November 12, 2025

पटना में मकान की छत गिरने से दर्दनाक हादसा, एक परिवार के पांच की मौत, मचा कोहराम

पटना। राजधानी पटना से सटे दानापुर इलाके में रविवार देर रात एक हृदयविदारक हादसा हुआ, जब मानस नया पानापुर गांव में एक जर्जर मकान की छत अचानक ढह गई। इस हादसे में एक ही परिवार के पांच लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। मृतकों में पति-पत्नी और उनके तीन मासूम बच्चे शामिल हैं। घटना के बाद पूरे गांव में मातम पसर गया और इलाके में कोहराम मच गया।
देर रात हुआ हादसा, नींद में समा गया पूरा परिवार
घटना रविवार देर रात की बताई जा रही है, जब मोहम्मद बबलू (35 वर्ष), उनकी पत्नी रोशन खातून (30 वर्ष), बेटी रुसार (12 वर्ष), बेटा मो. चांद (10 वर्ष) और छोटी बेटी चांदनी (2 वर्ष) रात का खाना खाकर घर में सो रहे थे। उसी दौरान अचानक घर की छत भरभरा कर गिर गई। पूरा परिवार मलबे के नीचे दब गया, जिससे पांचों की मौके पर ही मौत हो गई। मकान के गिरने की आवाज इतनी तेज थी कि आसपास के लोग अपने घरों से बाहर निकल आए। जब ग्रामीण घटनास्थल पर पहुंचे तो देखा कि पूरा मकान मलबे में तब्दील हो चुका था। लोगों ने तत्काल राहत कार्य शुरू किया और ग्रामीणों की मदद से मलबा हटाया गया। काफी मशक्कत के बाद जब मलबे से शवों को बाहर निकाला गया, तब तक सभी की सांसें थम चुकी थीं।
इंदिरा आवास योजना के तहत बना था मकान
ग्रामीणों के अनुसार, मृतक मोहम्मद बबलू ने वर्षों पहले इंदिरा आवास योजना के तहत यह मकान बनवाया था। लेकिन घर पुराना हो चुका था और उसकी दीवारों व छत में बड़ी दरारें पड़ गई थीं। आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण वह घर की मरम्मत नहीं करवा पा रहे थे। नतीजतन, यह जर्जर मकान परिवार के लिए मौत का कारण बन गया। बबलू खान परिवार का एकमात्र कमाने वाला सदस्य था। वह मजदूरी करके परिवार का पालन-पोषण करता था। गांव के लोगों का कहना है कि बबलू काफी मेहनती व्यक्ति था, लेकिन आर्थिक तंगी के चलते वह घर की मरम्मत नहीं करा सका।
भाई के बाहर रहने से बची जान
हादसे के वक्त बबलू का भाई गांव से बाहर था, जिससे उसकी जान बच गई। जब उसे घटना की जानकारी मिली, तो वह तुरंत गांव लौट आया। गांव में पहुंचते ही वह बदहवास हो गया। अपने भाई, भाभी और तीन भतीजों की लाश देखकर वह फफक पड़ा। गांव के हर व्यक्ति की आंखें नम थीं। स्थानीय निवासी नसीम अहमद ने बताया कि रात करीब 11 बजे अचानक जोरदार धमाका हुआ। पहले तो लोगों को लगा कि कोई सिलेंडर फटा है, लेकिन जब आवाज के स्रोत की तरफ दौड़े तो देखा कि बबलू का घर पूरी तरह ध्वस्त हो गया है।
प्रशासनिक टीम और पुलिस ने संभाला मोर्चा
घटना की सूचना मिलते ही दानापुर थाना पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी मौके पर पहुंचे। थानाध्यक्ष ने बताया कि शवों को पोस्टमॉर्टम के लिए पटना के पीएमसीएच भेजा गया है। उन्होंने कहा कि घटना की जांच की जा रही है ताकि हादसे के पीछे की वास्तविक वजह का पता चल सके। स्थानीय प्रशासन ने बताया कि प्रारंभिक जांच से यह स्पष्ट हुआ है कि मकान पुराना और बेहद जर्जर हालत में था। पिछले कुछ दिनों से दीवारों में दरारें भी देखी जा रही थीं। बारिश और नमी के कारण छत कमजोर हो गई थी, जिससे यह हादसा हुआ।
गांव में मातम और सन्नाटा
इस हादसे के बाद पूरा मानस नया पानापुर गांव शोक में डूब गया है। सुबह होते ही आसपास के गांवों से भी लोग घटनास्थल पर पहुंचने लगे। ग्रामीणों ने कहा कि इस तरह की घटनाएं गरीब तबकों के सामने आने वाली कठिनाइयों को उजागर करती हैं। गांव की महिलाओं ने बताया कि रोशन खातून बेहद मिलनसार और नेकदिल महिला थीं। उनकी छोटी बेटी चांदनी को तो सभी अपने घरों में प्यार करते थे। गांव के हर व्यक्ति के चेहरे पर गहरी उदासी है।
सरकारी सहायता की मांग
स्थानीय लोगों ने जिला प्रशासन से पीड़ित परिवार के लिए आर्थिक सहायता की मांग की है। ग्रामीणों ने कहा कि यह हादसा पूरी तरह से लापरवाही और मजबूरी का नतीजा है। यदि मकान की मरम्मत के लिए सरकारी सहायता पहले मिल गई होती, तो शायद यह परिवार आज जिंदा होता। प्रशासन ने भी घटना की गंभीरता को देखते हुए पीड़ित परिवार को राहत राशि देने की प्रक्रिया शुरू करने का आश्वासन दिया है। स्थानीय अधिकारी ने कहा कि घटना की रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है और जल्द ही मृतकों के परिजनों को मुआवजा मिलेगा।
सबक बन गई यह घटना
दानापुर की यह दर्दनाक घटना एक बार फिर इस ओर ध्यान आकर्षित करती है कि ग्रामीण इलाकों में आवास योजनाओं के तहत बने कई मकान समय के साथ मरम्मत के अभाव में खतरनाक हो चुके हैं। बारिश और नमी से प्रभावित ऐसे जर्जर घर कई बार हादसों का कारण बनते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार को ऐसे मकानों की नियमित जांच और मरम्मत की व्यवस्था करनी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की त्रासदियों से बचा जा सके। दानापुर का यह हादसा न केवल एक परिवार की त्रासदी है, बल्कि यह सामाजिक और प्रशासनिक चेतावनी भी है कि कमजोर ढांचों में रहना कितना खतरनाक हो सकता है। मोहम्मद बबलू और उनके परिवार की मौत ने पूरे इलाके को झकझोर दिया है। गरीबी, लापरवाही और जर्जर संरचनाओं की वजह से हुई इस घटना ने यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या इंदिरा आवास योजना के मकानों की सुरक्षा की समीक्षा कभी की जाती है। प्रशासन अब जांच में जुटा है, लेकिन गांव का हर व्यक्ति इस असमय हुई मौत से गहरे सदमे में है।

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