November 17, 2025

बीजेपी में भारी बवाल, आरके सिंह ने सम्राट चौधरी और दिलीप जायसवाल का मांगा इस्तीफा, सियासी घमासान तेज

पटना। भारतीय जनता पार्टी के भीतर एक बार फिर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री राज कुमार सिंह, जिन्हें आरके सिंह के नाम से जाना जाता है, ने पार्टी के कुछ शीर्ष नेताओं पर गंभीर टिप्पणी की है। दरअसल, प्रशांत किशोर द्वारा लगाए गए आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए आरके सिंह ने स्पष्ट कहा कि जिन नेताओं पर आरोप लगे हैं, उन्हें या तो सामने आकर सफाई देनी चाहिए या फिर इस्तीफा देना चाहिए। उनके इस बयान से पार्टी के भीतर खलबली मच गई है और सियासी हलकों में चर्चा तेज हो गई है।
आरके सिंह का स्पष्ट रुख
आरके सिंह ने साफ कहा कि आरोपों की अनदेखी कर चुप्पी साधना भाजपा की छवि को नुकसान पहुँचा रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि अगर नेताओं के पास सबूत हैं कि वे निर्दोष हैं तो उन्हें जनता के सामने पेश करना चाहिए। यदि आरोप गलत हैं तो मानहानि का मुकदमा दर्ज करना चाहिए। लेकिन चुप रहकर पार्टी की प्रतिष्ठा को दांव पर लगाना किसी भी रूप में सही नहीं है।
दिलीप जायसवाल पर निशाना
सिंह ने अपने बयान में विशेष रूप से प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि जायसवाल पर हत्या में शामिल होने और माइनॉरिटी मेडिकल कॉलेज पर अवैध कब्जे जैसे गंभीर आरोप लगाए गए हैं। अगर वे निर्दोष हैं तो उन्हें सबूत पेश करना चाहिए, अन्यथा चुप्पी यह संकेत देती है कि सवाल सही हो सकते हैं। आरके सिंह के इस बयान ने जायसवाल की राजनीतिक मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
सम्राट चौधरी पर सवाल
डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर भी प्रशांत किशोर ने आरोप लगाए थे कि वे सातवीं फेल हैं। इस मुद्दे को उठाते हुए आरके सिंह ने कहा कि इस पर विवाद को खत्म करने का सबसे आसान तरीका है कि सम्राट चौधरी अपनी शैक्षणिक डिग्री सार्वजनिक करें। अगर उनके पास मैट्रिक या ग्रेजुएशन की डिग्री है तो उसे सामने रख दें, ताकि सवाल हमेशा के लिए खत्म हो जाएं। अन्यथा यह आरोप लगातार सरकार की साख को कमजोर करता रहेगा।
अन्य नेताओं पर भी टिप्पणी
आरके सिंह ने केवल सम्राट चौधरी और दिलीप जायसवाल ही नहीं, बल्कि अशोक चौधरी और मंगल पांडेय जैसे अन्य नेताओं पर लगे आरोपों का भी ज़िक्र किया। उन्होंने कहा कि इन नेताओं को भी अपनी संपत्ति और कार्यशैली को लेकर उठ रहे सवालों के जवाब देने चाहिए। विशेष रूप से 200 करोड़ की संपत्ति का हिसाब देने की बात पर उन्होंने जोर दिया कि अगर आरोप झूठे हैं तो सबूत के साथ स्पष्ट किया जाए, वरना पद छोड़ देना ही उचित होगा।
भाजपा की छवि पर असर
देश के पूर्व गृह सचिव रह चुके आरके सिंह ने चेतावनी दी कि जनता सब देख रही है। यदि आरोपों पर सफाई नहीं दी गई तो लोगों का भरोसा टूट जाएगा। उन्होंने साफ कहा कि चुप्पी अब भाजपा के लिए नुकसानदेह है और इससे पार्टी का ग्राफ लगातार नीचे जाएगा। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि पार्टी में बैठे नेताओं के खिलाफ यदि गंभीर सवाल उठ रहे हैं, तो उन्हें नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।
प्रशांत किशोर की भूमिका
इस पूरे विवाद की शुरुआत प्रशांत किशोर के बयानों से हुई थी। उन्होंने भाजपा के कई नेताओं पर आरोप लगाए थे, जिनमें शैक्षणिक योग्यता से लेकर भ्रष्टाचार और अवैध कब्जे तक के मुद्दे शामिल थे। इन बयानों को आरके सिंह ने गंभीरता से लिया और पार्टी के नेताओं को सार्वजनिक तौर पर सफाई देने की सलाह दी। इससे भाजपा के भीतर असहमति का माहौल और भी खुलकर सामने आ गया है।
राजनीतिक माहौल पर असर
बिहार की राजनीति इस समय विधानसभा चुनाव की तैयारी में है। ऐसे में भाजपा के भीतर उठ रहा यह विवाद पार्टी की चुनावी रणनीति पर भी असर डाल सकता है। विपक्ष को इस मुद्दे पर हमला करने का मौका मिल सकता है। वहीं, जनता की नज़र अब भाजपा नेताओं पर है कि वे इन आरोपों का किस तरह से जवाब देते हैं। भाजपा में छिड़े इस नए विवाद ने राजनीतिक हलचल को और बढ़ा दिया है। आरके सिंह के बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि पार्टी के भीतर सब कुछ सामान्य नहीं है। आने वाले समय में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि आरोपित नेता सफाई देते हैं या इस्तीफे की राह अपनाते हैं। जो भी हो, फिलहाल इस विवाद ने भाजपा की छवि और संगठनात्मक मजबूती दोनों पर सवाल खड़े कर दिए हैं।

You may have missed