पटना में आठ वर्षीय बच्ची की बोरे में मिली लाश, रेप के बाद करंट लगाकर हत्या, छानबीन में जुटी पुलिस
पटना। जिले के बाढ़ इलाके में हुई आठ वर्षीय बच्ची की दर्दनाक मौत ने पूरे क्षेत्र को दहला दिया है। यह घटना न केवल एक परिवार के लिए असहनीय त्रासदी लेकर आई है, बल्कि समाज के लिए भी एक गहरा सवाल खड़ा करती है—बच्चियों की सुरक्षा आखिर कब सुनिश्चित होगी। बुधवार को जिस तरह से इस मासूम की लाश बरामद हुई, उसने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। घटना बुधवार दोपहर की है जब आठ साल की बच्ची अपनी छोटी बहन के साथ फोरलेन के पास बकरी चराने निकली थी। दोनों बहनें प्रतिदिन इसी तरह पास के इलाके में बकरियां चराने जाया करती थीं। दोपहर करीब 2 बजे छोटी बहन अकेली घर लौटी और परिजनों को बताया कि उसकी बड़ी बहन कहीं दिखाई नहीं दे रही। यह सुनते ही परिवार के लोग घबरा गए और पूरे क्षेत्र में बच्ची की तलाश शुरू कर दी। परिजनों और गांव वालों ने आसपास के खेतों, गाछियों और निर्माणाधीन इमारतों में उसे ढूंढना शुरू किया। काफी मशक्कत के बाद देर शाम पास के ही धान के खेत में एक बोरे में बंद शव मिला। बोरा खोला गया तो परिवार की चीखें गूंज उठीं—अंदर उनकी वही लापता बच्ची थी।
शव मिलने की स्थिति
जब शव मिला तो बच्ची के दोनों हाथ कॉपर वायर से बंधे हुए थे। सिर बोरे के अंदर की तरफ रखा गया था। शरीर के निशान देखकर पुलिस को शक हुआ कि उसके साथ रेप के बाद हत्या की गई है। हत्या की क्रूरता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पुलिस को ऐसे सबूत मिले हैं जिससे लग रहा है कि उसे करंट लगाकर मौत के घाट उतारा गया। बच्ची के शरीर पर जलने के निशान भी मिले हैं। पास के एक अधूरे मकान से उसकी चप्पल बरामद हुई। यह वही जगह थी जहां वह आखिरी बार दिखाई दी थी। मकान और खेत के बीच की दूरी करीब 50 मीटर थी, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि वारदात के बाद अपराधियों ने लाश को खेत में ले जाकर बोरे में बंद कर फेंक दिया।
परिवार की स्थिति और बयान
बच्ची के परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद साधारण है। वे मूल रूप से सहरसा जिले के बलवा प्रखंड के निवासी हैं, लेकिन पिछले पांच साल से अथमलगोला थाना क्षेत्र में झोपड़ी बनाकर रह रहे थे। पिता मजदूरी करते हैं जबकि मां किराने की छोटी दुकान और बकरी पालन से घर चलाती हैं। परिजनों का कहना है कि उनका किसी से कोई विवाद नहीं था, न ही किसी तरह की दुश्मनी। बच्ची जीवन से भरी-पूरी थी और पढ़ाई के साथ-साथ परिवार की मदद भी करती थी। परिजन इस घटना से पूरी तरह टूट चुके हैं। बच्ची की मां और पिता का रो-रोकर बुरा हाल है। ग्रामीणों ने बताया कि परिवार ने जब बच्ची को लापता पाया तो उन्होंने हर जगह मदद की गुहार लगाई, लेकिन देर शाम तक कोई सुराग नहीं मिला।
पुलिस की जांच और स्थानीय प्रतिक्रिया
घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय थाने की पुलिस मौके पर पहुंची और पूरे क्षेत्र को घेराबंदी में लिया। शव को पोस्टमॉर्टम के लिए भेजा गया ताकि मौत की सही वजह का पता चल सके। एसएचओ के अनुसार, प्रारंभिक जांच में रेप और करंट से हत्या की आशंका गहरी होती जा रही है। पुलिस ने कहा है कि वे हर एंगल से मामले की पड़ताल कर रहे हैं—चाहे वह यौन शोषण का मामला हो, कोई पुरानी रंजिश या अन्य कोण। स्थानीय लोगों में भी भारी आक्रोश है। बच्ची की लाश मिलने के बाद सैकड़ों लोग एकत्रित हो गए और उन्होंने फोरलेन सड़क जाम कर प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की। लोगों की मांग थी कि दोषियों को जल्द से जल्द गिरफ्तार किया जाए और पीड़ित परिवार को सुरक्षा व मुआवजा दिया जाए।
सामाजिक और मानवीय प्रश्न
यह घटना केवल एक परिवार की त्रासदी नहीं बल्कि समाज के नैतिक पतन की ओर इशारा करती है। बार-बार होने वाली ऐसी घटनाएं यह बता रही हैं कि बच्चियों के प्रति संवेदनशीलता में अब भी भारी कमी है। ग्रामीण इलाकों में बच्चों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस व्यवस्था नहीं है। पुलिस का दावा है कि जांच में तेजी लाई जा रही है और दोषियों को जल्द पकड़ लिया जाएगा। फिलहाल क्षेत्र में माहौल तनावपूर्ण है और लोग गुस्से में हैं। प्रशासन ने स्थानीय पुलिस को गश्त बढ़ाने और परिवार की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। यह घटना इस बात की कटु याद दिलाती है कि समाज में बच्चियों की सुरक्षा को लेकर अभी लंबा रास्ता तय करना बाकी है। हर माता-पिता की उम्मीद होती है कि उनका बच्चा सुरक्षित लौटे, लेकिन जब मासूमियत को इस तरह बेरहमी से कुचला जाता है, तो इंसानियत खुद सवालों के घेरे में आ जाती है।


