October 28, 2025

दिग्गज टीवी अभिनेता पंकज धीर का निधन, 68 साल की आयु में ली अंतिम सांस, कर्ण के किरदार को किया अमर

मुंबई। भारतीय टेलीविजन और सिनेमा के दिग्गज अभिनेता पंकज धीर का बुधवार को निधन हो गया। वे 68 वर्ष के थे और लंबे समय से कैंसर से पीड़ित थे। पंकज धीर ने अपने अभिनय जीवन में अनेक यादगार भूमिकाएँ निभाईं, लेकिन उन्हें सबसे अधिक प्रसिद्धि बी.आर. चोपड़ा के ऐतिहासिक टीवी धारावाहिक महाभारत में निभाए गए ‘कर्ण’ के किरदार से मिली। उनकी इस भूमिका ने उन्हें घर-घर में पहचान दिलाई और भारतीय टेलीविजन इतिहास में अमर कर दिया।
अभिनय यात्रा की शुरुआत और पहचान
पंकज धीर का जन्म 9 नवंबर 1957 को हुआ था। अभिनय उनके परिवार की परंपरा का हिस्सा रहा है। उन्होंने 1980 के दशक में अपने करियर की शुरुआत की और धीरे-धीरे फिल्म तथा टेलीविजन दोनों माध्यमों में अपनी मजबूत पहचान बनाई। उनका चेहरा गंभीरता, आत्मविश्वास और दृढ़ता का प्रतीक माना जाता था। हालांकि उन्होंने कई टीवी धारावाहिकों में अभिनय किया, परंतु महाभारत में निभाया गया कर्ण का किरदार उनकी अभिनय यात्रा का मील का पत्थर साबित हुआ। उस समय टेलीविजन पर प्रसारित इस धारावाहिक ने भारतीय दर्शकों के मन में गहरी छाप छोड़ी थी, और पंकज धीर का अभिनय आज भी दर्शकों की स्मृतियों में जीवंत है।
‘कर्ण’ बनने की दिलचस्प कहानी
कम लोगों को यह बात पता है कि बी.आर. चोपड़ा ने सबसे पहले पंकज धीर को महाभारत में अर्जुन का रोल ऑफर किया था। लेकिन इस किरदार के लिए उन्हें कुछ दृश्यों में महिला वेशभूषा धारण करनी थी और मूंछें भी मुंडवानी थीं। पंकज धीर ने यह शर्त स्वीकार नहीं की और अर्जुन की भूमिका करने से इंकार कर दिया। बाद में यह रोल फिरोज खान (अब अर्जुन के नाम से प्रसिद्ध) को मिला। कुछ महीनों बाद बी.आर. चोपड़ा ने उन्हें फिर से संपर्क किया और इस बार कर्ण का किरदार ऑफर किया। जब पंकज धीर ने पूछा कि क्या इस बार उन्हें मूंछें मुंडवानी पड़ेंगी, तो चोपड़ा ने हँसते हुए कहा – “नहीं।” इस पर उन्होंने बिना झिझक भूमिका स्वीकार कर ली। यही भूमिका आगे चलकर उनके करियर की सबसे बड़ी उपलब्धि बनी।
सेट पर हुए हादसे और समर्पण
पंकज धीर अपने किरदारों को पूरी निष्ठा से निभाने के लिए जाने जाते थे। महाभारत की शूटिंग के दौरान उन्होंने कई कठिन परिस्थितियों का सामना किया। उन्होंने एक साक्षात्कार में बताया था कि युद्ध के दृश्यों को वास्तविक दिखाने के लिए निर्देशक बी.आर. चोपड़ा ने असली और भारी-भरकम हथियारों का इस्तेमाल कराया था। शूटिंग के दौरान एक बार उनकी आंख में तीर लग गया था, जिससे उन्हें गंभीर चोट आई और बाद में सर्जरी करानी पड़ी। इसके बावजूद उन्होंने शूटिंग पूरी की और किरदार की गहराई को बनाए रखा। यह घटना उनके समर्पण और अभिनय के प्रति प्रतिबद्धता का प्रमाण थी।
फिल्मों और अन्य धारावाहिकों में योगदान
टीवी के साथ-साथ पंकज धीर ने हिंदी फिल्मों में भी अपने अभिनय का लोहा मनवाया। उन्होंने आशिक आवारा, सड़क, सोल्जर, बादशाह, क्रोध, सनम बेवफा और तहकीकात जैसी कई फिल्मों में दमदार भूमिकाएँ निभाईं। उनकी स्क्रीन उपस्थिति गहरी और प्रभावशाली थी। टेलीविजन पर भी उन्होंने चंद्रकांता, युग, द ग्रेट मराठा, कर्मफल दाता शनि और बढ़ो बहू जैसे लोकप्रिय धारावाहिकों में यादगार प्रदर्शन किया। उनके संवादों की गहराई और गंभीरता ने उन्हें एक ऐसा अभिनेता बना दिया जो अपने किरदार में पूरी तरह डूब जाता था।
परिवार और निजी जीवन
पंकज धीर के बेटे निकितिन धीर भी एक जाने-माने अभिनेता हैं। निकितिन ने चेन्नई एक्सप्रेस और दबंग 2 जैसी फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाई है। उनकी पत्नी कृतिका सेंगर टेलीविजन की प्रसिद्ध अभिनेत्री हैं। इस तरह पंकज धीर का परिवार अभिनय जगत से गहराई से जुड़ा रहा है। पंकज अपने परिवार के बेहद करीब थे और हमेशा अपने बेटे की सफलता पर गर्व महसूस करते थे। उन्होंने कई बार इंटरव्यू में कहा था कि उनके लिए अभिनय केवल पेशा नहीं, बल्कि आत्मिक साधना है।
सिनेमा जगत में शोक की लहर
पंकज धीर के निधन की खबर मिलते ही फिल्म और टेलीविजन उद्योग में शोक की लहर दौड़ गई। सिने एंड टीवी आर्टिस्ट्स एसोसिएशन ने एक आधिकारिक बयान जारी कर उनके निधन पर शोक व्यक्त किया। बयान में कहा गया कि “हमारे ट्रस्ट के पूर्व चेयरमैन और सीआईएनटीएए के पूर्व माननीय जनरल सेक्रेटरी श्री पंकज धीर के निधन से सिने जगत को अपूरणीय क्षति हुई है।” उनका अंतिम संस्कार मुंबई के विले पार्ले स्थित पवन हंस श्मशान में शाम 4:30 बजे किया गया। कई फिल्मी और टीवी कलाकारों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पंकज धीर का जाना भारतीय मनोरंजन जगत के लिए एक बड़ी क्षति है। उन्होंने जिन किरदारों को निभाया, वे आज भी दर्शकों के दिलों में जीवंत हैं। महाभारत का कर्ण केवल एक पात्र नहीं, बल्कि पंकज धीर की अभिनय साधना का प्रतीक बन गया। उनका जीवन यह सिखाता है कि समर्पण, ईमानदारी और मेहनत से ही एक कलाकार अमर बनता है। उनकी यादें और उनका योगदान हमेशा भारतीय टेलीविजन और सिनेमा के इतिहास में अंकित रहेंगे।

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