November 18, 2025

लद्दाख में पूर्ण राज्य का दर्जा की मांग को लेकर हिंसक प्रदर्शन, बीजेपी ऑफिस में लगाई आग, सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी

लेह। लद्दाख में पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग लंबे समय से उठती रही है। इसी सिलसिले में बुधवार को लेह में बड़ा और हिंसक विरोध प्रदर्शन हुआ। इस दौरान छात्रों और स्थानीय लोगों की सुरक्षा बलों से झड़प हो गई। प्रदर्शनकारियों ने भाजपा कार्यालय और सीआरपीएफ की गाड़ी को आग के हवाले कर दिया। साथ ही पुलिस पर पत्थरबाजी की गई, जिसमें कई जवान घायल हुए। यह आंदोलन सोशल एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक के समर्थन में तेज हुआ है, जो पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं।
विरोध की पृष्ठभूमि
लद्दाख की जनता 2019 से ही अपने राजनीतिक अधिकारों और पहचान की सुरक्षा की मांग कर रही है। 5 अगस्त 2019 को केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35A हटा कर इसे दो केंद्र शासित प्रदेशों—जम्मू-कश्मीर और लद्दाख—में विभाजित कर दिया था। पहले लद्दाख जम्मू-कश्मीर का हिस्सा था, लेकिन अलग केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद वहां के लोगों को अपनी राजनीतिक भागीदारी कम होने का एहसास हुआ। लोगों का कहना है कि अनुच्छेद 370 हटने के बाद वे जमीन, नौकरियों और सांस्कृतिक पहचान से वंचित हो रहे हैं। हालांकि सरकार ने उस समय आश्वासन दिया था कि हालात सामान्य होने के बाद पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल करने पर विचार किया जाएगा।
सोनम वांगचुक और आंदोलन की मांगें
लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक इस आंदोलन का चेहरा बने हुए हैं। वे 15 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनके नेतृत्व में छात्रों और नागरिकों ने चार मुख्य मांगें रखी हैं—
1. लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए।
2. संवैधानिक सुरक्षा 6वीं अनुसूची के तहत मिले, ताकि आदिवासी और स्थानीय लोगों की पहचान और अधिकार सुरक्षित रह सकें।
3. कारगिल और लेह को अलग-अलग लोकसभा सीटों में बदला जाए।
4. सरकारी नौकरियों में केवल स्थानीय लोगों की भर्ती सुनिश्चित की जाए।
इन मांगों को लेकर 6 अक्टूबर को दिल्ली में अगली बैठक प्रस्तावित है।
हिंसक हुआ विरोध प्रदर्शन
प्रदर्शन की शुरुआत शांतिपूर्ण तरीके से रैली निकालने से हुई, लेकिन बुधवार को हालात बिगड़ गए। छात्रों ने लेह में भाजपा दफ्तर में आग लगा दी और सीआरपीएफ की गाड़ी को भी जला दिया। पुलिस की गाड़ियों पर जमकर पत्थरबाजी हुई। सुरक्षाबलों ने भीड़ को काबू करने की कोशिश की, लेकिन प्रदर्शनकारियों की संख्या अधिक होने से स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई। इस हिंसा के बाद लेह में भारी संख्या में सुरक्षाबल तैनात कर दिए गए हैं।
लगातार बढ़ रहा असंतोष
लद्दाख के लोगों का असंतोष अचानक नहीं फूटा है, बल्कि यह लंबे समय से simmer कर रहा था। पिछले दो साल में कई बार लेह और कारगिल में स्थानीय संगठनों और यूनियनों ने धरने और विरोध मार्च निकाले। इन सबका उद्देश्य केंद्र सरकार पर दबाव बनाना था ताकि लद्दाख को संवैधानिक दर्जा और राजनीतिक अधिकार दिए जा सकें। लोगों का कहना है कि अगर संवैधानिक सुरक्षा नहीं मिली तो बाहरी निवेशकों और उद्योगपतियों के आने से स्थानीय जनसंख्या अपनी जमीन और रोजगार खो सकती है। इससे क्षेत्र की पारंपरिक संस्कृति और पहचान भी खतरे में पड़ जाएगी।
सरकार की ओर से पहल
गृह मंत्री अमित शाह ने 26 अगस्त 2024 को लद्दाख में पांच नए जिलों की घोषणा की थी। इन जिलों के नाम जांस्कर, द्रास, शाम, नुब्रा और चांगथांग रखे गए। इससे पहले लद्दाख में केवल दो जिले थे—लेह और कारगिल, जिनकी संख्या अब बढ़कर सात हो जाएगी। सरकार का कहना है कि यह कदम लद्दाख के प्रशासन और विकास को और अधिक मजबूत बनाएगा। हालांकि प्रदर्शनकारियों का मानना है कि प्रशासनिक ढांचा बढ़ाने से समस्या का समाधान नहीं होगा। उनका कहना है कि असली मुद्दा राजनीतिक अधिकारों और संवैधानिक सुरक्षा का है, जो अभी तक अनसुलझा है।
आगामी दिशा और बैठक
अब सबकी नजर 6 अक्टूबर को दिल्ली में होने वाली बैठक पर टिकी है। इस बैठक में लद्दाख के नेताओं, सामाजिक कार्यकर्ताओं और केंद्र सरकार के बीच बातचीत होनी है। प्रदर्शनकारियों की उम्मीद है कि केंद्र उनकी मांगों पर गंभीरता से विचार करेगा। लद्दाख में पूर्ण राज्य का दर्जा और संवैधानिक सुरक्षा की मांग स्थानीय जनता के लिए पहचान और अस्तित्व का प्रश्न बन गई है। भाजपा दफ्तर और सुरक्षा बलों पर हुए हमले ने आंदोलन को हिंसक रूप दे दिया है, जिससे हालात और भी संवेदनशील हो गए हैं। अब यह केंद्र सरकार पर निर्भर करेगा कि वह किस तरह इस मसले को हल करती है। लोगों की नाराजगी बढ़ती रही तो आने वाले समय में यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है।

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