January 1, 2026

जेल से बाहर आएंगे आसाराम, राजस्थान हाईकोर्ट ने दी 6 महीने की अंतरिम जमानत

जोधपुर। यौन उत्पीड़न के मामले में जोधपुर सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे स्वयंभू धर्मगुरु आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने बुधवार को उनकी ओर से दायर की गई रेगुलर जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए छह महीने की अंतरिम जमानत मंजूर कर दी है। अदालत ने यह राहत स्वास्थ्य संबंधी कारणों के आधार पर दी है।
स्वास्थ्य कारणों के चलते मिली राहत
जानकारी के अनुसार, आसाराम लंबे समय से बीमार चल रहे हैं और वर्तमान में जोधपुर के एक निजी अस्पताल में उनका उपचार जारी है। उनकी ओर से वकीलों ने अदालत में तर्क दिया कि जेल में रहते हुए उचित चिकित्सा सुविधा नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते उनकी सेहत लगातार बिगड़ती जा रही है। इस पर राजस्थान हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजीव प्रकाश शर्मा की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई की और आसाराम की हालत को देखते हुए छह महीने की अंतरिम जमानत मंजूर कर दी।
कई बार खारिज हो चुकी हैं जमानत याचिकाएं
यह पहली बार नहीं है जब आसाराम ने अदालत से राहत की मांग की हो। इससे पहले भी उन्होंने सुप्रीम कोर्ट, राजस्थान हाईकोर्ट और गुजरात हाईकोर्ट में जमानत याचिकाएं दायर की थीं, लेकिन हर बार उनकी अर्जी खारिज हो गई थी। अदालतों ने तब यह माना था कि गंभीर अपराध में दोषी पाए जाने के बाद उन्हें नियमित जमानत नहीं दी जा सकती। हालांकि, अब उनकी उम्र और स्वास्थ्य की स्थिति को देखते हुए अदालत ने अस्थायी राहत दी है।
2013 में हुआ था यौन शोषण का मामला दर्ज
गौरतलब है कि आसाराम का असली नाम आसूमल थाऊमल सिरुमलानी है। वे अपने अनुयायियों के बीच “बापू” के नाम से प्रसिद्ध हैं। वर्ष 2013 में उनके खिलाफ एक नाबालिग लड़की ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। यह मामला इंदौर और जोधपुर पुलिस में दर्ज किया गया था। लंबी सुनवाई और जांच के बाद 2018 में जोधपुर की एक अदालत ने आसाराम को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। तब से वे जोधपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं।
अदालत ने लगाई कुछ शर्तें
हाईकोर्ट ने जमानत देते हुए आसाराम पर कुछ शर्तें भी लगाई हैं। उन्हें छह महीने की अवधि के दौरान अदालत की अनुमति के बिना देश से बाहर जाने की इजाजत नहीं होगी। इसके साथ ही अदालत ने कहा है कि जमानत अवधि के दौरान आसाराम किसी भी गवाह या मामले से जुड़े व्यक्ति से संपर्क नहीं करेंगे। अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि छह महीने बाद उनकी सेहत की स्थिति की समीक्षा के बाद आगे की कार्रवाई तय की जाएगी।
इलाज के बहाने मिली राहत पर उठे सवाल
हालांकि, अदालत के इस फैसले के बाद कई सामाजिक संगठनों और महिला अधिकार कार्यकर्ताओं ने नाराजगी जताई है। उनका कहना है कि एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म के मामले में दोषी पाए गए व्यक्ति को अंतरिम जमानत देना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है। वहीं, आसाराम के समर्थक इसे “मानवीय आधार पर दिया गया निर्णय” बता रहे हैं। उनका कहना है कि उम्रदराज और बीमार व्यक्ति को इलाज के लिए राहत मिलना न्यायसंगत है।
अब तक मिली राहतें और वर्तमान स्थिति
आसाराम को इससे पहले भी विशेष परिस्थितियों में चिकित्सा आधार पर अंतरिम राहतें मिल चुकी हैं। 2021 और 2023 में भी उन्हें स्वास्थ्य कारणों से अस्थायी जमानत दी गई थी, हालांकि तय अवधि के बाद वे वापस जेल लौट आए थे। फिलहाल, उनकी तबीयत में लगातार गिरावट की खबरें सामने आ रही थीं, जिसके बाद उनके वकीलों ने रेगुलर जमानत की अर्जी दायर की थी।
आगे की कानूनी प्रक्रिया
राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश के बाद जेल प्रशासन ने जमानत की प्रक्रिया शुरू कर दी है। संभावना है कि मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट के बाद अगले कुछ दिनों में आसाराम को अस्पताल से ही रिहा कर दिया जाएगा। जमानत की अवधि पूरी होने पर उन्हें दोबारा अदालत के सामने पेश होना होगा, जहां उनकी स्वास्थ्य रिपोर्ट और व्यवहार के आधार पर आगे की सुनवाई होगी। आसाराम को मिली यह छह महीने की अंतरिम जमानत कानूनी और सामाजिक दोनों दृष्टियों से चर्चा का विषय बन गई है। एक ओर जहां अदालत ने इसे स्वास्थ्य से जुड़ी संवेदनशीलता के आधार पर उचित माना है, वहीं दूसरी ओर पीड़िता पक्ष और महिला संगठनों ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं। अब देखना यह होगा कि आने वाले महीनों में आसाराम की सेहत और उनके खिलाफ लंबित कानूनी लड़ाई किस दिशा में आगे बढ़ती है।

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