October 28, 2025

पप्पू यादव को इनकम टैक्स में भेजा नोटिस, आचार संहिता में कैश बांटने का मामला, सियासी घमासान बढ़ा

पटना। बिहार की सियासत में इन दिनों एक नया विवाद उभर कर सामने आया है। पूर्णिया से सांसद और जन अधिकार पार्टी के प्रमुख पप्पू यादव को आयकर विभाग ने नोटिस जारी किया है। आरोप है कि उन्होंने बाढ़ पीड़ितों के बीच नकद रुपये बांटे, जो चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन की श्रेणी में आता है। इस पूरे मामले ने न केवल राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है, बल्कि यह भी सवाल खड़े किए हैं कि जनता की मदद और चुनावी नियमों के बीच सीमा रेखा कहां तय की जाए।
घटना की पृष्ठभूमि
कुछ सप्ताह पहले वैशाली जिले में बाढ़ की भयावह स्थिति थी। कई गांवों में गंगा नदी के जलस्तर बढ़ने से लोगों के घर-द्वार बह गए थे। इसी दौरान पप्पू यादव राहत सामग्री और आर्थिक मदद लेकर इन इलाकों में पहुंचे। उन्होंने मनियारी गांव और आसपास के क्षेत्रों में बाढ़ पीड़ित परिवारों को नकद सहायता दी। स्थानीय लोगों के अनुसार, सांसद ने जिन परिवारों की झोपड़ियां बह गई थीं या जिनके पास खाने के साधन नहीं थे, उन्हें आर्थिक सहयोग प्रदान किया।
वीडियो वायरल और मामला दर्ज
पप्पू यादव द्वारा रुपये बांटने का एक वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल हुआ। इसके बाद वैशाली जिले के सहदेई थाने में उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। प्रशासन का तर्क था कि विधानसभा चुनाव की घोषणा हो चुकी थी, इसलिए आदर्श आचार संहिता लागू थी। इस दौरान किसी भी उम्मीदवार या जनप्रतिनिधि द्वारा नकद वितरण या किसी प्रकार की आर्थिक सहायता देना नियमों का उल्लंघन माना जाता है।
इनकम टैक्स का नोटिस और सांसद की प्रतिक्रिया
शनिवार सुबह पप्पू यादव ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए लिखा, “मुझे इनकम टैक्स का नोटिस मिला है। बाढ़ पीड़ितों की मदद में रुपये बांटने को अपराध बताया गया है। अगर यह अपराध है, तो मैं यह अपराध बार-बार करूंगा, क्योंकि पीड़ितों की मदद करना मेरा कर्तव्य है।” उन्होंने आगे कहा कि वैशाली जिले के मनियारी गांव में बाढ़ से तबाही मची थी, जहां लोगों के घर और खेत सब पानी में समा गए थे। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या उन्हें भी बाकी नेताओं की तरह मूकदर्शक बने रहना चाहिए था?
राजनीतिक हलचल और विपक्ष का रुख
पप्पू यादव के इस बयान के बाद बिहार की राजनीति में नए सिरे से बहस शुरू हो गई है। विपक्षी दलों ने इसे केंद्र सरकार की एजेंसियों के दुरुपयोग का उदाहरण बताया। राजद और कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बाढ़ के समय जनता की मदद करने वाले सांसद को सजा देना दुर्भाग्यपूर्ण है। वहीं, एनडीए गठबंधन के कुछ नेताओं ने कहा कि चुनावी आचार संहिता सब पर समान रूप से लागू होती है और नियमों का पालन हर किसी को करना चाहिए, चाहे वह किसी भी दल से हो।
प्रशासनिक पक्ष और नियमों की सीमा
चुनाव आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, आचार संहिता लागू होने के बाद किसी भी उम्मीदवार या जनप्रतिनिधि द्वारा नकद वितरण, वस्तुओं का वितरण या कोई भी ऐसा कार्य जो मतदाताओं को प्रभावित कर सके, प्रतिबंधित है। भले ही यह कार्य सामाजिक सेवा या राहत कार्य के नाम पर किया जाए, यह उल्लंघन की श्रेणी में आता है। प्रशासन का मानना है कि यदि हर राजनेता इस तरह राहत देने लगे, तो यह मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है और चुनाव की निष्पक्षता पर सवाल खड़े होंगे।
जनता और समर्थकों की प्रतिक्रिया
पप्पू यादव अपने बेबाक और जनता से सीधे जुड़ाव वाले नेता माने जाते हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि वह हमेशा संकट के समय जनता के बीच रहे हैं। कोरोना काल, बाढ़, भूकंप या दुर्घटनाओं के दौरान उन्होंने लगातार राहत कार्य किए हैं। समर्थकों का यह भी कहना है कि इस बार भी उनका उद्देश्य राजनीति नहीं, बल्कि जनसेवा था। वहीं कुछ नागरिकों का यह भी कहना है कि यदि नियमों का उल्लंघन हुआ है तो जांच निष्पक्ष होनी चाहिए, क्योंकि कानून सबके लिए समान होना चाहिए।
सियासी समीकरणों पर असर
यह विवाद ऐसे समय में सामने आया है जब बिहार में विधानसभा चुनाव का माहौल गर्म है। पप्पू यादव पहले ही कई सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की घोषणा कर चुके हैं और महागठबंधन से अलग रास्ता अपना रहे हैं। ऐसे में यह मामला उनके राजनीतिक भविष्य और जनसमर्थन पर असर डाल सकता है। विरोधी दल इसे नैतिकता का मुद्दा बता रहे हैं, जबकि पप्पू यादव इसे “मानवता बनाम राजनीति” की लड़ाई कह रहे हैं। पप्पू यादव को इनकम टैक्स का नोटिस और आचार संहिता उल्लंघन का यह मामला केवल कानूनी विवाद नहीं, बल्कि नैतिक और राजनीतिक बहस का विषय बन गया है। एक ओर चुनावी नियमों की सख्ती है, तो दूसरी ओर मानवीय संवेदना की जिम्मेदारी। यह देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले दिनों में जांच का क्या नतीजा निकलता है और जनता इस पूरे घटनाक्रम को किस नजरिए से देखती है। फिलहाल इतना तय है कि इस विवाद ने बिहार की चुनावी राजनीति में एक नई हलचल जरूर पैदा कर दी है।

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