October 28, 2025

नहाए खाए पर पटना के गंगा घाटों पर उमड़ी छठव्रतियों की भीड़, आस्था का अनूठा संगम, प्रशासन के पुख्ता इंतजाम

पटना। लोक आस्था का चार दिवसीय महान पर्व छठ पूजा इस वर्ष शनिवार से नहाय-खाय के साथ विधिवत रूप से शुरू हो गया है। बिहार की राजधानी पटना में इस अवसर पर श्रद्धा और भक्ति का अद्भुत संगम देखने को मिल रहा है। गंगा घाटों पर सुबह से ही छठव्रतियों की भीड़ उमड़ पड़ी। व्रतियों ने पवित्र गंगा में स्नान कर पूजा-अर्चना की और व्रत की शुरुआत की। यह पर्व सूर्य देव और छठी मैया को समर्पित है, जिसमें शुद्धता, आत्मसंयम और आस्था का विशेष महत्व होता है।
प्रशासन की सतर्कता और तैयारी
छठ पर्व के दौरान हर वर्ष लाखों श्रद्धालु पटना के विभिन्न घाटों पर एकत्र होते हैं। इसे ध्यान में रखते हुए इस बार जिला प्रशासन ने सुरक्षा और सुविधा के विशेष इंतजाम किए हैं। पटना जिलाधिकारी त्याग राजन और वरीय आरक्षी अधीक्षक कार्तिकेय शर्मा स्वयं घाटों का दौरा कर तैयारियों का निरीक्षण कर रहे हैं। उन्होंने सभी अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि किसी भी परिस्थिति में श्रद्धालुओं को असुविधा न हो। घाटों पर पुलिस बल की तैनाती बढ़ा दी गई है। महिला और पुरुष पुलिस कर्मी, पैदल गश्ती दल और पेट्रोलिंग वाहन लगातार निगरानी कर रहे हैं।
खतरनाक घाटों पर रोक और सुरक्षा उपाय
पटना जिला प्रशासन ने एहतियात के तौर पर आधा दर्जन घाटों को खतरनाक घोषित किया है। इन घाटों पर श्रद्धालुओं के प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। प्रशासन का कहना है कि इन घाटों पर पानी का बहाव तेज है और फिसलन अधिक होने के कारण हादसे की संभावना रहती है। इन क्षेत्रों में पुलिस बल और गोताखोरों की विशेष टीमों को सतर्क रखा गया है ताकि कोई अप्रिय घटना न घटे।
व्यापक नागरिक सुविधाओं की व्यवस्था
छठ महापर्व को देखते हुए पटना नगर निगम ने नागरिक सुविधाओं की विशेष व्यवस्था की है। गंगा नदी और उसकी सहायक नदियों के लगभग 550 घाटों को पूजा के लिए तैयार किया गया है। इसके अतिरिक्त कई पार्कों और तालाबों में भी अर्घ्यदान की व्यवस्था की गई है। नगर निगम क्षेत्र में 102 गंगा घाट, 45 पार्क और 63 तालाबों को पूजा स्थल के रूप में निर्धारित किया गया है। इन सभी स्थानों पर बिजली, पानी, प्रकाश और सफाई की विशेष व्यवस्था की गई है। रात के समय घाटों पर रोशनी की पर्याप्त व्यवस्था की गई है ताकि श्रद्धालु सुरक्षित रूप से पूजा कर सकें।
एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की तैनाती
संभावित आपदा या आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने एनडीआरएफ और एसडीआरएफ की टीमें तैनात की हैं। एनडीआरएफ की 9 टीमें जिनमें 277 सदस्य शामिल हैं, लगातार निगरानी में रहेंगी। वहीं एसडीआरएफ की 9 टीमें (36 सदस्य), 444 गोताखोर और 323 नाविकों को घाटों पर तैनात किया गया है। इसके साथ ही सिविल डिफेंस के 149 वॉलंटियर्स भी श्रद्धालुओं की सहायता के लिए मौजूद रहेंगे। रिवर पेट्रोलिंग की व्यवस्था की गई है ताकि किसी भी आकस्मिक स्थिति पर तुरंत कार्रवाई की जा सके।
नाव परिचालन पर रोक और सुरक्षा निगरानी
गंगा नदी में छठ पूजा के दौरान भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने नावों के परिचालन पर रोक लगा दी है। केवल प्रशासनिक कार्यों या आपात स्थिति में उपयोग होने वाली नावों को अनुमति दी गई है। किसी भी अवैध नाव परिचालन या असुरक्षित गतिविधि पर सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। पुलिस और जल संसाधन विभाग की टीमें संयुक्त रूप से निगरानी कर रही हैं।
श्रद्धा और भक्ति का वातावरण
पटना के गंगा घाटों पर शनिवार की सुबह श्रद्धा का मनोहारी दृश्य देखने को मिला। महिलाएं परंपरागत वेशभूषा में घाटों पर पहुंचीं और गंगा स्नान के बाद नहाय-खाय की पूजा संपन्न की। कई परिवार अपने साथ पूजा सामग्री लेकर घाटों पर पहुंचे। जगह-जगह भजन-कीर्तन और लोकगीतों की गूंज से वातावरण भक्तिमय बना हुआ है। यह दृश्य न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि बिहार की सांस्कृतिक पहचान का भी सशक्त उदाहरण प्रस्तुत करता है।
प्रशासनिक अपील और जनसहयोग
जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं से अपील की है कि वे भीड़भाड़ वाले घाटों की बजाय अपने निकटवर्ती घाटों या तालाबों पर पूजा करें ताकि भीड़ का दबाव कम हो सके। इसके अलावा, सुरक्षा कर्मियों के निर्देशों का पालन करने और नदी किनारे सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। प्रशासन ने यह भी कहा है कि किसी भी आपात स्थिति में हेल्पलाइन नंबरों पर तुरंत संपर्क किया जा सकता है। छठ महापर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि बिहार की संस्कृति, अनुशासन और आस्था का जीवंत प्रतीक है। पटना के गंगा घाटों पर उमड़ी व्रतियों की भीड़ इस पर्व की लोकप्रियता और लोगों की श्रद्धा का परिचायक है। प्रशासन की सजगता और श्रद्धालुओं का सहयोग मिलकर इस पर्व को सफल और सुरक्षित बनाएंगे। नहाय-खाय के साथ आरंभ हुआ यह पावन पर्व आने वाले दिनों में खरना, संध्या अर्घ्य और प्रातः अर्घ्य के साथ अपने चरम पर पहुंचेगा, जब आस्था का यह महोत्सव संपूर्ण बिहार को एक पवित्र भावना में जोड़ देगा।

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