मसौढ़ी में मतदान के बाद बोले फर्स्ट टाइम वोटर्स, कहा- जो युवा और रोजगार पर फोकस करेगा, जानता उसको चुनेगी
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान के दौरान पूरे राज्य में लोकतंत्र का उत्सव देखने को मिला। विशेष रूप से पटना जिले के मसौढ़ी विधानसभा क्षेत्र में युवाओं का उत्साह देखते ही बन रहा था। सुबह से ही मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की लंबी कतारें लगीं और युवाओं ने लोकतंत्र में अपनी पहली भागीदारी को लेकर जबरदस्त जोश दिखाया।
मतदान केंद्रों पर दिखा युवाओं का जोश
मसौढ़ी विधानसभा क्षेत्र में गुरुवार सुबह 7 बजे से मतदान शुरू हुआ और कुछ ही देर में बूथों के बाहर लंबी कतारें नजर आने लगीं। यहां कुल 3,26,092 मतदाता हैं, जिनमें से 82,678 युवा मतदाता हैं। इनमें बड़ी संख्या ऐसे युवाओं की है जिन्होंने पहली बार मतदान किया। प्रशासन ने 443 मतदान केंद्रों पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे, जिससे वोटिंग शांतिपूर्ण माहौल में हो सके। मतदान केंद्रों पर महिलाओं, बुजुर्गों और युवाओं की एक साथ मौजूदगी ने यह दिखाया कि लोकतंत्र के इस महापर्व में हर वर्ग की भागीदारी कितनी महत्वपूर्ण है।
फर्स्ट टाइम वोटर्स की नई सोच
पहली बार मतदान करने पहुंचे युवा मतदाताओं के चेहरे पर आत्मविश्वास साफ झलक रहा था। उनका कहना था कि अब बिहार की राजनीति में भावनाओं या जातीय समीकरणों से ज्यादा मुद्दे मायने रखेंगे। एक युवक ने कहा, “हम अब केवल नाम या जाति देखकर वोट नहीं देंगे। जो उम्मीदवार युवाओं के रोजगार, शिक्षा और विकास पर फोकस करेगा, हम उसी को वोट देंगे।” वहीं, एक छात्रा ने कहा कि बिहार से हर साल लाखों युवा रोजगार की तलाश में बाहर जाते हैं। “हम चाहते हैं कि हमारी नई सरकार ऐसी नीतियां बनाए जिससे हमें अपने राज्य में ही काम के अवसर मिलें। अगर उद्योग और तकनीकी शिक्षा को बढ़ावा दिया गया तो पलायन अपने आप रुक जाएगा।” एक अन्य युवा मतदाता ने कहा, “बिहार की राजनीति में बदलाव की जरूरत है। हमें ऐसे नेताओं की आवश्यकता है जो युवाओं की आकांक्षाओं को समझें और सिर्फ वादे नहीं, बल्कि ठोस काम करें।”
प्रशासन की सख्त सुरक्षा व्यवस्था
मसौढ़ी विधानसभा क्षेत्र में मतदान के दौरान सुरक्षा को लेकर प्रशासन ने विशेष व्यवस्था की थी। हर मतदान केंद्र पर पुलिस और अर्धसैनिक बलों की तैनाती की गई थी। मतदान के दौरान किसी भी प्रकार की गड़बड़ी को रोकने के लिए कंट्रोल रूम से बूथों की लाइव निगरानी की जा रही थी। मतदान केंद्रों पर महिला मतदाताओं की संख्या भी अच्छी रही। कई जगहों पर पहली बार मतदान करने वाली युवतियों ने मतदान के बाद गर्व से अपनी उंगलियों पर स्याही का निशान दिखाते हुए सेल्फी ली। चुनाव अधिकारियों के अनुसार, मसौढ़ी में दोपहर तक करीब 52 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया था। मतदान का प्रतिशत लगातार बढ़ रहा है और उम्मीद जताई जा रही है कि दिन के अंत तक यह आंकड़ा 60 प्रतिशत से ऊपर पहुंच जाएगा। शांतिपूर्ण मतदान के लिए स्थानीय प्रशासन लगातार सक्रिय रहा। किसी भी मतदान केंद्र से किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं मिली।
युवाओं का एजेंडा— शिक्षा, रोजगार और विकास
मसौढ़ी के फर्स्ट टाइम वोटर्स ने साफ संकेत दिया है कि अब वे विकास की राजनीति चाहते हैं। उनके लिए मुख्य मुद्दे हैं— शिक्षा की गुणवत्ता, तकनीकी प्रशिक्षण, स्थानीय स्तर पर रोजगार और उद्योगों में निवेश। एक युवा मतदाता ने कहा, “सरकारें हर बार वादा करती हैं कि रोजगार देंगे, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं होता। इस बार हम ऐसे नेता को चुनेंगे जो रोजगार सृजन को प्राथमिकता दे।” कई युवाओं ने यह भी कहा कि अब उन्हें ऐसी सरकार चाहिए जो शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करे। “राज्य की यूनिवर्सिटियों और कॉलेजों में समय पर परीक्षा और रिजल्ट नहीं आते। अगर शिक्षा सुधरी तो अपने आप युवाओं का भविष्य भी सुधरेगा,” एक छात्रा ने कहा।
बदलाव की राह पर युवा शक्ति
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस बार बिहार के चुनावी परिदृश्य में युवाओं की भूमिका बेहद अहम होगी। राज्य की आबादी का एक बड़ा हिस्सा 18 से 35 वर्ष के बीच का है और यही वर्ग अब निर्णायक मतदाता के रूप में उभर रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि मसौढ़ी जैसे क्षेत्रों में युवा मतदाताओं की सोच पारंपरिक राजनीति से अलग है। वे जातीय समीकरणों या प्रचार की चमक-दमक से प्रभावित नहीं हो रहे, बल्कि नीतियों और मुद्दों के आधार पर निर्णय ले रहे हैं। यह प्रवृत्ति आने वाले समय में बिहार की राजनीति की दिशा बदल सकती है।
लोकतंत्र की नई तस्वीर
मसौढ़ी विधानसभा क्षेत्र में मतदान के दौरान युवाओं की भागीदारी ने लोकतंत्र की एक नई तस्वीर पेश की है। मतदान केंद्रों पर उमड़ी भीड़ ने यह साबित कर दिया कि नई पीढ़ी न केवल अपने अधिकारों के प्रति सजग है, बल्कि वह जिम्मेदारी से अपने कर्तव्य का निर्वहन भी कर रही है। फर्स्ट टाइम वोटर्स की बातों से यह स्पष्ट है कि बिहार का युवा अब केवल सुनने वाला नहीं, बल्कि तय करने वाला बन गया है। उसकी प्राथमिकता साफ है— रोजगार, शिक्षा और विकास।
आरजेडी और जेडीयू में मुख्य मुकाबला
मसौढ़ी सीट पर आरजेडी की तरफ से रेखा देवी चुनाव मैदान में हैं। उनका मुकाबला जेडीयू उम्मीदवार अरुण मांझी से है। इस सीट पर मुख्य मुकाबला महागठबंधन की उम्मीदवार और निवर्तमान विधायक रेखा देवी और एनडीए के प्रत्याशी अरुण मांझी के बीच माना जा रहा है।
मसौढ़ी सीट का इतिहास
मसौढ़ी विधानसभा सीट 1957 में अस्तित्व में आई थी। हालांकि, 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के आधार पर इस सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दिया गया। इस सीट पर लंबे समय से आरजेडी और जेडीयू के बीच मुकाबला रहा है। 2010 में यह सीट जेडीयू ने 5,032 मतों के अंतर से जीती थी। हालांकि, जेडीयू ने 2015 में भाजपा का साथ छोड़कर राजद के साथ गठबंधन कर लिया था और यह सीट राजद को मिली थी। चुनाव में राजद ने 39,186 मतों के बड़े अंतर से जीत हासिल की। 2020 के चुनाव में भी राजद ने यह सीट बरकरार रखी और जेडीयू उम्मीदवार को 32,227 मतों से हराया। मसौढ़ी में फर्स्ट टाइम वोटर्स का रुख इस बात का संकेत है कि बिहार की राजनीति अब नई दिशा की ओर बढ़ रही है। युवा अब “वोट की कीमत” समझने लगे हैं और वे जानते हैं कि लोकतंत्र में बदलाव लाने की ताकत उन्हीं के पास है। इस बार का चुनाव संदेश दे रहा है — बिहार के युवा अब वादों से नहीं, काम से प्रभावित होंगे, और जो रोजगार व विकास पर फोकस करेगा, वही उनका सच्चा प्रतिनिधि कहलाएगा।


