पटना में 98 घाटों पर होगी छठ पूजा, पांच घाट खतरनाक, डीएम ने तैयारियों का लिया जायजा
पटना। लोक आस्था का महापर्व छठ बिहार की धार्मिक और सांस्कृतिक अस्मिता का प्रतीक है। यह पर्व सूर्य उपासना, पवित्रता और पारिवारिक एकता का प्रतीक माना जाता है। पटना सहित पूरे बिहार में इस पर्व को बड़े श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया जाता है। इस वर्ष छठ पर्व की शुरुआत 25 अक्टूबर से नहाय-खाय के साथ होगी। इसी को ध्यान में रखते हुए पटना जिला प्रशासन ने तैयारियों को अंतिम रूप देना शुरू कर दिया है।
घाटों की सुरक्षा को लेकर प्रशासनिक सख्ती
पटना जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस. एम. ने गुरुवार को छठ पर्व की तैयारियों की समीक्षा की और कई घाटों का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान उन्होंने अधिकारियों को साफ-सफाई, प्रकाश व्यवस्था, सुरक्षा और यातायात प्रबंधन के दिशा-निर्देश दिए। इस वर्ष पटना जिले में लगभग 500 घाट बनाए गए हैं, जिनमें से 108 घाट पटना नगर निगम क्षेत्र के अंतर्गत आते हैं। इनमें से 98 घाटों को सुरक्षित घोषित किया गया है, जबकि पांच घाटों को खतरनाक बताया गया है। डीएम ने स्पष्ट किया है कि इन असुरक्षित घाटों पर श्रद्धालुओं का प्रवेश पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। प्रशासन ने चेतावनी दी है कि यदि कोई व्यक्ति इन घाटों पर जाने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, घाटों पर आने-जाने के लिए केवल पैदल मार्ग की अनुमति दी गई है। वाहनों की पार्किंग के लिए घाटों के आसपास अलग से व्यवस्था की गई है ताकि जाम और अव्यवस्था की स्थिति न बने।
सुरक्षा और आपदा प्रबंधन की विशेष व्यवस्था
छठ पर्व के दौरान श्रद्धालुओं की भीड़ को देखते हुए जिला प्रशासन ने व्यापक सुरक्षा इंतजाम किए हैं। सुरक्षा की दृष्टि से घाटों पर यातायात पुलिस, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और मेडिकल टीमों को तैनात किया जाएगा। सभी घाटों पर रोशनी, पीने के पानी, प्राथमिक चिकित्सा और शौचालय की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। प्रशासन का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि श्रद्धालु बिना किसी भय या असुविधा के सुरक्षित वातावरण में पूजा कर सकें। डीएम ने बताया कि प्रशासन का प्राथमिक लक्ष्य है कि छठ व्रतियों और उनके परिवारों को स्वच्छ, शांतिपूर्ण और सुरक्षित माहौल मिले। उन्होंने संबंधित विभागों को यह भी निर्देश दिया कि किसी भी आपात स्थिति में तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया जाए।
छठ पर्व की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता
छठ पर्व केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि यह बिहार की सामाजिक एकता और सांस्कृतिक परंपरा का प्रतीक है। इस पर्व का आरंभ नहाय-खाय से होता है, जो इस बार 25 अक्टूबर को मनाया जाएगा। इस दिन महिलाएं सात्विक भोजन ग्रहण करती हैं और शरीर तथा मन को शुद्ध कर व्रत की तैयारी करती हैं। इसके बाद 26 अक्टूबर को खरना का आयोजन होगा। इस दिन शाम के समय गुड़ की खीर और रोटी बनाकर पूजा की जाती है। पूजा के बाद व्रती महिलाएं 36 घंटे का निर्जला उपवास आरंभ करती हैं, जो अत्यंत कठिन माना जाता है।
अर्घ्य देने की परंपरा
छठ पूजा का तीसरा दिन, 27 अक्टूबर, सबसे महत्वपूर्ण होता है। इस दिन व्रती महिलाएं परिवार के सदस्यों के साथ नदी या तालाब के घाटों पर जाकर अस्ताचलगामी सूर्य को अर्घ्य देती हैं। जल में खड़े होकर सूर्य देवता की आराधना की जाती है और छठ मईया से परिवार की समृद्धि और संतान की रक्षा की प्रार्थना की जाती है। पर्व का समापन चौथे दिन, यानी 28 अक्टूबर को उगते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ होता है। यह क्षण अत्यंत भावनात्मक और आस्था से परिपूर्ण होता है। महिलाएं उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने कठिन व्रत का समापन करती हैं और परिवार के सुख, स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना करती हैं।
श्रद्धालुओं की सुविधा और प्रशासन की जिम्मेदारी
पटना प्रशासन ने यह सुनिश्चित किया है कि सभी घाटों पर पर्याप्त सुरक्षा बल तैनात हों। विद्युत विभाग को घाटों पर स्थायी प्रकाश व्यवस्था का निर्देश दिया गया है, जबकि नगर निगम को सफाई और कचरा निपटान की जिम्मेदारी दी गई है। जल संसाधन विभाग को नदी किनारों की सफाई और संभावित जलस्तर नियंत्रण का निर्देश मिला है। डीएम त्यागराजन ने अधिकारियों से कहा है कि छठ पर्व बिहार की अस्मिता से जुड़ा पर्व है, इसलिए इसे बिना किसी अव्यवस्था के सफल बनाना प्रशासन की प्राथमिकता है। उन्होंने श्रद्धालुओं से भी अपील की है कि वे प्रशासन के निर्देशों का पालन करें और अपनी सुरक्षा का विशेष ध्यान रखें। छठ केवल सूर्य उपासना का पर्व नहीं, बल्कि यह अनुशासन, शुद्धता और लोक आस्था की शक्ति का उत्सव है। पटना प्रशासन की तैयारियां इस बात का संकेत हैं कि राज्य सरकार इस पर्व की महत्ता को समझती है और हर स्तर पर श्रद्धालुओं की सुविधा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। घाटों की सुरक्षा, स्वच्छता और श्रद्धा का संगम ही इस महापर्व की सच्ची भावना को जीवंत रखेगा। इस बार भी उम्मीद है कि पूरा पटना छठ मईया के जयकारों से गूंजेगा और आस्था की यह परंपरा शांति और सौहार्द के साथ संपन्न होगी।


