November 15, 2025

नीतीश ने जदयू विधायकों को पटना बुलाया, विधायक दल की करेंगे बैठक, सरकार गठन पर होगा अंतिम निर्णय

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नतीजे आने के बाद राज्य में सियासी गतिविधियाँ बेहद तेज हो गई हैं। एनडीए गठबंधन ने इस चुनाव में प्रभावशाली प्रदर्शन करते हुए स्पष्ट बहुमत हासिल किया है। ऐसे में नई सरकार गठन की प्रक्रिया अब निर्णायक दौर में प्रवेश कर रही है। इसी क्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जदयू के सभी विधायकों को तत्काल पटना पहुंचने का निर्देश दिया है। यह निर्देश शनिवार शाम को जारी किया गया, जिसके बाद राजनीतिक गलियारों में हलचल और तेज हो गई है।
विधायकों को त्वरित बुलावा—क्या है संकेत?
सूत्रों के अनुसार, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि सभी विधायक आज शाम या अधिकतम रविवार शाम तक पटना पहुंच जाएँ। यह बुलावा सामान्य बैठक की तरह नहीं माना जा रहा, बल्कि इसे आने वाली सरकार की बुनियादी संरचना तय करने की रणनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। बताया जा रहा है कि सोमवार को नीतीश कुमार अपने सभी विधायकों से मुलाकात करेंगे और इसके साथ ही जदयू विधायक दल की बैठक भी होगी। यही बैठक नई सरकार के नेतृत्व और सत्ता-साझेदारी के अंतिम स्वरूप का खाका तैयार कर सकती है।
चुनाव नतीजों ने मजबूत किया एनडीए का आधार
इस चुनाव में भाजपा ने सबसे अधिक 89 सीटें हासिल करके खुद को सबसे बड़ी पार्टी के रूप में स्थापित किया है। वहीं जदयू को 85 सीटें मिली हैं और वह गठबंधन की दूसरी सबसे मजबूत ताकत है। लोजपा (रामविलास) ने 19, हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) ने 5 और रालोमा ने 4 सीटें जीती हैं। इन सभी दलों को मिलाकर एनडीए आराम से बहुमत का आंकड़ा पार कर चुका है और अगले पाँच वर्षों के लिए सरकार बनाने की पूरी स्थिति में है।
मुख्यमंत्री पद पर क्या बनेगी सहमति?
नीतीश कुमार ने जिस तरह से विधायकों को तुरंत पटना बुलाया है, उसे इस रूप में भी देखा जा रहा है कि जदयू के अंदर नेतृत्व पर चर्चा को अंतिम रूप देने की तैयारी हो चुकी है। संभावना यही मानी जा रही है कि जदयू विधायक दल की बैठक में नीतीश कुमार को अगली सरकार के मुख्यमंत्री पद के लिए आगे किया जाएगा। काफी हद तक यह बैठक नेतृत्व पर मुहर लगाने का औपचारिक कदम साबित हो सकती है। इसके बाद एनडीए सहयोगी दलों के साथ औपचारिक चर्चा कर मंत्रिमंडल का स्वरूप यानी किन-किन विभागों का बंटवारा होगा, यह तय किया जाएगा।
गठबंधन के भीतर मंथन होगा तेज
नई सरकार का गठन केवल मुख्यमंत्री चुनने भर का मामला नहीं है, बल्कि इसमें सत्ता-साझेदारी का व्यापक समीकरण शामिल है। भाजपा इस बार गठबंधन में सबसे बड़ी पार्टी है, इसलिए मंत्री पदों और प्रमुख विभागों को लेकर बातचीत दिलचस्प रहने वाली है। वहीं जदयू यह उम्मीद कर रही है कि नीतीश कुमार को अगले मुख्यमंत्री के रूप में सहयोगी दल स्वीकार करेंगे। लोजपा (रामविलास), हम और रालोमा भी मंत्री पदों के दावे लेकर बैठक में शामिल होंगे। ऐसे में यह तय माना जा रहा है कि सोमवार की बैठक में इन विषयों पर प्रारंभिक निर्णय लिए जा सकते हैं या फिर अंतिम रूप-रेखा तैयार हो सकती है।
पूरे बिहार में राजनीतिक तापमान चरम पर
चुनाव परिणाम आने के बाद से ही बिहार में राजनीतिक चर्चाएँ थम नहीं रही हैं। कौन बनेगा मुख्यमंत्री? मंत्रिमंडल कैसा होगा? भाजपा किस हिस्से पर जोर देगी? जदयू का रुख क्या होगा?—ऐसे कई सवालों के जवाब अब सोमवार की बैठक से धीरे-धीरे साफ होने लगेंगे। नीतीश कुमार की ओर से विधायकों को तुरंत पटना पहुंचने का निर्देश इस बात का संकेत है कि जदयू किसी भी राजनीतिक अनिश्चितता को जगह नहीं देना चाहता और गठबंधन के भीतर अपनी स्थिति मजबूत बनाए रखना चाहता है। बिहार में नई सरकार गठन का रास्ता लगभग साफ है, लेकिन नेतृत्व और गठबंधन की भूमिका पर अंतिम मुहर अभी लगनी बाकी है। जदयू विधायक दल की बैठक इस दिशा में बड़ा कदम साबित होगी। अब पूरे राज्य की निगाहें सोमवार पर टिकी हैं, जब यह तय हो जाएगा कि अगले पाँच वर्षों तक बिहार की कमान किसके हाथ में रहने वाली है और एनडीए सरकार किस दिशा में आगे बढ़ेगी।

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