September 11, 2025

कनाडा की भारत पर बड़ी कार्रवाई, 80 फ़ीसदी भारतीय छात्रों का वीजा किया खारिज, पढ़ाई होगी प्रभावित

नई दिल्ली। कनाडा ने भारत के लिए बड़ी कार्रवाई करते हुए 2025 में भारतीय छात्रों के वीजा आवेदन में भारी कटौती कर दी है। इमिग्रेशन, रिफ्यूजीज एंड सिटिजनशिप कनाडा (IRCC) के अनुसार, 2025 में 80 प्रतिशत भारतीय छात्र वीजा आवेदन खारिज कर दिए गए। यह पिछले दस वर्षों में सबसे बड़ी गिरावट है। केवल भारतीय छात्रों ही नहीं, बल्कि एशिया और अफ्रीका के अन्य देशों के आवेदन भी खारिज किए गए, लेकिन भारतीय छात्र सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं।
नामांकन में गिरावट और छात्रों पर असर
कनाडा में इस कार्रवाई का सीधा असर वहां के कॉलेजों में नामांकन पर पड़ा है। 2024 में केवल लगभग 1.88 लाख भारतीय छात्रों को एडमिशन मिला, जबकि दो साल पहले तक यह संख्या दोगुनी से भी अधिक थी। कनाडा लंबे समय से भारतीय छात्रों की पसंदीदा जगह रही है, लेकिन अब स्थिति बदल गई है। अमेरिका में भी भारतीय छात्रों के लिए वीजा प्रक्रिया कठोर हुई है। दोनों देशों के बुरे रवैये के चलते भारतीय छात्रों का झुकाव जर्मनी की ओर बढ़ रहा है, जो अब उनकी पहली पसंद बन चुका है।
जर्मनी बन रहा पसंदीदा विकल्प
जर्मनी को 31 प्रतिशत भारतीय छात्रों ने अपनी पहली पसंद बताया है। इसके विपरीत, कनाडा की लोकप्रियता 2022 में 18 प्रतिशत से घटकर 2024 में 9 प्रतिशत रह गई। अमेरिका में भी आवेदन दर सालाना 13 प्रतिशत घट रही है। वहीं जर्मनी में भारतीय छात्रों के एडमिशन में 2024-25 में 32.6 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। रिपोर्ट बताती है कि भारतीय छात्र अब उन देशों की तरफ जा रहे हैं जो उन्हें बेहतर सुविधा और अधिक अवसर प्रदान कर रहे हैं।
कनाडा में वीजा प्रक्रिया और आर्थिक बोझ
कनाडा ने वीजा आवेदन प्रक्रिया में बदलाव कर दिया है। अब छात्रों को अधिक वित्तीय प्रमाण देना होगा। पहले की तुलना में वीजा आवेदन के लिए 20,000 कनाडाई डॉलर की राशि का पेपर दिखाना अनिवार्य कर दिया गया है। इसके साथ ही उन्हें विस्तृत अध्ययन योजना और भाषा परीक्षा के परिणाम भी प्रस्तुत करने होंगे। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जो छात्र कनाडा आएं, वे आर्थिक और शैक्षणिक रूप से सक्षम हों। हालांकि इससे कई छात्रों के लिए वीजा पाना कठिन हो गया है।
कनाडा की समस्या के पीछे की वजहें
कनाडा में बड़े पैमाने पर आवासीय सुविधा की कमी, बुनियादी ढाँचे पर दबाव और स्थानीय राजनीति की वजह से छात्रों को लेकर सख्ती की जा रही है। तेजी से बढ़ते छात्रों की संख्या के चलते कनाडा पर आर्थिक और सामाजिक दबाव बढ़ गया है, जिसके चलते सरकार को यह कदम उठाना पड़ा है। इसके अलावा छात्र सुविधा और सुरक्षा को लेकर उठ रहे सवाल भी इसकी वजह बन रहे हैं।
अन्य देशों की ओर बढ़ता रुझान
जर्मनी के अलावा संयुक्त अरब अमीरात भी भारतीय छात्रों के लिए लोकप्रिय गंतव्य बनता जा रहा है। दुबई और कतर में शिक्षा के क्षेत्र में बड़े निवेश किए जा रहे हैं। यहाँ अमेरिकी विश्वविद्यालयों के सैटेलाइट कैंपस खुले हैं, जो डिग्री कार्यक्रम प्रदान कर रहे हैं। इनमें जॉर्जटाउन, जॉन्स हॉपकिन्स, आरआईटी, कार्नेगी मेलॉन और वेइल कॉर्नेल जैसे विश्वविद्यालय शामिल हैं। पश्चिम एशिया में शिक्षा के बेहतर अवसर और सरल वीजा प्रक्रिया के चलते भारतीय छात्रों का रुझान वहाँ बढ़ा है। कनाडा और अमेरिका की वीजा नीतियों में सख्ती के चलते भारतीय छात्रों का विश्वास कम हो रहा है। इसके विपरीत जर्मनी और अन्य देशों ने खुद को छात्र अनुकूल गंतव्यों के रूप में स्थापित करना शुरू कर दिया है। आने वाले वर्षों में भारतीय छात्रों की पसंद में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं, जिससे शिक्षा के वैश्विक परिदृश्य में नई दिशाएँ खुलेंगी। भारतीय छात्रों के लिए यह समय नए अवसर तलाशने का है।

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