भाजपा विधायक ललन पासवान ने थामा राजद का दामन, तेजस्वी यादव ने दिलाई पार्टी की सदस्यता
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव के बीच नेताओं के दलबदल की राजनीति ने जोर पकड़ लिया है। इसी कड़ी में एक बड़ा राजनीतिक घटनाक्रम सामने आया है। भागलपुर जिले की पीरपैंती विधानसभा सीट से भाजपा विधायक ललन पासवान ने बुधवार को पार्टी छोड़कर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) का दामन थाम लिया। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव की मौजूदगी में राजद की सदस्यता ग्रहण की। इस घटनाक्रम ने बिहार की सियासत में एक नई हलचल पैदा कर दी है।
भाजपा से नाराजगी के बाद लिया फैसला
ललन पासवान पिछले कुछ महीनों से भाजपा से नाराज चल रहे थे। दरअसल, इस बार भाजपा ने पीरपैंती (सुरक्षित) विधानसभा सीट से उन्हें टिकट नहीं दिया। पार्टी ने उनकी जगह मुरारी पासवान को उम्मीदवार बनाया। इसी बात से वे असंतुष्ट थे और लगातार पार्टी के रवैये पर सवाल उठा रहे थे। कई बार उन्होंने कहा था कि दलित समाज के नेताओं को पार्टी में उचित सम्मान नहीं मिल रहा। अंततः उन्होंने भाजपा से इस्तीफा देकर राजद का दामन थामने का निर्णय लिया। अपने इस्तीफे में उन्होंने लिखा था, “मेरी भाजपा के साथ राजनीतिक यात्रा अब समाप्त हो गई है। मैंने पार्टी के लिए पूरी निष्ठा से कार्य किया, लेकिन अब लगता है कि भाजपा को मुखर दलित नेतृत्व की आवश्यकता नहीं रही।”
तेजस्वी यादव ने दिलाई सदस्यता
बुधवार को पटना में एक औपचारिक कार्यक्रम आयोजित किया गया, जहां नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव ने ललन पासवान को पार्टी की सदस्यता दिलाई। इस दौरान पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी मौजूद थीं। कार्यक्रम के दौरान तेजस्वी यादव ने कहा कि ललन पासवान जैसे नेता का राजद परिवार में स्वागत है और उनका अनुभव तथा जमीनी जुड़ाव पार्टी के लिए मूल्यवान होगा। तेजस्वी यादव ने कहा कि “राजद समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है। हमारे दरवाजे हमेशा उन नेताओं के लिए खुले हैं जो सामाजिक न्याय, समानता और विकास के पक्ष में खड़े हैं।”
सोशल मीडिया पर दी जानकारी
राजद में शामिल होने के बाद ललन पासवान ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कई तस्वीरें साझा कीं, जिनमें वे तेजस्वी यादव और राबड़ी देवी के साथ नजर आ रहे हैं। इन तस्वीरों को शेयर करते हुए उन्होंने लिखा, “राष्ट्रीय जनता दल का कारवां बढ़ता रहे। आज से मैं भी हुआ शामिल। तेजस्वी मय बिहार बनाना है। हम सबने मिलकर ठाना है। तेजस्वी ही वर्तमान हैं, तेजस्वी ही भविष्य! जय भीम!!”उनकी इस पोस्ट पर समर्थकों की प्रतिक्रियाएं आनी शुरू हो गईं। कई लोगों ने उन्हें “दलित समाज की आवाज” बताते हुए उनके इस फैसले का स्वागत किया। वहीं, भाजपा समर्थकों ने उनके इस कदम को “स्वार्थपूर्ण” और “चुनावी अवसरवाद” करार दिया।
भाजपा को लगा झटका
ललन पासवान का राजद में शामिल होना भाजपा के लिए एक झटका माना जा रहा है, खासकर तब जब बिहार में विधानसभा चुनाव अपने निर्णायक मोड़ पर है। पीरपैंती सीट हमेशा से दलित मतदाताओं के प्रभाव में रही है और ललन पासवान इस समुदाय में एक मजबूत पकड़ रखते हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा द्वारा टिकट काटे जाने से नाराज होकर उनके राजद में शामिल होने से महागठबंधन को स्थानीय स्तर पर फायदा मिल सकता है। वहीं, भाजपा अब अपने नए प्रत्याशी मुरारी पासवान को लेकर क्षेत्र में पकड़ मजबूत करने की कोशिश में जुट गई है।
दलित राजनीति में बदलाव का संकेत
ललन पासवान की राजनीति हमेशा दलित समुदाय के सशक्तिकरण और उनके अधिकारों की लड़ाई से जुड़ी रही है। भाजपा छोड़ने के बाद उन्होंने कहा कि “अब मैं ऐसी पार्टी में हूं जो सामाजिक न्याय की बात करती है, और जहां हर वर्ग की आवाज को महत्व दिया जाता है।” राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बिहार में दलित वोट बैंक को लेकर एक बार फिर से राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। राजद की रणनीति भी इसी दिशा में नजर आ रही है, जहां वह सामाजिक न्याय के मुद्दे को केंद्र में रखकर दलित और पिछड़े वर्गों को अपने साथ जोड़ने की कोशिश कर रही है।
भाजपा नेताओं की प्रतिक्रिया
भाजपा ने ललन पासवान के कदम को “राजनीतिक अवसरवाद” बताया है। पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि “ललन पासवान को पार्टी ने हमेशा सम्मान दिया। उनका यह कदम व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा का परिणाम है। भाजपा विचारधारा आधारित पार्टी है और जो लोग व्यक्तिगत लाभ के लिए राजनीति करते हैं, उन्हें इसमें स्थान नहीं मिलता।” वहीं, भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि “पार्टी एक व्यक्ति पर निर्भर नहीं है। संगठन ही सबसे बड़ा है और भाजपा अपने सिद्धांतों पर कायम रहेगी।”
राजद में बढ़ती ऊर्जा
राजद नेताओं का मानना है कि ललन पासवान के आने से पार्टी को मजबूती मिलेगी। खासकर दलित समुदाय के मतदाताओं के बीच यह संदेश जाएगा कि राजद सभी वर्गों को बराबरी का सम्मान देती है।
तेजस्वी यादव ने इस मौके पर कहा कि “हमारा लक्ष्य है बिहार को रोजगार, शिक्षा और न्याय के मार्ग पर आगे बढ़ाना। ललन जी जैसे जनसेवी नेता इस मिशन को और बल देंगे।” भाजपा विधायक ललन पासवान का राजद में शामिल होना बिहार की राजनीति में एक नया मोड़ लेकर आया है। यह कदम न केवल दलित राजनीति में बदलाव का संकेत देता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि चुनावी माहौल में असंतोष और अवसर दोनों नेताओं को दिशा बदलने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि ललन पासवान का यह कदम राजद को कितनी राजनीतिक मजबूती देता है और भाजपा इस चुनौती का किस तरह सामना करती है। फिलहाल, तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद लगातार अपने जनाधार को व्यापक बनाने में जुटी है, और ललन पासवान जैसे नेताओं का जुड़ना इस दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।


