चिराग का तेजस्वी पर हमला, कहा- वे हमारे कारण 75 सीट जीते, उनमें अकेले लड़ने की हिम्मत नहीं
पटना। बिहार की राजनीति में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव नजदीक आ रहे हैं, राजनीतिक दलों के बीच बयानबाज़ी और आरोप-प्रत्यारोप का दौर तेज़ होता जा रहा है। इसी क्रम में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान ने एक बार फिर अपने राजनीतिक प्रभाव का दावा करते हुए राजद और महागठबंधन पर सीधा हमला बोला है। चिराग का कहना है कि पिछली विधानसभा चुनाव में राजद की जीत में उनकी रणनीति का बड़ा योगदान रहा। उन्होंने यह भी दावा किया कि अगर लोजपा एनडीए के साथ रहती, तो राजद को इतनी सीटें नहीं मिलतीं।
राजद की जीत पर चिराग का दावा
चिराग पासवान ने कहा कि 2020 के विधानसभा चुनाव में राजद को 75 सीटें जीतने का जो मौका मिला, वह उनकी रणनीति और चुनावी प्रभाव का नतीजा था। उनके अनुसार, एनडीए से लोजपा के अलग होने का सीधा असर हुआ, जिससे राजद को लाभ मिला। उन्होंने कहा कि बहुत लोग आरोप लगाते हैं कि लोजपा ने जेडीयू को नुकसान पहुंचाया, लेकिन इसका अर्थ यह भी है कि उस नुकसान का लाभ राजद को मिला। चिराग ने स्पष्ट कहा कि अगर लोजपा एनडीए का हिस्सा होती, तो राजद की सीटें इतनी अधिक नहीं होतीं। उन्होंने यह भी जोड़ा कि चुनाव केवल वोटों के आंकड़ों का खेल नहीं होता, बल्कि रणनीति, छवि और गठबंधन की मजबूती पर भी निर्भर करता है।
विपक्ष पर तीखा हमला
चिराग पासवान ने महागठबंधन और विशेष रूप से राजद पर हमला बोलते हुए कहा कि वे अकेले चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं रखते। उन्होंने कहा कि बिहार की सबसे पुरानी पार्टी राजद और देश की पुरानी पार्टी कांग्रेस दोनों अब गठबंधन पर निर्भर हैं। अगर इनमें आत्मविश्वास होता, तो ये पार्टियां अकेले मैदान में उतरतीं। चिराग ने कहा कि आज के दौर में बिहार की राजनीति में जो भी दल अकेले चुनाव लड़ने की सोचता है, उसे जनता का भरोसा और संगठनात्मक शक्ति चाहिए। लेकिन राजद और कांग्रेस जैसे दल उस स्तर तक खुद को तैयार नहीं कर पाए हैं।
गठबंधन की ताकत पर जोर
चिराग पासवान ने एनडीए की ताकत का उल्लेख करते हुए कहा कि एनडीए का ढांचा इतना मजबूत है कि विपक्षी दल उसकी बराबरी नहीं कर सकते। उन्होंने कहा कि एनडीए का गठबंधन केवल राजनीतिक सुविधा नहीं, बल्कि विचारधारा और जनसेवा पर आधारित है। लोजपा ने हमेशा इस गठबंधन को मजबूत किया है और कई बार चुनावी समीकरण को एनडीए के पक्ष में मोड़ा है। उनका कहना था कि लोजपा और एनडीए की साझेदारी बिहार की राजनीति में निर्णायक रही है। इस गठबंधन ने जहां जेडीयू-भाजपा को लाभ पहुंचाया, वहीं कई जगहों पर विपक्षी दलों को चुनौती दी।
महागठबंधन की प्रेस वार्ता पर सवाल
चिराग पासवान ने महागठबंधन की हालिया प्रेस कॉन्फ्रेंस पर भी कटाक्ष किया। उन्होंने कहा कि इस प्रेस वार्ता में केवल एक ही व्यक्ति का चेहरा प्रमुखता से दिखाया गया, जबकि बाकी नेताओं को नजरअंदाज कर दिया गया। चिराग ने कहा कि यह गठबंधन धर्म का अपमान है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस जैसी राष्ट्रीय पार्टी को न सीट बंटवारे में सम्मान दिया गया, न पोस्टरों में जगह। यह दिखाता है कि महागठबंधन में वास्तविक शक्ति किसके पास है और बाकी दल मात्र औपचारिक सहयोगी हैं।
एनडीए और लोजपा की भूमिका
चिराग ने यह दोहराया कि लोजपा का योगदान एनडीए की मजबूती में महत्वपूर्ण रहा है। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी ने हमेशा भाजपा और सहयोगी दलों के साथ मिलकर काम किया है ताकि बिहार में स्थिरता और विकास कायम रहे। चिराग का कहना था कि लोजपा के अलग होने से जो सीटें राजद के खाते में गईं, वह केवल रणनीतिक समीकरण का परिणाम थीं। उन्होंने कहा कि एनडीए के साथ लोजपा की उपस्थिति हमेशा विपक्षी दलों के लिए चुनौती रही है, और आने वाले चुनावों में भी यह गठबंधन निर्णायक भूमिका निभाएगा।
चुनावी रणनीति और भविष्य की राजनीति
चिराग पासवान ने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि आने वाले चुनाव में उनकी पार्टी की रणनीति बिहार के विकास और युवाओं के सशक्तिकरण पर केंद्रित होगी। उन्होंने कहा कि बिहार की जनता आज भी विकास, रोजगार और सुशासन चाहती है, और एनडीए इस दिशा में काम कर रहा है। उनके अनुसार, राजनीति केवल सत्ता पाने का साधन नहीं, बल्कि जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने का माध्यम है। उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों को दूसरों पर आरोप लगाने के बजाय अपनी नीतियों और संगठन पर ध्यान देना चाहिए। चिराग पासवान का यह बयान न केवल महागठबंधन पर राजनीतिक हमला है, बल्कि आने वाले चुनाव की रणनीति का संकेत भी देता है। उनके शब्दों से यह स्पष्ट है कि वे खुद को बिहार की राजनीति में एक प्रभावशाली शक्ति के रूप में स्थापित करना चाहते हैं। उन्होंने यह संदेश दिया है कि लोजपा और एनडीए का गठबंधन अगर मजबूत हुआ, तो विपक्ष के लिए चुनावी चुनौती और कठिन होगी। इस तरह, चिराग का यह बयान बिहार की सियासी गर्माहट को और बढ़ा गया है और आने वाले दिनों में राज्य की राजनीति में नए समीकरण बनते दिखाई दे सकते हैं।


