सीएम आवास में नीतीश ने की बड़ी मीटिंग, बीजेपी ने कहलगांव और काराकाट जदयू के लिए छोड़ी, सीट शेयरिंग पर सीएम नाराज
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर एनडीए गठबंधन में सीट बंटवारे का मामला लगातार चर्चा में बना हुआ है। भले ही भाजपा और जदयू ने सीटों के बंटवारे की औपचारिक घोषणा कर दी हो, लेकिन अंदरखाने खींचतान अब भी जारी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार इस पूरे फॉर्मूले से खासे नाराज बताए जा रहे हैं। कहलगांव और काराकाट सीटों को लेकर विवाद के बाद भाजपा ने दोनों सीटें जदयू के लिए छोड़ दी हैं, परंतु नौ सीटों के बंटवारे पर नीतीश कुमार की नाराजगी बनी हुई है।
कहलगांव और काराकाट सीटों को लेकर विवाद
भागलपुर सांसद के विरोध के बाद कहलगांव सीट भाजपा ने जदयू को दे दी। वहीं, काराकाट सीट भी जदयू के हिस्से में गई है। बताया जा रहा है कि कहलगांव सीट को लेकर भाजपा के स्थानीय नेताओं में असंतोष था, जिसके चलते इस्तीफा तक देने की नौबत आ गई थी। इस स्थिति के बाद भाजपा ने अपने कदम पीछे खींच लिए। हालांकि, सीट बंटवारे के मौजूदा फॉर्मूले से नीतीश कुमार अब भी खुश नहीं हैं।
मुख्यमंत्री आवास में हुई लंबी बैठक
सीएम आवास पर मंगलवार को करीब दो घंटे तक चली बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं संजय झा, ललन सिंह और विजय चौधरी से पूरे विवाद पर फीडबैक लिया। उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से बात करने का निर्देश दिया ताकि विवाद जल्द सुलझाया जा सके। सूत्रों के मुताबिक, बैठक के बाद तीनों नेता पीछे के गेट से बाहर निकले और मीडिया से कोई बात नहीं की।
नीतीश की नाराजगी के राजनीतिक संकेत
नीतीश कुमार की नाराजगी केवल सीटों की संख्या को लेकर नहीं है, बल्कि कुछ सीटों के भाजपा या सहयोगी दलों के हिस्से में जाने से भी है। जानकारी के अनुसार, राजगीर सीट चिराग पासवान की पार्टी के खाते में चली गई है, जिससे नीतीश कुमार खासे असंतुष्ट बताए जा रहे हैं। इसी कारण जदयू ने मांग की है कि भाजपा कुछ सीटों पर पुनर्विचार करे।
अमित शाह की संभावित पटना यात्रा
राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा तेज है कि विवाद को शांत करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पटना आ सकते हैं। माना जा रहा है कि शाह खुद नीतीश कुमार से मुलाकात कर सीट बंटवारे के मसले को सुलझाने की कोशिश करेंगे। भाजपा नहीं चाहती कि गठबंधन के भीतर कोई असंतोष चुनावी माहौल को प्रभावित करे।
एनडीए की एकजुटता पर बयानबाजी
जदयू की नाराजगी के बीच भाजपा और उसके सहयोगी दल एकता का संदेश देने में जुटे हैं। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि एनडीए पूरी मजबूती और चट्टानी एकता के साथ चुनाव लड़ेगा। केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने भी स्पष्ट किया कि 99 प्रतिशत सीटों पर सहमति बन चुकी है और एनडीए में कोई मतभेद नहीं है। उनके अनुसार, विपक्ष अब घबराया हुआ है क्योंकि उसे अपनी हार साफ दिखाई दे रही है।
सोशल मीडिया पर एनडीए नेताओं की एकजुट पोस्ट
तनातनी की खबरों के बीच एनडीए नेताओं ने सोशल मीडिया पर एक जैसी पोस्ट शेयर कर एकता का संदेश दिया। इस पोस्ट में लिखा था कि सीट संख्या को लेकर बातचीत सौहार्दपूर्ण माहौल में पूरी हो चुकी है और अब केवल अंतिम औपचारिकता बाकी है। इस पोस्ट को भाजपा के डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी, मंत्री नितिन नवीन, लोजपा (आर) के अध्यक्ष चिराग पासवान और उपेंद्र कुशवाहा ने शेयर किया। हालांकि, जदयू और हम (हमारी पार्टी) के किसी भी नेता ने यह पोस्ट साझा नहीं की, जो इस बात का संकेत है कि सभी दलों की राय पूरी तरह एक नहीं है।
जदयू के अंदर असंतोष
जदयू के भीतर भी सीट बंटवारे को लेकर असंतोष की आवाजें उठ रही हैं। आरा जिले की बड़हरा सीट भाजपा को मिलने पर जदयू के कुछ नेताओं ने विरोध किया है। जदयू के पूर्व एमएलसी रणविजय सिंह ने कहा कि ऐसे उम्मीदवारों को टिकट दिया जा रहा है जो अपने क्षेत्र में लोकप्रिय नहीं हैं और गांवों में घूमने लायक भी नहीं हैं। उनका कहना है कि वे गठबंधन धर्म का पालन कर रहे हैं, लेकिन उम्मीदवारों की चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाए जा सकते हैं।
बीजेपी का संतुलन बनाए रखने का प्रयास
भाजपा की ओर से लगातार यह कहा जा रहा है कि सब कुछ ठीक है और गठबंधन में कोई मतभेद नहीं है। दिलीप जायसवाल और धर्मेंद्र प्रधान दोनों ने बयान देकर माहौल को शांत करने की कोशिश की है। भाजपा के रणनीतिकारों का मानना है कि चुनाव से ठीक पहले किसी भी तरह का विवाद विपक्ष के लिए फायदा बन सकता है, इसलिए सभी नेताओं को सार्वजनिक तौर पर संयमित रहने का निर्देश दिया गया है।
नीतीश का संदेश और आगे की रणनीति
सीएम नीतीश कुमार ने अपने करीबी नेताओं को निर्देश दिया है कि वे सीट बंटवारे के मसले पर पार्टी के सभी वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से राय लें और उसके बाद भाजपा नेताओं से फिर बातचीत करें। तय किया गया है कि ललन सिंह और संजय झा दिल्ली जाकर भाजपा के आलाकमान से चर्चा करेंगे। वहीं, भाजपा की ओर से भी कुछ वरिष्ठ नेता इस विवाद को सुलझाने में लगे हुए हैं ताकि जल्द से जल्द संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस कर सीटों की अंतिम सूची घोषित की जा सके। बिहार एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर चल रही इस खींचतान ने यह साबित कर दिया है कि गठबंधन के भीतर मतभेद पूरी तरह खत्म नहीं हुए हैं। नीतीश कुमार की नाराजगी इस बात की ओर संकेत करती है कि जदयू अपने राजनीतिक वजूद को लेकर बेहद सतर्क है। वहीं भाजपा और उसके सहयोगी दल एकता का दिखावा करके मतदाताओं को यह भरोसा दिलाने में लगे हैं कि सबकुछ ठीक है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि सीट बंटवारे का यह विवाद किस तरह सुलझता है और क्या नीतीश कुमार एनडीए के भीतर उसी मजबूती से टिके रहते हैं, जैसी तस्वीर भाजपा पेश करने की कोशिश कर रही है।


