नालंदा में दर्दनाक हादसा, नदी में डूबने से दो चचेरे भाइयों की मौत, गांव में पसरा मातम
- अवैध बालू खनन बना हादसे का कारण, ग्रामीणों ने प्रशासन से लगाई रोक की मांग
नालंदा। जिले के सिलाव थाना क्षेत्र में गुरुवार को एक दर्दनाक हादसे ने पूरे इलाके को शोक में डूबो दिया। दरियासराय गांव के पास पंचाने नदी में दो चचेरे भाइयों की डूबने से मौत हो गई। दोनों बच्चे दीपावली की छुट्टियों में गांव आए थे और स्नान करने के लिए नदी में उतरे थे, लेकिन वापस नहीं लौटे। यह घटना न केवल दोनों परिवारों के लिए बल्कि पूरे गांव के लिए एक दिल दहला देने वाला हादसा बन गई। मृतकों की पहचान अमन कुमार (15 वर्ष), पिता शशिभूषण प्रसाद, और हिमांशु कुमार (13 वर्ष), पिता पप्पू प्रसाद के रूप में की गई है। दोनों सगे चचेरे भाई थे और बिहारशरीफ में रहकर पढ़ाई करते थे। दीपावली का त्योहार मनाने के लिए वे कुछ दिन पहले ही अपने गांव दरियासराय आए थे। बुधवार की दोपहर दोनों घर से यह कहकर निकले कि वे नदी में स्नान करने जा रहे हैं। लेकिन देर शाम तक जब वे घर नहीं लौटे, तो परिजनों की चिंता बढ़ गई। परिजनों ने पूरे इलाके में उनकी खोजबीन शुरू की, लेकिन कोई पता नहीं चल सका। गुरुवार की सुबह जब कुछ ग्रामीण अपने मवेशी चराने नदी किनारे पहुंचे, तो उन्होंने तट पर दो जोड़ी चप्पल और कपड़े देखे। उन्हें तुरंत किसी अनहोनी की आशंका हुई। ग्रामीणों ने घटना की सूचना गांव में दी, जिसके बाद परिजन मौके पर पहुंचे। चप्पल और कपड़ों को देखकर उन्होंने दोनों बच्चों की पहचान की। इसके बाद ग्रामीणों और परिजनों ने तुरंत नदी में खोजबीन शुरू की। लगभग एक घंटे की मशक्कत के बाद नदी से दोनों बच्चों के शव बरामद कर लिए गए। घटना की जानकारी मिलते ही सिलाव थाना प्रभारी मुरली मनोहर आजाद पुलिस बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचे। पुलिस ने शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पोस्टमार्टम के बाद शव परिजनों को सौंप दिए गए। पूरे गांव में जैसे ही दोनों बच्चों की मौत की खबर फैली, मातम छा गया। परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल है, वहीं पूरे गांव में सन्नाटा पसरा हुआ है। स्थानीय ग्रामीणों ने प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि पंचाने नदी में अवैध बालू खनन के कारण नदी के अंदर कई गहरे गड्ढे बन गए हैं। यही गड्ढे लगातार डूबने की घटनाओं का कारण बन रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इन गड्ढों में पानी की गहराई इतनी अधिक होती है कि सामान्य व्यक्ति या बच्चे उसमें उतरने पर बाहर नहीं निकल पाते। पिछले कुछ महीनों में इसी नदी में कई बार ऐसे हादसे हो चुके हैं, लेकिन प्रशासन ने अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। ग्रामीणों ने जिला प्रशासन और खनन विभाग से अवैध बालू खनन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की है। उन्होंने कहा कि यदि समय रहते इस पर नियंत्रण नहीं किया गया, तो आने वाले दिनों में और भी बड़े हादसे हो सकते हैं। साथ ही, ग्रामीणों ने नदी किनारे सुरक्षा चेतावनी बोर्ड लगाने और स्थानीय पुलिस गश्ती बढ़ाने की भी मांग की है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि मामले की जांच शुरू कर दी गई है। साथ ही, नदी के खतरनाक हिस्सों की पहचान की जाएगी और लोगों को वहां जाने से रोका जाएगा। प्रशासन ने यह भी कहा है कि खनन से जुड़े मामलों की जांच कराई जाएगी और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। गांव के बुजुर्गों का कहना है कि यह हादसा पूरे समुदाय के लिए एक चेतावनी है। अगर अवैध खनन और सुरक्षा की अनदेखी ऐसे ही जारी रही, तो भविष्य में और निर्दोष जानें जा सकती हैं। दोनों बच्चों की मौत से गांव में दीपावली का उत्साह मातम में बदल गया है। जहां एक ओर चारों ओर दीप जलाने की तैयारियां चल रही थीं, वहीं दरियासराय गांव में अब सिर्फ दीप शोक के प्रतीक बन गए हैं। परिजनों का रोना और ग्रामीणों का ग़म इस बात का प्रमाण है कि यह हादसा सिर्फ एक परिवार का नहीं, बल्कि पूरे समाज की लापरवाही की परिणति है।


