November 17, 2025

एनडीए में अगले 10 दिनों में फाइनल होगी सीट शेयरिंग, सभी दलों को मिलेगी उचित भागीदारी: संतोष सुमन

पटना। बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) में सीट शेयरिंग का मसला सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। भाजपा, जदयू, लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास), हम पार्टी और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी आरएलएम मिलाकर गठबंधन के पांच घटक दल मैदान में हैं। इन दलों को 243 सीटों में आपसी सहमति से बंटवारा करना है। सीटों की संख्या पर मोटी सहमति तो बन सकती है, लेकिन कौन-सी सीट किस दल को मिलेगी, यह तय करना कठिन साबित हो रहा है।
जल्द आ सकता है अंतिम फैसला
हम पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष संतोष सुमन ने बयान दिया है कि आने वाले 10 दिनों में सीट शेयरिंग पर अंतिम फैसला हो जाएगा। उन्होंने कहा कि सभी दलों को बराबरी और उचित हिस्सेदारी दी जाएगी। इस पर गठबंधन के शीर्ष नेताओं के बीच लगातार बातचीत चल रही है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार हाल ही में इस विषय पर गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात कर चुके हैं।
भाजपा और जदयू की हिस्सेदारी
एनडीए के भीतर दो सबसे बड़े सहयोगी भाजपा और जदयू हैं। दोनों दलों के बीच सीटों का बंटवारा करीब-करीब बराबर माना जा रहा है। यानी 243 सीटों में दोनों को समान हिस्सेदारी मिल सकती है। लेकिन इस बार चुनौती छोटी पार्टियों के लिए अधिक है क्योंकि उनकी उम्मीदवारी और सीट की मांग बढ़ गई है।
हम पार्टी की दावेदारी
पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी की पार्टी हम (हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा) ने इस बार 20 सीटों की दावेदारी की है। मांझी और उनके बेटे संतोष सुमन दोनों ने स्पष्ट कर दिया है कि पार्टी गठबंधन के भीतर मजबूती से मौजूद है और उन्हें उचित हिस्सेदारी चाहिए। एनडीए के शीर्ष नेताओं ने भी संकेत दिया है कि मांझी को एक सम्मानजनक संख्या दी जाएगी।
चिराग पासवान की बढ़ी उम्मीदें
लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के प्रमुख चिराग पासवान की नजर सबसे ज्यादा सीटों पर है। उन्होंने मीडिया से बातचीत में इशारा किया है कि नवरात्र के दौरान सीट शेयरिंग पर अंतिम फैसला हो जाएगा। चिराग पासवान चाहते हैं कि उनकी पार्टी को भाजपा और जदयू के अलावा अन्य दलों से भी ज्यादा सीटें मिलें। इस बार गठबंधन के भीतर उनकी स्थिति मजबूत मानी जा रही है।
उपेंद्र कुशवाहा की तैयारी
आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा भी सीट शेयरिंग की प्रक्रिया में अहम भूमिका निभा रहे हैं। हालांकि उनके हिस्से में चिराग पासवान और मांझी की तुलना में कम सीटें आ सकती हैं, लेकिन वे भी अपनी पकड़ बनाए रखने की कोशिश करेंगे। राजनीतिक समीकरणों के हिसाब से उनके क्षेत्र की कुछ सीटें एनडीए के लिए निर्णायक मानी जाती हैं।
दिल्ली और पटना में लगातार मंथन
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा के केंद्रीय नेताओं ने बिहार इकाई से लगातार फीडबैक लिया है। उनसे यह जानने की कोशिश की गई है कि किस क्षेत्र में किस पार्टी का उम्मीदवार बेहतर स्थिति में है। सीटों की संख्या पर सहमति बनाना भले ही आसान हो, लेकिन यह तय करना कि कौन-सी सीट किस दल को मिलेगी, बड़ी चुनौती है। सीट शेयरिंग पर अंतिम बातचीत के लिए एनडीए की बैठक बुलाने की तैयारी की जा रही है। इसमें सभी पांच घटक दल अपने-अपने पत्ते खोलेंगे और फिर सामंजस्य बैठाने की कोशिश होगी।
क्षेत्रवार समीकरण और विवाद
एनडीए जानता है कि सीटों को केवल संख्याओं में बांटना पर्याप्त नहीं है। हर क्षेत्र के सामाजिक समीकरण, जातीय संतुलन और पिछले चुनावों के प्रदर्शन को देखते हुए ही फैसला लिया जाएगा। यही कारण है कि छोटे दल अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों की सीटों पर अड़े हुए हैं।
विपक्ष पर नजर
जहां एक ओर एनडीए सीट शेयरिंग को लेकर माथापच्ची कर रहा है, वहीं विपक्ष लगातार इस मुद्दे पर हमले कर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि गठबंधन सीट बंटवारे में ही उलझा रहेगा और जनता से जुड़े मुद्दों को पीछे छोड़ देगा। हालांकि एनडीए नेताओं का कहना है कि वे जल्द ही सीट बंटवारे का समाधान निकाल लेंगे और संयुक्त रूप से चुनावी मैदान में उतरेंगे। बिहार चुनाव से पहले एनडीए के लिए सीट बंटवारा सबसे अहम और पेचीदा सवाल बन गया है। भाजपा और जदयू तो बराबर सीटों पर लड़ने को तैयार दिखते हैं, लेकिन चिराग पासवान, जीतनराम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की उम्मीदों और दावेदारी से स्थिति जटिल हो गई है। एनडीए नेतृत्व को आने वाले दिनों में सभी दलों को सम्मानजनक हिस्सेदारी देकर सहमति बनानी होगी। संतोष सुमन के बयान के अनुसार, आने वाले दस दिनों में यह प्रक्रिया पूरी हो जाएगी। अगर ऐसा होता है, तो गठबंधन एकजुट होकर विपक्ष के खिलाफ मजबूत मोर्चा बनाने में सफल होगा।

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