बरसात के बाद भी पटना में डेंगू का प्रकोप जारी, 16 नए मरीज मिले, सावधानी और सतर्कता की जरूरत
पटना। राजधानी पटना में डेंगू का कहर अब भी थमने का नाम नहीं ले रहा है। बरसात खत्म हो चुकी है, ठंड की शुरुआत हो चुकी है, लेकिन डेंगू संक्रमण के मामले लगातार सामने आ रहे हैं। मंगलवार को जिले में 16 नए मरीजों की पुष्टि हुई है, जिनमें 10 पुरुष और 6 महिलाएं शामिल हैं। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मौसम में बदलाव के बावजूद डेंगू का वायरस सक्रिय बना हुआ है, जिससे खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है।
कंकड़बाग बना डेंगू का हॉटस्पॉट
स्वास्थ्य विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, मंगलवार को मिले 16 नए मामलों में सबसे अधिक मरीज पटना के कंकड़बाग इलाके से हैं। यह क्षेत्र लंबे समय से डेंगू संक्रमण का केंद्र बना हुआ है। यहां की घनी आबादी, खुले नाले और पानी के ठहराव की समस्या के कारण मच्छरों के प्रजनन की संभावना अधिक रहती है। इसके अलावा राजीव नगर, गर्दनीबाग और पाटलिपुत्र क्षेत्रों से भी मरीजों की संख्या बढ़ी है। जनवरी से लेकर अब तक पटना में कुल 1567 लोग डेंगू से संक्रमित हो चुके हैं। इनमें 1077 पुरुष और 490 महिलाएं शामिल हैं। आंकड़े बताते हैं कि इस साल डेंगू ने राजधानी में बीते कई वर्षों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है।
एनएमसीएच में दो मरीजों की मौत
एनएमसीएच (नालंदा मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल) में डेंगू से पीड़ित दो मरीजों की मौत हो गई है। दोनों की हालत पहले से गंभीर थी और उन्हें आईसीयू में भर्ती किया गया था। मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. अजय कुमार सिन्हा ने बताया कि एक मरीज वैशाली जिले के भगवानपुर का रहने वाला था, जिसकी उम्र लगभग 40 वर्ष थी। वह पहले से लिवर की बीमारी से पीड़ित था। सोमवार देर रात इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। दूसरी मरीज हिलसा निवासी 30 वर्षीय महिला थी, जो तेज बुखार और प्लेटलेट्स में तेज गिरावट के कारण अस्पताल में भर्ती थी। उसे प्लेटलेट्स चढ़ाया गया, लेकिन हालत में सुधार नहीं हुआ और मंगलवार को उसकी मृत्यु हो गई। अस्पताल प्रशासन ने बताया कि दोनों मरीजों को समय पर भर्ती कर इलाज दिया गया, लेकिन अन्य जटिल बीमारियों के कारण वे बच नहीं सके।
अस्पतालों में डेंगू मरीजों के लिए विशेष व्यवस्था
एनएमसीएच के उपाधीक्षक डॉ. राजीव रंजन सिन्हा ने बताया कि अस्पताल में डेंगू मरीजों के लिए कुल 40 बेड रिजर्व किए गए हैं, जिनमें 20 बेड महिलाओं और 20 बेड पुरुष मरीजों के लिए निर्धारित हैं। वर्तमान में अस्पताल में तीन मरीजों का इलाज चल रहा है। अस्पताल की प्रयोगशाला में 76 सैंपल की जांच की गई, जिनमें से सात की रिपोर्ट पॉजिटिव आई। डॉक्टरों का कहना है कि अब भी कई मरीज बुखार और शरीर में दर्द की शिकायत के साथ अस्पताल पहुंच रहे हैं। अधिकांश मरीजों में शुरुआती लक्षण हल्के हैं, लेकिन प्लेटलेट्स गिरने की स्थिति में उन्हें तुरंत भर्ती करने की सलाह दी जा रही है।
मौसम बदलने के बावजूद डेंगू का खतरा क्यों बरकरार
विशेषज्ञों का मानना है कि डेंगू फैलाने वाला एडीज मच्छर सामान्य तौर पर गर्म और नमी वाले वातावरण में पनपता है। हालांकि इस बार मौसम में असामान्य बदलाव और हल्की बारिश के कारण कई जगहों पर पानी ठहर गया है, जिससे मच्छरों के लार्वा जीवित बने हुए हैं। मेडिकल विशेषज्ञ डॉ. नरेश कुमार का कहना है, “सर्दी की शुरुआत होने के बावजूद तापमान अभी भी इतना नहीं गिरा है कि मच्छरों का प्रजनन रुक जाए। 15 से 20 डिग्री सेल्सियस के बीच तापमान एडीज मच्छर के लिए अनुकूल माना जाता है। इसलिए फिलहाल डेंगू का खतरा पूरी तरह खत्म नहीं हुआ है।”
स्वास्थ्य विभाग ने बढ़ाई चौकसी
स्वास्थ्य विभाग ने राजधानी के कई इलाकों में फॉगिंग और एंटी-लार्वा स्प्रे की कार्रवाई तेज कर दी है। नगर निगम की टीमें रोजाना सुबह और शाम संवेदनशील इलाकों में सफाई और कीटनाशक छिड़काव कर रही हैं। साथ ही लोगों से अपील की गई है कि वे अपने घरों और आस-पास पानी जमा न होने दें। नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय कुमार ने बताया कि “पानी से भरे गमले, कूलर, टायर और छतों पर रखे बाल्टी या बर्तन मच्छरों के प्रजनन का केंद्र बन जाते हैं। ऐसे स्थानों को हर दो दिन में खाली करके साफ करना जरूरी है।”
सावधानी ही बचाव है
डॉक्टरों का कहना है कि डेंगू से बचने का सबसे प्रभावी उपाय सतर्कता और सावधानी है। लोगों को पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहनने चाहिए और घरों में मच्छरदानी या रिपेलेंट का उपयोग करना चाहिए। यदि किसी व्यक्ति को तेज बुखार, आंखों के पीछे दर्द, जोड़ों में दर्द, त्वचा पर लाल चकत्ते या उल्टी जैसी समस्या हो, तो तुरंत चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए। डेंगू के शुरुआती चरण में सही इलाज मिलने पर मरीज पूरी तरह ठीक हो सकता है। लेकिन देर होने पर प्लेटलेट्स गिरने से स्थिति गंभीर हो जाती है। खासकर बच्चों और बुजुर्गों को अतिरिक्त सावधानी रखनी चाहिए।”
जनजागरूकता पर जोर
राज्य सरकार ने जनजागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष अभियान शुरू किया है। विद्यालयों, कॉलोनियों और सार्वजनिक स्थलों पर जागरूकता रथ और पंपलेट के माध्यम से लोगों को डेंगू से बचाव के तरीके बताए जा रहे हैं। नगर निगम की ओर से “हर घर सफाई, हर आंगन सुरक्षा” अभियान चलाया जा रहा है, जिसके तहत लोगों को अपने घरों के आस-पास सफाई रखने और पानी जमा न होने देने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। पटना में डेंगू का संक्रमण अब भी चिंता का विषय बना हुआ है। ठंड के मौसम में जहां आमतौर पर मच्छरों की संख्या घटने लगती है, वहीं इस बार स्थिति अलग है। स्वास्थ्य विभाग की चौकसी और जनता की सतर्कता ही इस खतरे को नियंत्रित कर सकती है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर लोग अपने आस-पास साफ-सफाई पर ध्यान दें, घरों में पानी जमा न होने दें और शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करें, तो डेंगू का संक्रमण जल्द काबू में लाया जा सकता है। फिलहाल प्रशासन ने स्पष्ट कर दिया है कि यह समय लापरवाही का नहीं, बल्कि सजगता का है — क्योंकि खतरा अभी पूरी तरह टला नहीं है।


