November 13, 2025

बांग्लादेश में फिर भड़की हिंसा: सड़कों पर आगजनी, कई इलाकों में तनाव का माहौल

नई दिल्ली। बांग्लादेश एक बार फिर गंभीर राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसा की चपेट में है। पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ दर्ज मामलों में अदालत द्वारा जल्द फैसला सुनाए जाने की संभावना के बीच पूरे देश में तनाव का माहौल है। बीते दो दिनों में ढाका सहित कई शहरों में आगजनी, क्रूड बम हमलों और हिंसक झड़पों ने हालात को बेहद संवेदनशील बना दिया है। इन घटनाओं ने पिछले वर्ष के छात्र विरोध प्रदर्शनों की यादें ताजा कर दी हैं, जिसमें 500 से अधिक लोगों की मौत हुई थी और देश महीनों तक अस्थिर रहा था।
ढाका में सुरक्षा के अभूतपूर्व इंतजाम
गुरुवार को राजधानी ढाका पूरी तरह से सुरक्षा घेरे में दिखाई दी। शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग ने ‘ढाका लॉकडाउन’ का आह्वान किया है, जिसके बाद शहर के मुख्य प्रवेश द्वारों पर भारी पुलिस बल और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश तैनात हैं। वाहनों की गहन जांच की जा रही है और कई जगहों पर बैरिकेड्स लगाए गए हैं। सुरक्षा एजेंसियों ने अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण के आसपास विशेष रूप से कड़े प्रबंध किए हैं, क्योंकि यहीं वह अदालत स्थित है, जहां शेख हसीना और उनके शीर्ष सहयोगियों पर लगे गंभीर आरोपों पर सुनवाई चल रही है। अदालत जल्द ही फैसला सुनाने की तारीख की घोषणा कर सकती है, जिसने राजनीतिक माहौल को और ज्यादा संवेदनशील बना दिया है।
शेख हसीना के खिलाफ आरोप और राजनीतिक पृष्ठभूमि
बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पिछले साल अगस्त में देश छोड़कर भारत में शरण लेने पहुंची थीं। उन पर हत्या, साजिश और सत्ता के दुरुपयोग सहित कई बड़े आरोप लगे हैं। उनके सहयोगियों पर भी राजनीतिक हिंसा और भ्रष्टाचार से जुड़े मामले दर्ज हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अदालत का निर्णय बांग्लादेश की राजनीति में बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। अवामी लीग इसे राजनीतिक साजिश बता रही है, जबकि विपक्ष इन मामलों को न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा मानता है।
आगजनी और बम हमलों से फैला दहशत का माहौल
ढाका ही नहीं, बल्कि गाजीपुर और ब्राह्मणबारिया जैसे शहरों में भी बीते दो दिनों में हिंसा की घटनाएं बढ़ गई हैं। कई स्थानों पर आगजनी के चलते दुकानें और कार्यालय जलकर राख हो गए। रिपोर्ट के अनुसार, ब्राह्मणबारिया में ग्रामीण बैंक की एक शाखा को आग के हवाले कर दिया गया। इस घटना में बैंक का फर्नीचर, दस्तावेज और कई महत्वपूर्ण रिकॉर्ड पूरी तरह नष्ट हो गए। ग्रामीण बैंक की स्थापना माइक्रो-क्रेडिट के जनक कहे जाने वाले अर्थशास्त्री और नोबेल शांति पुरस्कार विजेता प्रोफेसर मुहम्मद यूनुस ने 1983 में की थी। यूनुस वर्तमान में बांग्लादेश के अंतरिम प्रमुख हैं, जिससे यह घटना राजनीतिक रूप से और भी संवेदनशील हो गई है।
सरकार और विपक्ष एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप में व्यस्त
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हिंसा के लिए अवामी लीग समर्थकों को जिम्मेदार ठहराया है। अधिकारियों का कहना है कि अदालत के फैसले से पहले माहौल तनावपूर्ण बनाने के लिए अवामी लीग के कार्यकर्ता जानबूझकर उग्र गतिविधियों को अंजाम दे रहे हैं। वहीं, अवामी लीग का दावा है कि विपक्षी दल सरकार को बदनाम करने के लिए हिंसा फैला रहा है। राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप के इस माहौल में आम जनता सबसे ज्यादा प्रभावित हो रही है। ढाका की सड़कों पर दुकानें बंद हैं, परिवहन सेवाएं बाधित हैं और लोग घरों से बाहर निकलने से डर रहे हैं।
जन जीवन अस्तव्यस्त, सामान्य गतिविधियां ठप
ढाका में परिवहन व्यवस्था लगभग ठप पड़ चुकी है। मॉल, बाजार और कई स्कूल-कॉलेज बंद कर दिए गए हैं। शहर के कई हिस्सों में पुलिस ने कड़े प्रतिबंध लगा दिए हैं। लोग आवश्यक कार्यों के लिए भी बाहर निकलने से कतरा रहे हैं। व्यापारिक गतिविधियों पर इसका सीधा असर पड़ा है। बैंक, निजी दफ्तर और कई सरकारी संस्थान भी सीमित कर्मचारियों के साथ काम कर रहे हैं। दूसरे शहरों में भी तनाव का माहौल है, जिससे आम जनमानस परेशान है।
हालात सामान्य होने की उम्मीद फिलहाल कम
शेख हसीना के खिलाफ अदालत के फैसले की तारीख का इंतजार जितना बढ़ रहा है, राजनीतिक तनाव उतना ही ज्यादा भयावह होता जा रहा है। सुरक्षा एजेंसियों को पूरी तरह अलर्ट मोड पर रखा गया है और हिंसा की आशंका को देखते हुए तैनाती बढ़ाई जा रही है। विश्लेषकों का मानना है कि फैसला आने तक स्थिति बेहद नाजुक रह सकती है। बांग्लादेश की राजनीति वर्तमान समय में संक्रमणकाल से गुज़र रही है, जहां जनाक्रोश, राजनीतिक टकराव और न्यायिक जांच एक साथ नई चुनौतियाँ खड़ी कर रहे हैं। फिलहाल जनता इस असमंजस में है कि देश कब फिर से स्थिरता की ओर लौटेगा और रोजमर्रा की जिंदगी सामान्य होगी।

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