दुलारचंद हत्याकांड में दो एसएचओ किए गए सस्पेंड, अबतक 35 की हुई गिरफ्तारी, मोकामा में बवाल जारी
पटना। मोकामा में राजद नेता दुलारचंद यादव की हत्या के बाद पूरे इलाके में तनाव की स्थिति बनी हुई है। इस घटना ने न सिर्फ राजनीतिक माहौल को गरमाया है, बल्कि कानून-व्यवस्था को लेकर गंभीर सवाल भी खड़े कर दिए हैं। मामले में प्रशासन ने तत्काल कार्रवाई करते हुए घोसवरी थाना अध्यक्ष मधुसूदन कुमार और भदौर थाना अध्यक्ष रविरंजन को निलंबित कर दिया है। उन पर आरोप है कि उन्होंने समय रहते उचित कार्रवाई नहीं की, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई।
सस्पेंशन और गिरफ्तारी की पुष्टि
ग्रामीण एसपी विक्रम सिहाग ने बताया कि इस मामले में अब तक 35 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है और पूछताछ जारी है। प्रशासन का कहना है कि यह कदम कानून व्यवस्था को मजबूत बनाने और अपराधियों पर सख्त कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है। अधिकारियों के निलंबन से स्पष्ट संदेश दिया गया है कि लापरवाही किसी भी स्तर पर बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से खुला सच
घटना के बाद हत्या की सच्चाई का खुलासा पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट से हुआ। तीन डॉक्टरों की टीम ने मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में लगभग दो घंटे तक पोस्टमॉर्टम किया। रिपोर्ट में सामने आया कि दुलारचंद के सीने पर वाहन चढ़ाया गया था, जिससे उनकी छाती की हड्डी टूट गई और दोनों फेफड़े फट गए। इसी वजह से उनकी मौके पर ही मृत्यु हो गई। इससे यह स्पष्ट होता है कि यह घटना मात्र आपसी विवाद नहीं, बल्कि गंभीर और योजनाबद्ध हिंसक हमला था।
एफआईआर में लगाए गए गंभीर आरोप
दुलारचंद के पोते नीरज कुमार ने अपनी एफआईआर में पूर्व सांसद और बाहुबली छवि वाले अनंत सिंह और उनके समर्थकों पर हत्या का आरोप लगाया है। एफआईआर के अनुसार, पहले दुलारचंद के साथ गाली-गलोज और धक्का-मुक्की की गई। उसके बाद अनंत सिंह ने कथित रूप से अपनी कमर से पिस्टल निकालकर गोली चलाई, जो दुलारचंद के पैर में लगी। जब वे गिर गए, तब छोटन सिंह नामक व्यक्ति ने लोहे की रॉड से उन्हें पीटा। इसके बाद थार गाड़ी से उन्हें आगे-पीछे रौंदा गया। इस हमले के बाद उन्हें मृत अवस्था में छोड़कर आरोपी भाग गए।
कुल तीन एफआईआर दर्ज
इस पूरे घटनाक्रम में कुल तीन अलग-अलग मामले दर्ज किए गए हैं। पहला मामला दुलारचंद के पोते नीरज द्वारा भदौर थाने में दर्ज कराया गया। दूसरा मामला अनंत सिंह के समर्थक जितेंद्र कुमार द्वारा दर्ज किया गया, जिसमें उन्होंने अपनी ओर से मारपीट का आरोप लगाया है। तीसरा मामला पुलिस की ओर से अपने बयान के आधार पर दर्ज किया गया है। इससे स्पष्ट है कि मामला सिर्फ एकतरफा नहीं, बल्कि दोनों पक्ष आमने-सामने थे।
अंत्येष्टि के दौरान भी तनाव
दुलारचंद यादव का अंतिम संस्कार शुक्रवार देर रात किया गया। उनके अंतिम यात्रा के दौरान भी हालात तनावपूर्ण रहे। पंडारक क्षेत्र में रास्ते में दो बार पथराव हुआ और राजद प्रत्याशी वीणा देवी की गाड़ी पर हमला और तोड़फोड़ की गई। कई लोग घायल भी हुए। इस दौरान पुलिस की निष्क्रियता पर सवाल उठे कि जब वातावरण पहले से तनावपूर्ण था, तब सुरक्षा व्यवस्था को क्यों कड़ा नहीं किया गया।
चुनाव आयोग की सख्ती और राजनीतिक प्रतिक्रिया
यह मामला चुनावी माहौल में होने के कारण अब और गंभीर हो गया है। चुनाव आयोग ने इस घटना पर बिहार के पुलिस महानिदेशक से तत्काल रिपोर्ट मांगी है। वहीं राजद सांसद मनोज झा ने इस घटना को प्रशासनिक विफलता बताते हुए कहा कि यह मामला खुला और साफ है, इसमें सच्चाई को छिपाने की कोई गुंजाइश नहीं है। उन्होंने केंद्र सरकार की ओर से बिहार में कानून व्यवस्था को लेकर की जाने वाली टिप्पणियों पर भी सवाल खड़े किए। दुलारचंद हत्याकांड न सिर्फ एक अपराध की घटना है, बल्कि यह राजनीतिक और प्रशासनिक स्थिति की गंभीरता को भी दर्शाता है। दो थानेदारों का निलंबन और लगातार गिरफ्तारी की कार्रवाई यह दिखाती है कि मामले की जांच तेजी से आगे बढ़ रही है। लेकिन जब तक तनावपूर्ण माहौल पूरी तरह नियंत्रित नहीं हो जाता, तब तक शांति बहाल होना कठिन है।


