तेजप्रताप ने तेजस्वी को दी चेतावनी, कहा- संभल जाइए नहीं तो 25 से 5 पर आने में देर नहीं लगेगी
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों के बाद महागठबंधन और विशेष रूप से राष्ट्रीय जनता दल में उथल-पुथल मची हुई है। पार्टी की करारी हार ने न केवल राजनीतिक समीकरणों को बदल दिया है, बल्कि लालू परिवार के भीतर भी गंभीर मतभेदों को सतह पर ला दिया है। इसी पृष्ठभूमि में तेज प्रताप यादव द्वारा दिए गए तीखे बयान ने राजद की आंतरिक राजनीति में नई बहस छेड़ दी है।
तेजप्रताप की तेजस्वी को चेतावनी
जनशक्ति जनता दल के सुप्रीमो और लालू प्रसाद यादव के बड़े पुत्र तेज प्रताप यादव ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट के माध्यम से तेजस्वी यादव को अप्रत्यक्ष रूप से कड़ी चेतावनी दी है। उन्होंने पार्टी के पतन को लेकर जो सवाल उठाए, वे न सिर्फ राजनीतिक थे बल्कि भावनात्मक स्तर पर परिवार के भीतर की दरारों को भी दर्शाते हैं।
सोशल मीडिया पर खुला हमला
तेजप्रताप द्वारा साझा किए गए पोस्ट में लिखा था कि यदि पार्टी लगातार अपने ही लोगों को बाहर करती रही, तो अंत में बचेगा कौन। उन्होंने याद दिलाया कि जब उन्हें पार्टी से निकाला गया, तब कई लोगों ने इसे महत्वहीन मान लिया। लेकिन उनके अनुसार, जब उन्होंने बाहर आकर पार्टी की वास्तविकताओं को जनता के समक्ष रखा, तभी लोगों को पता चला कि पार्टी ने क्या खोया। उन्होंने पार्टी की सीटों का जिक्र करते हुए कहा कि 2015 में 80 सीटें, 2020 में 75 सीटें और 2025 में मात्र 25 सीटें रह गईं। उनके अनुसार यह गिरावट केवल उनका आरोप नहीं, बल्कि जनता का फैसला है, जो बता रहा है कि गलती कहां हुई।
परिवारिक विवादों का खुला जिक्र
तेजप्रताप ने अपने बयान में बहन रोहिणी आचार्य के विवाद का भी उल्लेख किया। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस परिवार ने लोगों को हंसाया और रुलाया, वही आज स्वयं मजाक का पात्र बन गया है। तेजप्रताप ने अपनी बहन के साथ हुए कथित दुर्व्यवहार पर भी नाराजगी जाहिर की और इसे असहनीय बताया। राजद के भीतर बढ़ते असंतोष और बिखराव की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि पहले उन्हें निकाला गया और अब रोहिणी को, जिससे जनता अब पूछ रही है कि आखिर पार्टी में बचेगा कौन।
पार्टी नेतृत्व पर सवाल
तेजप्रताप ने यह भी दावा किया कि यदि वे चुनाव के दौरान पूरे बिहार में घूमते, तो राजद की सीटें 25 से घटकर 5 तक आ सकती थीं। उन्होंने कहा कि वे खुद 44 सीटों पर चुनाव लड़े थे, जिनमें से राजद को केवल 5 सीटें मिलीं। इससे उन्होंने यह निष्कर्ष निकाला कि जनता राजद के मौजूदा नेतृत्व से नाराज है और अब इसे लालू प्रसाद की विचारधारा वाली पार्टी नहीं मानती। उनके अनुसार, पार्टी अब कुछ विशेष नेताओं के कब्जे में चली गई है, जिन्हें उन्होंने जयचंद की उपाधि दी। उनका तात्पर्य यह था कि पार्टी आंतरिक कलह के कारण अपना मूल चरित्र खोती जा रही है।
चुनावी आंकड़ों का प्रहार
तेजप्रताप द्वारा चुनावी आंकड़ों का हवाला देते हुए यह स्पष्ट किया गया कि पार्टी की गिरावट केवल एक राजनीतिक मुद्दा नहीं बल्कि नेतृत्व की दिशा और निर्णयों का परिणाम है। उन्होंने यह भी कहा कि गिरावट का यह क्रम यदि नहीं थमा, तो भविष्य में राजद का अस्तित्व और भी कमजोर हो सकता है।
बहनों-बेटियों के सम्मान का मुद्दा
अपने बयान में तेजप्रताप ने यह भी जोर दिया कि बिहार की बेटियाँ न्याय मांग रही हैं और उनका सम्मान किसी भी कीमत पर सर्वोपरि है। उन्होंने संकेत दिया कि परिवार और पार्टी के भीतर महिलाओं के प्रति किसी भी तरह का अपमान बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मुद्दे पर उनकी स्थिति ने उन्हें अधिक मुखर बना दिया है।
राजनीतिक हलचल और प्रतिक्रियाएँ
तेजप्रताप के इस बयान के बाद राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है। राजद के भीतर और बाहर दोनों ओर से प्रतिक्रियाएँ आने लगी हैं। विरोधियों ने इसे राजद की कमजोरी का संकेत बताया, जबकि पार्टी के कुछ नेताओं ने इसे व्यक्तिगत नाराजगी का परिणाम कहा। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले समय में ये बयान पार्टी की रणनीति, नेतृत्व और भविष्य की दिशा को गंभीर रूप से प्रभावित कर सकते हैं। यदि आंतरिक मतभेद दूर नहीं हुए, तो राजद के लिए भविष्य और चुनौतीपूर्ण हो सकता है। तेजप्रताप यादव का यह बयान महज सोशल मीडिया पोस्ट नहीं, बल्कि राजद के भीतर बढ़ते असंतोष और नेतृत्व संकट का सीधा संकेत है। चुनावी पराजय, परिवारिक मतभेद और आंतरिक संघर्ष ने मिलकर पार्टी को एक बार फिर कठिन मोड़ पर खड़ा कर दिया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि राजद इन चुनौतियों को कैसे संभालता है और क्या पार्टी नेतृत्व इस संकट से उबरने की ताकत दिखा पाता है।


