दिल्ली में दो जगह अपराधियों और पुलिस में मुठभेड़, तीन अपराधी घायल, कांस्टेबल को लगी चोट
नई दिल्ली। दिल्ली में अपराधियों और पुलिस के बीच हुई मुठभेड़ों की घटनाओं ने राजधानी में सुरक्षा की संवेदनशीलता को एक बार फिर उजागर किया है। शनिवार को नांगलोई और महरौली में अलग-अलग मुठभेड़ों में अपराधियों और पुलिस के बीच गोलीबारी हुई। इन मुठभेड़ों में कुल चार अपराधी घायल हुए, जबकि एक पुलिस कांस्टेबल को भी चोट लगी। अधिकारियों ने बताया कि मुठभेड़ों की जांच अभी भी जारी है।
नांगलोई मुठभेड़ का विवरण
नांगलोई इलाके में शनिवार को पुलिस और अपराधियों के बीच थोड़ी देर के लिए गोलीबारी हुई। इस मुठभेड़ में तीन अपराधी घायल हो गए। घायल अपराधियों पर पहले भी पुलिस के खिलाफ फायरिंग और अन्य गंभीर अपराधों के कई मामले दर्ज हैं। पुलिस ने कहा कि घायल अपराधियों की पहचान और उनके अपराध इतिहास की जांच की जा रही है।
महरौली मुठभेड़ और घायल अपराधी
उसी दिन महरौली इलाके में भी एक अलग मुठभेड़ हुई, जिसमें वांछित अपराधी कोकू पहाड़िया गोली लगने से घायल हो गया। इस मुठभेड़ के दौरान दो पुलिस कर्मियों की बुलेटप्रूफ जैकेट पर गोलियां लगीं, जबकि एक कांस्टेबल के हाथ में चोट आई। अधिकारियों के अनुसार, मुठभेड़ उस समय हुई जब पुलिस टीम को कोकू पहाड़िया की गतिविधियों की पुख्ता जानकारी मिली।
पुलिस और अपराधी के बीच की घटनाक्रम
जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने कोकू पहाड़िया को रोकने की कोशिश की। इस दौरान आरोपी ने भागने का प्रयास किया और पुलिस टीम पर गोलियां चलाईं। पुलिस ने अपने बचाव में जवाबी कार्रवाई की और आरोपी को गोली लग गई। घायल आरोपी को तुरंत अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी स्थिति स्थिर बताई जा रही है। इस घटना ने यह स्पष्ट किया कि अपराधियों की हिंसक प्रवृत्ति के कारण पुलिस को सतर्क रहना पड़ता है।
रोहिणी मुठभेड़ का पृष्ठभूमि
इसके पहले गुरुवार रात को एक बड़े ऑपरेशन के दौरान दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और बिहार पुलिस ने संयुक्त कार्रवाई की। रोहिणी में बहादुर शाह मार्ग पर डॉ. अंबेडकर चौक और पंसाली चौक के बीच हुई मुठभेड़ में बिहार के कुख्यात रंजन पाठक गिरोह के चार सदस्य मारे गए। इन चारों की पहचान रंजन पाठक, बिमलेश महतो उर्फ बिमलेश सहनी, मनीष पाठक और अमन ठाकुर के रूप में हुई।
गिरोह की गतिविधियां और अपराध इतिहास
पुलिस ने बताया कि ये चारों आरोपी बिहार में कई जघन्य अपराधों में वांछित थे। इनमें हत्या, डकैती और अन्य गंभीर मामलों में उनकी संलिप्तता रही है। विशेष रूप से यह गिरोह बिहार में ब्रह्मश्री सेना के जिला प्रमुख गणेश शर्मा, मदन शर्मा और आदित्य सिंह की हत्याओं में कथित रूप से शामिल था। पुलिस की इस कार्रवाई ने राजधानी में अपराधियों की सक्रियता को रोकने में मदद की।
मुठभेड़ों की चुनौती और पुलिस सुरक्षा
इन घटनाओं ने यह भी स्पष्ट किया कि अपराधियों की हिंसक प्रवृत्ति और उनकी गति के कारण पुलिस के लिए ऐसे ऑपरेशन चुनौतीपूर्ण होते हैं। मुठभेड़ों के दौरान पुलिस कर्मियों की सुरक्षा के लिए बुलेटप्रूफ जैकेट और सावधानीपूर्वक रणनीति अपनाई जाती है। महरौली में घायल कांस्टेबल ने भी इस चुनौतीपूर्ण कार्य को संभाला, जो पुलिस बल की समर्पित और साहसी भूमिका को दर्शाता है।
सुरक्षा और जांच की प्रक्रिया
पुलिस ने सभी मुठभेड़ों में घायल अपराधियों को हिरासत में लेकर आगे की जांच शुरू कर दी है। इस दौरान यह पता लगाया जा रहा है कि अपराधियों के सहयोगी कौन हैं और उनकी गतिविधियां किस दिशा में जा रही थीं। पुलिस का उद्देश्य है कि ऐसे अपराधियों को भविष्य में किसी भी प्रकार की हिंसक घटना से पहले रोकना और राजधानी में सुरक्षा सुनिश्चित करना। दिल्ली में लगातार हो रही मुठभेड़ें यह दर्शाती हैं कि अपराधियों की हिंसक प्रवृत्ति और उनकी संगठनात्मक गतिविधियों पर पुलिस सतत निगरानी रख रही है। नांगलोई, महरौली और रोहिणी में हुई मुठभेड़ें इस बात का प्रमाण हैं कि पुलिस अपराध नियंत्रण और कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए हर संभव कदम उठा रही है। साथ ही यह घटनाएं नागरिकों को यह संदेश भी देती हैं कि कानून-व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस की निष्ठा और साहस अपरिहार्य है। इन घटनाओं के माध्यम से यह स्पष्ट होता है कि राजधानी में सुरक्षा और अपराध नियंत्रण के लिए पुलिस लगातार सक्रिय है और अपराधियों की हिंसक गतिविधियों को रोकने में कोई कसर नहीं छोड़ रही।


