November 20, 2025

पटना में खतरनाक हुआ डेंगू, 1 दिन में मिले 38 नए मरीज, सितंबर में मिले 448 संक्रमित

पटना। राजधानी पटना में डेंगू का प्रकोप लगातार बढ़ता जा रहा है। गुरुवार को 38 नए मरीज मिलने के साथ ही इस सीजन में अब तक कुल 743 लोग संक्रमित हो चुके हैं। केवल सितंबर महीने में ही 448 मामले दर्ज किए गए हैं, जो स्थिति की गंभीरता को दर्शाता है। लगातार हो रही बारिश और जलजमाव की वजह से डेंगू के मच्छरों के प्रजनन की दर तेजी से बढ़ी है। स्वास्थ्य विभाग ने चेतावनी दी है कि अक्टूबर तक इसका प्रकोप और भी अधिक हो सकता है, इसलिए सतर्कता बेहद जरूरी है।
डेंगू संक्रमण का नया ट्रेंड
इस वर्ष डेंगू के मामलों में एक खास पैटर्न देखने को मिला है। आंकड़ों के अनुसार, सबसे अधिक संक्रमण 21 से 30 वर्ष के युवाओं में पाया गया है। यह उम्र का वह वर्ग है जो पढ़ाई, नौकरी या रोज़ाना बाहर निकलने वाली गतिविधियों में सबसे ज्यादा सक्रिय रहता है। इस वजह से इनकी संवेदनशीलता अन्य आयु वर्गों की तुलना में अधिक बढ़ी हुई है।
सावधानी ही है बचाव
डेंगू से बचाव के लिए व्यक्तिगत और सामूहिक दोनों स्तरों पर सतर्कता की आवश्यकता है। घर की बालकनी, बर्तनों, गमलों, पुराने टायर, कूलर और नालियों में पानी जमा नहीं होने देना चाहिए, क्योंकि यही मच्छरों के अंडे देने की सबसे अनुकूल जगह होती हैं। मच्छरों से बचने के लिए केवल रात में ही नहीं बल्कि दिन में भी मच्छरदानी या रिप्लेंट का उपयोग करना चाहिए। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि बुखार, शरीर में दर्द, सिरदर्द और कमजोरी जैसे लक्षणों को हल्के में न लें। यदि ऐसे लक्षण दिखाई दें तो तुरंत जांच करानी चाहिए, ताकि संक्रमण की पुष्टि होने पर समय रहते इलाज हो सके।
बांकीपुर अंचल बना हॉटस्पॉट
पटना में डेंगू का सबसे ज्यादा असर बांकीपुर अंचल में देखा जा रहा है। यहां मामलों की संख्या अन्य क्षेत्रों की तुलना में कहीं अधिक है। इस कारण प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग ने विशेष अभियान चलाया है। प्रभावित इलाकों में फॉगिंग, एंटी-लार्वा छिड़काव और सफाई पर जोर दिया जा रहा है।
छात्रों में जागरूकता अभियान
बांकीपुर क्षेत्र में बड़ी संख्या में छात्र पढ़ाई करते हैं, खासकर कोचिंग संस्थानों में। ऐसे में डेंगू रोकथाम को लेकर विशेष अभियान चलाया गया। वेक्टर रोग नियंत्रण अधिकारियों की टीम ने एनआईटी मोड़, गांधी चौक और मुसल्लहपुर हाट स्थित कई कोचिंग संस्थानों में जाकर 2000 से अधिक छात्रों को डेंगू से संबंधित जानकारी दी। इस दौरान उन्हें संक्रमण के कारण, लक्षण और बचाव के तरीके विस्तार से बताए गए। अभियान का उद्देश्य छात्रों को सतर्क करना और उन्हें अपने-अपने घरों तथा हॉस्टलों में साफ-सफाई बनाए रखने के लिए प्रेरित करना था। यह माना जाता है कि जागरूकता ही संक्रमण की श्रृंखला को तोड़ने का सबसे कारगर उपाय है।
प्रशासन की चुनौतियां
पटना में लगातार हो रही बारिश और जलजमाव प्रशासन के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है। कई इलाकों में जलनिकासी की व्यवस्था कमजोर होने से पानी लंबे समय तक जमा रह जाता है, जिससे डेंगू के मच्छरों को पनपने का अवसर मिलता है। हालांकि, निगम और स्वास्थ्य विभाग की टीमें नियमित सफाई और फॉगिंग कर रही हैं, लेकिन समस्या की जड़ तक पहुंचना अभी भी कठिन बना हुआ है।
सामूहिक प्रयास की जरूरत
डेंगू से लड़ाई केवल सरकार या स्वास्थ्य विभाग के भरोसे नहीं लड़ी जा सकती। इसके लिए समाज के हर वर्ग का सहयोग आवश्यक है। लोग अपने घरों और आसपास की साफ-सफाई पर ध्यान दें, पानी को जमा न होने दें और मच्छरों से बचाव के उपाय अपनाएं। पटना में डेंगू का प्रकोप इस समय गंभीर चुनौती बन चुका है। संक्रमण के लगातार बढ़ते मामले इस बात का संकेत हैं कि आने वाले दिनों में खतरा और गहरा सकता है। ऐसे में सतर्कता और बचाव ही सबसे बड़ा हथियार है। यदि लोग खुद जागरूक होकर अपने स्तर पर सावधानी बरतें और प्रशासन के प्रयासों में सहयोग दें, तो डेंगू की इस चुनौती को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है।

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