओं पर बेहतर नियंत्रण और नीति निर्धारण में उनकी अहम भूमिका बनी रहे।
पहली बार मंत्री बनीं श्रेयसी सिंह को मिल सकता है खेल मंत्रालय
इंटरनेशनल शूटर और पहली बार विधायक चुनी गईं श्रेयसी सिंह को खेल विभाग की जिम्मेदारी दी जा सकती है। खेल जगत में उनकी उपलब्धियों और युवा नेतृत्व के कारण उन्हें यह भूमिका देना भाजपा की रणनीति के अनुरूप माना जा रहा है। उनसे उम्मीद है कि वे बिहार में खेल संरचना को मजबूत बनाने में योगदान देंगी।
जदयू मंत्रियों को मिल सकते हैं पुराने विभाग
जदयू कोटे से शामिल मंत्रियों में अधिकांश को वही विभाग दिए जाने की संभावना है जो वे पहले संभाल रहे थे। जैसे-बिजेंद्र यादव, विजय चौधरी, श्रवण कुमार जैसे वरिष्ठ मंत्रियों को उनके अनुभव को देखते हुए वही जिम्मेदारियाँ सौंपी जा सकती हैं। जदयू के 8 मंत्रियों में कई पुराने चेहरे हैं, जिनसे प्रशासनिक निरंतरता बनाए रखने की उम्मीद की जा रही है।
विभाग बंटवारे के बाद होगी नई कैबिनेट की पहली बैठक
विभागों के आवंटन के बाद आज ही नई कैबिनेट की पहली बैठक होगी। इस बैठक में 18वीं विधानसभा के पहले सत्र की तारीख तय होने की संभावना है। इसके साथ ही सरकार कई महत्वपूर्ण फैसलों की घोषणा कर सकती है, जिसमें किसान योजनाओं, उद्योग नीति, नौकरी से जुड़े मुद्दों और कानून व्यवस्था को मजबूत करने से संबंधित प्रस्ताव शामिल हो सकते हैं।
मंत्रिमंडल की संरचना: भाजपा का दबदबा
नई नीतीश कैबिनेट में कुल 26 मंत्रियों को शामिल किया गया है। इनमें 14 मंत्री भाजपा कोटे से हैं, जो यह दर्शाता है कि एनडीए सरकार में भाजपा की भूमिका इस बार और मजबूत हो गई है। जदयू के 8 मंत्री, लोजपा (रामविलास) के 2, जबकि हम और कुशवाहा की पार्टी से 1-1 विधायक को मंत्री बनाया गया है।
नए चेहरों को मिली बड़ी जिम्मेदारी
इस मंत्रिमंडल में 9 नए चेहरों को भी शामिल किया गया है। इनमें श्रेयसी सिंह, रामकृपाल यादव और अन्य युवा नेताओं के नाम उल्लेखनीय हैं। जदयू ने भी जमा खान को फिर से मंत्री बनाकर अल्पसंख्यक प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया है।
चिराग पासवान की पार्टी को 2 मंत्री
लोजपा (रामविलास) कोटे से दो विधायकों को मंत्रिपद दिया गया है। इनमें महुआ से जीतकर आए संजय सिंह शामिल हैं, जिन्होंने तेजप्रताप यादव को हराकर बड़ी राजनीतिक कामयाबी हासिल की थी। यह नियुक्ति एनडीए गठबंधन में चिराग पासवान की बढ़ती राजनीतिक ताकत का संकेत देती है।
उपेंद्र कुशवाहा के बेटे को मिली एंट्री
मंत्रिमंडल की सूची में एक नाम सबसे ज्यादा चर्चा में है—उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश। उन्होंने बिना चुनाव लड़े मंत्री पद की शपथ ली है। वे न तो वर्तमान में विधायक हैं और न ही एमएलसी। संविधान के अनुसार उन्हें 6 महीने के भीतर एमएलसी बनाया जाना आवश्यक होगा। नीतीश कुमार और सम्राट चौधरी के बीच हुई 50 मिनट की बैठक ने नई सरकार के स्वरूप और कामकाज की दिशा को स्पष्ट कर दिया है। विभागों के बंटवारे के साथ ही मंत्रियों की भूमिका तय होगी और सरकार अपने कार्यकाल का पहला महत्वपूर्ण कदम उठाएगी। अब सबकी निगाहें कैबिनेट की पहली बैठक और सरकार के आगामी निर्णयों पर टिकी होंगी, जिनसे बिहार की राजनीति और विकास योजनाओं की दिशा तय होगी।

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