बिहार कांग्रेस की प्रदेश इलेक्शन कमेटी गठित, प्रदेश अध्यक्ष समेत 39 लोग शामिल, खड़गे ने दी मंजूरी
पटना। बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही सभी राजनीतिक दल अपनी तैयारियों को अंतिम रूप देने में जुट गए हैं। इसी क्रम में कांग्रेस पार्टी ने भी अपनी रणनीति को मजबूत करने की दिशा में कदम बढ़ाया है। पार्टी ने बिहार प्रदेश कांग्रेस कमेटी की प्रदेश इलेक्शन कमेटी का गठन किया है। इस कमेटी को मंजूरी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने दी है और इसके लिए आधिकारिक आदेश कांग्रेस के संगठन महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा जारी किया गया। इस कमेटी में कुल 39 सदस्य शामिल किए गए हैं जो आगामी चुनाव में पार्टी की रणनीति, उम्मीदवार चयन और प्रचार की रूपरेखा तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
प्रदेश नेतृत्व की अहम भूमिका
इस नवगठित कमेटी में बिहार कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम को शामिल किया गया है। उनके साथ-साथ प्रदेश विधानसभा में कांग्रेस विधायक दल के नेता शकील अहमद खान और विधान परिषद में कांग्रेस दल के नेता मदन मोहन झा भी सदस्य बनाए गए हैं। इन तीनों नेताओं की मौजूदगी से साफ है कि पार्टी ने संगठन और सदन दोनों स्तरों पर संतुलन बनाने की कोशिश की है। इनके अलावा राज्य के विभिन्न हिस्सों से अनुभवी नेताओं और नए चेहरों को भी जगह दी गई है, जिससे संगठन को व्यापक स्वरूप देने का प्रयास किया गया है।
अन्य प्रमुख सदस्य
कमेटी में शामिल नेताओं में जितेंद्र गुप्ता, शकील ओ ज़मान अंसारी, संजीव प्रसाद टोनी, मोतीलाल शर्मा, कपिल देव प्रसाद यादव, अंशुल अविजीत, ब्रजेश कुमार पांडे, जमाल अहमद भल्लू, मंजू राम और आजमी बारी जैसे नाम खासतौर पर ध्यान आकर्षित करते हैं। साथ ही नागेंद्र कुमार विकल, कैलाश पाल, राजेश राठौर, निर्मलेंदु वर्मा, कैसर अली खान और प्रभात कुमार सिंह को भी कमेटी में जगह मिली है। इसके अतिरिक्त कमलदेव नारायण शुक्ला, कुमार आशीष, जमोत्री ममता निषाद, शकील उर रहमान, संतोष कुमार श्रीवास्तव, विश्वनाथ सराफ, रमेश प्रसाद यादव और शशि रंजन भी इस कमेटी के सदस्य हैं। इसी तरह सुबोध मंडल, नदीम अख्तर अंसारी, नीतू निषाद, फौजिया राणा, राम शंकर कुमार पान, उदय मांझी और रेखा सोरेन को भी शामिल किया गया है।
महिला और दलित नेताओं को भी प्रतिनिधित्व
कमेटी की संरचना में यह बात विशेष रूप से उल्लेखनीय है कि इसमें महिला नेताओं और पिछड़े-दलित समुदाय के प्रतिनिधियों को भी जगह दी गई है। रेखा सोरेन, साधना रजक, खुशबू कुमारी, नीतू निषाद और फौजिया राणा जैसे नाम इस बात का संकेत हैं कि कांग्रेस पार्टी सामाजिक संतुलन बनाए रखने और सभी वर्गों की भागीदारी सुनिश्चित करने की दिशा में काम कर रही है। इससे चुनावी मैदान में पार्टी को सामाजिक समीकरण साधने में मदद मिलने की संभावना है।
स्थायी आमंत्रित सदस्य
प्रदेश इलेक्शन कमेटी में केवल 39 नाम ही शामिल नहीं हैं, बल्कि कांग्रेस पार्टी ने सभी सांसदों (एमपी), विधायकों (एमएलए), विधान पार्षदों (एमएलसी), अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिवों और कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) के सदस्यों को स्थायी आमंत्रित सदस्य बनाया है। इसका अर्थ यह है कि ये सभी नेता भी कमेटी की बैठकों और निर्णयों में शामिल होकर अपनी राय रख सकेंगे। इस प्रावधान से संगठनात्मक निर्णयों में व्यापक सहभागिता और पारदर्शिता बनी रहेगी।
चुनावी रणनीति की दिशा
इस कमेटी के गठन को कांग्रेस की चुनावी रणनीति का अहम हिस्सा माना जा रहा है। आगामी विधानसभा चुनाव में उम्मीदवारों के चयन, प्रचार अभियानों की योजना और गठबंधन की संभावनाओं पर चर्चा इसी कमेटी के स्तर पर होगी। चूंकि बिहार की राजनीति जातीय समीकरणों और सामाजिक आधार पर टिकी होती है, इसलिए इस कमेटी में विभिन्न वर्गों के नेताओं को शामिल करना कांग्रेस की सोच को दर्शाता है।
कांग्रेस की उम्मीदें
पिछले कई चुनावों में कांग्रेस की स्थिति बिहार में बहुत मजबूत नहीं रही है। हालांकि, पार्टी गठबंधन की राजनीति में अपनी उपस्थिति दर्ज कराती रही है। इस बार पार्टी चाहती है कि वह न केवल गठबंधन में अपनी सीटों की संख्या बढ़ाए, बल्कि संगठन को भी मजबूत करे। प्रदेश इलेक्शन कमेटी का गठन इसी दिशा में उठाया गया कदम है। इससे पार्टी के भीतर एकजुटता बढ़ेगी और चुनाव के दौरान संगठनात्मक स्तर पर मजबूती दिखाई देगी। बिहार कांग्रेस द्वारा गठित यह प्रदेश इलेक्शन कमेटी पार्टी की चुनावी तैयारियों का एक अहम हिस्सा है। इसमें अनुभवी और युवा नेताओं का संतुलन, महिला और दलित प्रतिनिधियों की भागीदारी तथा स्थायी आमंत्रित सदस्यों का प्रावधान यह दर्शाता है कि कांग्रेस पार्टी व्यापक स्तर पर तैयारी कर रही है। आने वाले समय में यह कमेटी न केवल उम्मीदवारों के चयन में बल्कि चुनावी अभियान और जनसंपर्क की रणनीति बनाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। बिहार की बदलती राजनीतिक परिस्थिति में कांग्रेस इस कमेटी के जरिए अपनी स्थिति को मजबूत करने का प्रयास कर रही है।


