November 12, 2025

जम्मू में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों में मुठभेड़, फायरिंग जारी, जंगल में छुपे आतंकी, इलाके में सेना का सर्च ऑपरेशन

किश्तवाड़। जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी अभियानों का सिलसिला एक बार फिर तेज हो गया है। बुधवार सुबह किश्तवाड़ जिले के चटरू क्षेत्र के नैदगाम गाँव के पास घने जंगलों में सुरक्षा बलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई। दोनों ओर से भारी फायरिंग जारी है। इलाके में सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संयुक्त रूप से तलाशी अभियान शुरू किया है। बताया जा रहा है कि जंगल में दो से तीन आतंकी छिपे हुए हैं, जो पिछले कई महीनों से सुरक्षा एजेंसियों को चकमा दे रहे थे।
विशेष इनपुट पर शुरू हुआ ऑपरेशन
सूत्रों के अनुसार, सुरक्षा एजेंसियों को बीती रात यह पुख्ता जानकारी मिली थी कि किश्तवाड़ के चटरू क्षेत्र के नैदगाम के वन इलाके में कुछ आतंकवादी सक्रिय हैं। इसके बाद तड़के भारतीय सेना और जम्मू-कश्मीर पुलिस की संयुक्त टीम ने सर्च ऑपरेशन शुरू किया। जैसे ही जवान आगे बढ़े, आतंकियों ने फायरिंग शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने भी गोलियां चलानी शुरू कीं, जिससे मुठभेड़ तेज हो गई। अधिकारियों ने बताया कि यह इलाका घने जंगलों से घिरा हुआ है, जिससे आतंकियों को छिपने का मौका मिल रहा है। सेना ने पूरे इलाके को घेर लिया है और किसी भी संदिग्ध को भागने से रोकने के लिए सभी निकास मार्गों को बंद कर दिया गया है।
दो से तीन आतंकियों के छिपे होने की आशंका
सूत्रों के मुताबिक, प्रारंभिक जांच से यह जानकारी मिली है कि इस इलाके में दो से तीन आतंकवादी छिपे हुए हैं। ये आतंकवादी पिछले कई महीनों से सुरक्षा एजेंसियों की नजर में थे। कई बार इन पर ऑपरेशन चलाया गया, लेकिन वे घने जंगलों और पहाड़ी इलाकों का फायदा उठाकर भाग निकलते थे। इस बार सुरक्षा बलों ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया है। सैन्य सूत्रों के अनुसार, यह मुठभेड़ अब निर्णायक चरण में पहुंच रही है और आतंकियों को जल्द ही काबू में ले लिया जाएगा। सेना की अतिरिक्त टुकड़ियां भी इलाके में भेजी गई हैं ताकि आतंकियों को घेरने का दायरा और सख्त किया जा सके।
इलाके में मचा अफरा-तफरी का माहौल
मुठभेड़ की खबर फैलते ही चटरू और आसपास के गांवों में दहशत फैल गई। स्थानीय लोगों को सुरक्षा कारणों से अपने घरों में ही रहने के निर्देश दिए गए हैं। पूरे इलाके में मोबाइल नेटवर्क पर भी अस्थायी रोक लगा दी गई है ताकि आतंकवादी किसी तरह से संपर्क न कर सकें। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने कहा है कि आम नागरिकों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता है और इलाके को पूरी तरह से सैन्य नियंत्रण में रखा गया है। आसपास के ग्रामीण इलाकों में भी तलाशी अभियान जारी है, ताकि किसी भी आतंकी सहयोगी को पकड़ा जा सके।
पिछले महीने भी चली थी बड़ी कार्रवाई
यह मुठभेड़ ऐसे समय में हुई है जब घाटी में पिछले कुछ सप्ताह से सुरक्षा बलों ने आतंकियों के खिलाफ अभियान तेज किया हुआ है। बीते महीने कुपवाड़ा जिले के माछिल सेक्टर और दुदनियाल इलाके में एलओसी के पास सुरक्षा बलों ने दो आतंकवादियों को मार गिराया था। इन आतंकियों के पास से भारी मात्रा में हथियार, गोला-बारूद और पाकिस्तान निर्मित विस्फोटक सामग्री बरामद हुई थी। इसके अलावा श्रीनगर पुलिस ने भी हाल ही में प्रतिबंधित संगठनों जमात-ए-इस्लामी (जेईआई) और हुर्रियत कॉन्फ्रेंस से जुड़े कई संदिग्धों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। इस दौरान कई मोबाइल, दस्तावेज और फंडिंग से जुड़े सबूत मिले थे।
सुरक्षा एजेंसियों की रणनीति और आतंकियों की हताशा
सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि जम्मू-कश्मीर में हाल के महीनों में आतंकवाद पर नियंत्रण काफी हद तक मजबूत हुआ है। आतंकवादी अब सीमित इलाकों में छिपकर हमले करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन उन्हें सुरक्षा बलों की कड़ी निगरानी और सटीक खुफिया जानकारी के कारण सफलता नहीं मिल पा रही। किश्तवाड़ का यह इलाका ऊंचे पहाड़ों और घने जंगलों से घिरा है, जिसके कारण आतंकवादी यहां अक्सर छिपने के लिए आते हैं। हालांकि सेना ने इस इलाके में अपनी उपस्थिति बढ़ा दी है। सुरक्षा एजेंसियों का कहना है कि आतंकियों की संख्या अब बेहद सीमित रह गई है, लेकिन वे अभी भी सीमापार से फंडिंग और हथियारों की आपूर्ति से सक्रिय रहने की कोशिश कर रहे हैं।
सेना और पुलिस की संयुक्त मुहिम
किश्तवाड़ में चल रहे इस अभियान में भारतीय सेना की राष्ट्री राइफल्स और जम्मू-कश्मीर पुलिस की एसओजी (स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप) शामिल हैं। दोनों बलों के जवान इलाके के कठिन भौगोलिक हालात के बावजूद तेजी से ऑपरेशन को आगे बढ़ा रहे हैं। पुलिस के एक अधिकारी ने कहा कि “संपर्क स्थापित हो गया है और मुठभेड़ जारी है। हम किसी भी स्थिति के लिए तैयार हैं। आतंकियों को आत्मसमर्पण का मौका दिया गया है, लेकिन उन्होंने जवाब में फायरिंग की है।” अधिकारी ने यह भी बताया कि आतंकियों के पास आधुनिक हथियार हैं और वे संभवतः किसी बड़े हमले की योजना बना रहे थे।
नवंबर में पहली मुठभेड़
यह मुठभेड़ नवंबर महीने की शुरुआत के बाद से जम्मू-कश्मीर में पहली बड़ी मुठभेड़ है। पिछले कुछ सप्ताहों में सुरक्षा बलों ने कई इलाकों में तलाशी अभियान चलाए थे, लेकिन इस स्तर की मुठभेड़ अब सामने आई है। विशेषज्ञों के अनुसार, यह ऑपरेशन घाटी में आतंकवाद की जड़ें कमजोर करने की दिशा में एक और बड़ी सफलता साबित हो सकता है। किश्तवाड़ के नैदगाम इलाके में जारी यह मुठभेड़ इस बात का प्रमाण है कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद अभी पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है, लेकिन सुरक्षा बलों की सजगता और संयुक्त कार्रवाई के कारण आतंकियों की हर कोशिश नाकाम हो रही है। सेना और पुलिस के बीच बेहतर समन्वय के चलते आतंकवाद विरोधी मुहिम लगातार सफल हो रही है। घने जंगलों में जारी यह मुठभेड़ आने वाले घंटों में किसी बड़े परिणाम के साथ खत्म हो सकती है। फिलहाल सुरक्षा एजेंसियां इलाके को पूरी तरह घेरकर आतंकियों के सफाए के लिए अंतिम चरण में पहुंच चुकी हैं। जम्मू-कश्मीर के लिए यह अभियान आतंकवाद के खिलाफ एक और अहम कदम माना जा रहा है।

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