लालू यादव के करीबी अमित कत्याल को ईडी ने किया गिरफ्तार, 300 करोड़ के फर्जीवाड़ा मामले में हुई गिरफ्तारी
पटना। राष्ट्रीय जनता दल के सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के लिए एक और मुश्किल खड़ी हो गई है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को लालू परिवार के बेहद करीबी माने जाने वाले बिजनेसमैन अमित कत्याल को 300 करोड़ रुपये से अधिक के रियल एस्टेट फर्जीवाड़े के मामले में गिरफ्तार कर लिया। यह कार्रवाई प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत की गई है। राजनीतिक हलचल पहले से ही चरम पर है और इसी बीच इस गिरफ्तारी ने बिहार की सियासत में नई बहस छेड़ दी है।
कौन हैं अमित कत्याल?
अमित कत्याल लंबे समय से लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के बेहद करीबी माने जाते रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, दिल्ली में वह कोठी जिसमें तेजस्वी यादव अक्सर ठहरते हैं, कत्याल से ही जुड़ी हुई है। बताया जाता है कि इस कोठी की देखरेख और प्रबंधन में कत्याल का सीधा हस्तक्षेप रहता था। कत्याल का नाम पहले भी विवादों में रहा है। वह मेसर्स एंगल इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड नामक रियल एस्टेट कंपनी के प्रमोटर और डायरेक्टर हैं। इस कंपनी पर कई गंभीर वित्तीय गड़बड़ियों के आरोप पहले भी लग चुके हैं। कुछ साल पहले भी उन्हें आर्थिक अपराध के एक मामले में गिरफ्तार किया गया था।
फर्जीवाड़े का मामला क्या है?
ईडी की कार्रवाई दिल्ली पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा दर्ज एक एफआईआर पर आधारित है। बाद में इस केस को ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग की जांच में शामिल कर लिया। जांच एजेंसी का आरोप है कि कत्याल और उनके साथियों ने गुरुग्राम के सेक्टर-70 में ‘क्रिश फ्लोरेंस एस्टेट’ नामक परियोजना में बड़े स्तर पर धोखाधड़ी की। दावा किया गया था कि यह प्रोजेक्ट सरकारी कर्मचारियों के लिए बनाया जा रहा है, लेकिन: प्रोजेक्ट को लाइसेंस मिलने से पहले ही खरीदारों से करोड़ों रुपये वसूल लिए गए। कई सरकारी कर्मचारियों और आम निवेशकों से गलत वादे करके धन लिया गया। निर्माण की वास्तविक स्थिति छिपाई गई। एक अन्य डेवलपर से लाइसेंस लेने के नाम पर भी ठगी की गई। जांच में सामने आया कि इस प्रोजेक्ट में करोड़ों रुपये की फर्जी बुकिंग्स की गईं। इसके बाद रकम को अलग-अलग कंपनियों और खातों में भेजकर मनी लॉन्ड्रिंग की गई।
ईडी की कार्रवाई और आगे की जांच
ईडी ने कत्याल से कई घंटों की पूछताछ के बाद उन्हें हिरासत में लिया। एजेंसी अब तीन प्रमुख बिंदुओं पर जांच आगे बढ़ाएगी। 300 करोड़ रुपये आखिर किन-किन खातों में ट्रांसफर किए गए? किन कंपनियों और व्यक्तियों ने इस रकम का फायदा उठाया? क्या इन पैसों का इस्तेमाल राजनीतिक गतिविधियों में भी किया गया? सूत्रों के अनुसार, आने वाले दिनों में ईडी कई और लोगों को तलब कर सकती है। संभावित छापेमारी की भी चर्चा है।
राजनीतिक असर और प्रतिक्रियाएं
बिहार विधानसभा चुनाव परिणामों के तुरंत बाद यह गिरफ्तारी हुई है, ऐसे में इसका राजनीतिक महत्व और बढ़ गया है। राजद पहले से ही चुनावी हार और संगठनात्मक चुनौतियों से जूझ रहा है। अब कत्याल की गिरफ्तारी ने लालू परिवार पर दबाव और बढ़ा दिया है। विपक्षी पार्टियों ने कहा है कि लगातार लालू–तेजस्वी के करीबी लोगों के खिलाफ हो रही कार्रवाई इस बात का संकेत है कि राजद हाईकमान के आसपास विवादित कारोबारी सक्रिय हैं। दूसरी ओर, राजद समर्थकों का कहना है कि यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है। तेजस्वी यादव के करीबी सूत्रों ने इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” बताया है और कहा है कि केंद्र सरकार विपक्षी आवाजों को कमजोर करने के लिए जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर रही है।
सियासत में बढ़ी गर्माहट
इस गिरफ्तारी ने एक बार फिर बिहार की राजनीति में तूफान ला दिया है। आमतौर पर किसी भी राजनीतिक दल के करीबी व्यक्ति पर कार्रवाई सीधे–सीधे नेतृत्व तक सवाल खड़े करती है। खासकर तब, जब मामला मनी लॉन्ड्रिंग और छोटे निवेशकों से ठगी का हो। ईडी की अगली चाल पर सबकी निगाहें हैं, क्योंकि यह मामला सिर्फ आर्थिक अपराध का ही नहीं, बल्कि बड़े राजनीतिक संबंधों का भी है। अमित कत्याल की गिरफ्तारी ने न सिर्फ राजद के लिए नई चुनौती खड़ी कर दी है, बल्कि बिहार की राजनीति में नई चर्चाओं को भी जन्म दे दिया है। 300 करोड़ के फर्जीवाड़े से जुड़ा यह मामला कई और परतें खोल सकता है। आने वाले दिनों में ईडी की कार्रवाई और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं इस मुद्दे को और बड़ा रूप दे सकती हैं। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है और क्या इसके तार आगे किसी बड़े राजनीतिक चेहरे से जुड़ते हैं या नहीं।


